182 सीटें नहीं जीत पाए तो गई कुर्सी! BJP ने की CR पाटिल की विदाई
गुजरात BJP में बड़ा बदलाव! लंबे समय से पार्टी की कमान संभाल रहे सीआर पाटिल को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है... विधानसभा चुनाव में...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है.. भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई में लंबे समय से कमान संभाल रहे.. सीआर पाटिल को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है.. उनकी जगह अब जगदीश विश्वकर्मा ने ले ली है.. जो राज्य सरकार में मंत्री हैं.. और ओबीसी समुदाय से आते हैं.. बता दें कि यह बदलाव 4 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक रूप से घोषित हुआ.. जब विश्वकर्मा ने गांधीनगर स्थित भाजपा मुख्यालय ‘कमलम’ में पदभार संभाला.. इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं.. लेकिन सबसे बड़ा अफसोस सीआर पाटिल ने खुद व्यक्त किया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का लक्ष्य 182 में से सभी सीटें जीतना था.. लेकिन केवल 156 सीटें ही हासिल हो सकीं.. और उन्होंने कहा कि 182 सीटें न जीत पाने का अफसोस हमेशा रहेगा.. वहीं यह बदलाव पार्टी की आंतरिक रणनीति का हिस्सा है.. जिसमें जातीय संतुलन, आगामी स्थानीय निकाय चुनाव.. और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखा गया है..
सीआर पाटिल का गुजरात भाजपा प्रमुख के रूप में कार्यकाल जुलाई 2020 से शुरू हुआ था.. वे मूल रूप से महाराष्ट्र के जलगांव जिले के रहने वाले हैं.. और गुजरात भाजपा के पहले ‘गैर-गुजराती’ अध्यक्ष बने थे.. उनका कार्यकाल औपचारिक रूप से जुलाई 2023 में समाप्त हो गया था.. लेकिन पार्टी ने इसे बढ़ा दिया ताकि लोकसभा चुनाव, उपचुनाव और राज्यसभा चुनावों में स्थिरता बनी रहे.. पाटिल को नरेंद्र मोदी का विश्वासपात्र माना जाता है.. वे नवसारी से लोकसभा सांसद हैं.. और वर्तमान में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं..
पाटिल के नेतृत्व में भाजपा ने कई बड़ी सफलताएं हासिल कीं.. 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 156 सीटें जीतीं.. जो उस समय का ऐतिहासिक प्रदर्शन था.. इससे पहले 1980 के दशक में कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं.. लेकिन भाजपा ने इसे पार कर लिया.. 2024 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की 26 में से 25 सीटें भाजपा के खाते में गईं.. हालांकि बनासकांठा सीट पर हार का सामना करना पड़ा.. पाटिल ने पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए कई नई पहल की.. और उन्होंने ‘पेज कमेटियां’ स्थापित की.. जो राज्य भर में कार्यकर्ताओं को जोड़ने का काम करती थी.. इसके अलावा 2022 चुनाव से पहले उन्होंने कैबिनेट का पुनर्गठन किया.. जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को लाया गया.. कई विधायकों को टिकट न देकर नए चेहरों को मौका दिया गया..
लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं रहीं.. 2022 चुनाव में 182 सीटों का लक्ष्य रखा गया था.. जो पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए था.. पाटिल ने खुद स्वीकार किया कि 156 सीटों पर रुक जाना अफसोस की बात है.. उपचुनावों में छह और सीटें जीतकर कुल 162 हो गईं.. लेकिन लोकसभा में एक सीट गंवाने की जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली.. दक्षिण गुजरात में कुछ आंतरिक कलह भी सामने आई.. जहां सूरत के भाजपा विधायकों ने शिकायत की कि पाटिल ‘समांतर सरकार’ चला रहे थे.. इन सबके बावजूद, पाटिल के कार्यकाल को सफल माना जाता है.. क्योंकि उन्होंने पार्टी को तकनीक का बेहतर उपयोग सिखाया..
आपको बता दें कि पाटिल ने पदभार सौंपते समय कहा कि पार्टी को एक करोड़ से ज्यादा वोटों की बढ़त मिली.. जबकि विपक्ष को केवल तीन लाख वोट मिले.. वे अब केंद्रीय स्तर पर अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे.. लेकिन गुजरात की राजनीति में उनका प्रभाव बना रहेगा..
आपको बता दें कि जगदीश विश्वकर्मा, जिन्हें जगदीश पांचाल के नाम से भी जाना जाता है… उनका जन्म 12 अगस्त 1973 को अहमदाबाद में हुआ.. वे टेक्सटाइल मशीनरी के व्यवसायी हैं.. और रबाटेक्स इंडस्ट्रीज, जेआरके इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों के डायरेक्टर रह चुके हैं.. राजनीति में उनका सफर 1998 में थक्करबापा नगर में बूथ इंचार्ज के रूप में शुरू हुआ.. धीरे-धीरे वे जिला स्तर पर पहुंचे.. और 2012 में अहमदाबाद के निकोल विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने.. 2017 और 2022 में भी वे इसी सीट से जीते..
विश्वकर्मा ओबीसी समुदाय (लुहार उप-जाति) से हैं.. और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.. वे पहले अहमदाबाद शहर भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं.. जहां उन्होंने तकनीक का उपयोग कर बेहतर नतीजे दिए.. वर्तमान में वे भूपेंद्र पटेल सरकार में राज्य मंत्री हैं.. जिनके पास सहकारिता, नमक उद्योग, एमएसएमई, कुटीर, खादी, ग्रामीण उद्योग, प्रोटोकॉल, सिविल एविएशन, प्रिंटिंग और स्टेशनरी, वन एवं पर्यावरण जैसे विभाग हैं..
बता दें कि 3 अक्टूबर 2025 को उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया.. और निर्विरोध चुने गए.. पदभार संभालने से पहले अहमदाबाद के थक्करबापा नगर से रैली निकाली गई.. और उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व का आभारी हूं.. विकास, विश्वास और टीमवर्क से काम करेंगे.. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने उनकी तारीफ की और कहा कि वे तकनीक-प्रेमी हैं, जैसे पाटिल थे..
विश्वकर्मा गुजरात भाजपा के दूसरे ओबीसी अध्यक्ष हैं.. इससे पहले काशीराम राणा थे.. उनका चयन जातीय संतुलन के लिए है.. क्योंकि सीएम पटेल, पटेल समुदाय से हैं.. निकोल क्षेत्र पटेल-बहुल है.. जहां 2015 के आरक्षण आंदोलन में हिंसा हुई थी.. पीएम मोदी ने अगस्त 2025 में यहां रैली की थी.. विश्वकर्मा को व्यापारियों, विशेषकर टेक्सटाइल और डायमंड उद्योग से जोड़ने की उम्मीद है.. जो मंदी से जूझ रहे हैं..
वहीं यह बदलाव सजा नहीं, बल्कि नियोजित रणनीति है.. पाटिल का कार्यकाल विस्तारित था.. लेकिन अब नए चेहरे की जरूरत थी.. पार्टी में आंतरिक गुटबाजी एक प्रमुख कारण था.. ओबीसी वोटरों को मजबूत करने के लिए विश्वकर्मा को चुना गया.. क्योंकि कांग्रेस ने भी अमित चावड़ा जैसे ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.. आगामी पंचायत चुनाव (2026) और विधानसभा चुनाव (दिसंबर 2027) में यह महत्वपूर्ण होगा..
पाटिल ने गुटबाजी से दूर रहने वाले विश्वकर्मा को चुना.. केंद्रीय नेतृत्व भूपेंद्र यादव और के. लक्ष्मण ने घोषणा की.. यह भाजपा की ‘एक व्यक्ति, एक पद’ नीति का पालन है.. पदभार ग्रहण समारोह में सीएम पटेल, पाटिल, यादव और हर्ष सांघवी मौजूद थे.. सांघवी ने कहा कि जमीनी कार्यकर्ता से अध्यक्ष बनना भाजपा की ताकत है.. विश्वकर्मा ने एकता पर जोर दिया.. विपक्ष ने इसे जातिगत खेल बताया.. लेकिन भाजपा इसे संगठन मजबूती का कदम मानती है..



