हर तरफ आह ही आह…

- पीडीए होना बन गया बड़ा गुनाह!
- आईपीएस पूरन के सुसाइड से कोहराम
- जाति के वायरस ने न्यायपालिका से पुलिस तक को किया लहूलुहान
- डीजीपी और एसपी पर जातिगत प्रताडऩा के आरोप
- आईएएस पत्नी ने दर्ज कराई एफआईआर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जज गवई पर जूता फेंकने की गूंज अभी कम भी नहीं हुई थी कि एक आईपीएस अधिकारी के सुसाइड ने पूरे भारत के सिस्टम को हिला दिया है। जब एक आईपीएस अफसर अपनी ही सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ले तो उस समाज में एक आम दलित क्या महसूस करता होगा? जिस देश में भीमराव अंबेडकर ने संविधान लिखा वहीं आज एक अधिकारी जाति के जहर से तिल-तिल कर मर गया। इसका जिम्मेदार कौन है? वो अपनी जान नहीं ले रहा था वो इस व्यवस्था से आखिरी सवाल पूछ रहा था कि क्या दलित होकर जीने का कोई सम्मान नहीं बचा इस देश में? बात हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की जिनकी आत्महत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है। पूरन कुमार की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पुलिस स्टेशन के एसएचओ को पत्र लिखकर हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजरानिया के खिलाफ प्रताडऩा के गंभीर आरोप लगाए हैं। अमनीत ने दावा किया कि इन अधिकारियों की जातिगत प्रताडऩा के कारण ही उनके पति ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने आवास पर खुद को गोली मार ली।
पीडीए अफसरों का अकेलापन
कई रिटायर्ड पीडीए अफसरों से इस घटना पर जब 4पीएम ने बात की तो सभी का लगभग कहना एक जैसा था उन्होंने कहा कि हमारे पास शिकायत करने का कोई ठोस मंच नहीं है। जहां शिकायत करते हैं वहां से कुछ होने से रहा। हर बार कहा जाता है सब ठीक है लेकिन कुछ भी ठीक नहीं होता। इसीलिए जब कोई पीडीए अफसर अपनी जान दे देता है तो पूरा तंत्र इसे पर्सनल इश्यू कहकर खारिज कर देता है। वह कहते हैं कि यह पर्सनल नहीं यह पॉलिटिकल और सोशल डिजास्टर है।
हरियाणा एक बार फिर कटघरे में
देश के हरियाणा राज्य में यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जब वहां से जातिगत अत्याचार की खबर आयी हो। यह वही राज्य है जहां दलित युवाओं की पिटायी उनके बाल काटना मंदिरों में घुसने से रोकना अब सामान्य खबर बन चुकी है। 2016 में भी एक दलित पुलिसकर्मी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी कि वह थाने का इंचार्ज बन गया था। हरियाणा की पुलिस, प्रशासन और राजनीति तीनों में जाति का वायरस इस कदर फैला है कि एक ईमानदार अधिकारी भी अगर अपने वंश की वजह से नफरत झेले तो यह सिर्फ एक राज्य की नहीं पूरे भारत की नैतिक हार है।
सुसाइड नोट में लिखा है जातिगत प्रताडऩा है कारण
पूरन की पत्नी अमनीत 2001 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में हरियाणा के सिविल एविएशन व महिला एवं बाल विकास विभाग में कमिश्नर हैं। घटना के समय वह जापान में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के प्रतिनिधिमंडल के साथ थीं। अमनीत ने पत्र लिखकर घटना की जानकरी देते हुए कहा है कि मैने एक पत्नी के रूप में पिछले कई सालों से अपने पति को हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत सीनियर अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित होते देखा है। यह कोई छिपी बात नहीं है। मेरे पति ने पहले भी जाति के आधार पर प्रताडऩा की कई शिकायतें की हैं जिनका जिक्र उन्होंने सुसाइड नोट में भी किया है। उन्होंने खुलासा करते हुए लिखा है कि उनके पति पूरन ने उन्हें बताया था कि डीजीपी कपूर उन्हें साजिश के तहत झूठे केस में फंसाने की कोशिश कर रहे थे। इसी सिलसिले में रोहतक के अर्बन एस्टेट थाने में धारा 308 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी जिसमें कुमार के स्टाफ मेंबर सुशील को फंसाया गया। पत्नी अमनीत ने लिखा है कि सबूतों से छेड़छाड़ कर मेरे पति पर भी आरोप लगाए गए। इन दोनों अधिकारियों की प्रताडऩा की वजह से पति की मौत हुई है। उन्होंने सीएफएल द्वारा बरामद सुसाइड नोट के अलावा अलमारी में लैपटॉप बैग से मिली एक अन्य कॉपी का जिक्र किया जिसे वे पुलिस को सौंप रही हैं।
ठोस मेकैनिज्म नहीं है
भारत में एससी/एसटी जैसे एक्ट तो हैं लेकिन सरकारी दफ्तरों में सिस्टमेटिक ह्यूमिलिएशन के खिलाफ अब तक कोई ठोस मेकैनिज़्म नहीं है। जातिगत अपमान अक्सर जोक्स टिप्पणियों या प्रमोशन रोके जाने के रूप में छिपा रहता है। पूरन कुमार के साथ भी क्या कुछ ऐसा ही हुआ या फिर उनके खिलाफ बड़ी साजिश की गयी। जैसा की उनकी पत्नी बता रही है कि राज्य के एक डीजीपी स्तर के अधिकारी उनको फंसाना चाहते थे। उन्होंने हर उस प्लेटफार्म हर उस जगह पर दस्तक दी जहां से राहत मिल सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हताश और निराश होकर उन्होंने अपनी जान दे दी। नाम न छपने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि वह सबके बीच चुप रहते थे, लेकिन चेहरे पर दर्द साफ झलकता था। उनकी वर्दी पर लगी सितारें उनके आत्मसम्मान को नहीं बचा सकीं।




