सरफराज आलम ने आखिरी वक्त में छोड़ा आरजेडी का साथ, सीमांचल में तेजस्वी के मिशन को बड़ा झटका

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को झटका लगा है. पूर्व सांसद और जोकीहाट से 4 बार के विधायक सरफराज आलम ने लालू और तेजस्वी का साथ छोड़ दिया है. वह प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज में शामिल हो गए हैं. आलम की सीमांचल क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. उनके पिता तसलीमुद्दीन भी आरजेडी के नेता रह चुके हैं. आरजेडी छोड़ते हुए सरफराज ने कहा कि लंबे समय से पार्टी में मेरा दम घुट रहा था.
आलम की राजनीतिक जड़ें सीमांचल में काफी मजबूत हैं. उनके पिता एक प्रमुख अल्पसंख्यक नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री थे. सरफराज आलम ने पहली बार 1996 में आरजेडी के टिकट पर जोकीहाट उपचुनाव जीता था और उसके बाद कई बार विधायक रहे. उन्होंने 2018 में अररिया संसदीय उपचुनाव जीता. उनके भाई शाहनवाज आलम वर्तमान में जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
सीमांचल में कितने मुसलमान?
बिहार के पूर्वी जिले सीमांचल में आते हैं. इस क्षेत्र में किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार शामिल हैं. सरफराज आलम जोकीहाट से विधायक रहे हैं और ये सीट अररिया जिले में आती है.
विधानसभा की 24 सीटें सीमांचल क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं. इन इलाकों में मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है. किशनगंज में लगभग 68%, कटिहार और अररिया में लगभग 44-45% और पूर्णिया में लगभग 39% मुसलमान हैं. 2023 के जाति आधारित सर्वे के अनुसार बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. 11 निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता 40% से ज्यादा हैं, जबकि सात में यह आंकड़ा 30% से ज्यादा है. 29 सीटों पर मुस्लिम मतदाता 20%-30% हैं. सीमांचल के कुछ हिस्सों में उनकी हिस्सेदारी 70% तक पहुंच जाती है.
तेजस्वी के लिए कितना बड़ा झटका
सीमांचल क्षेत्र में 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने तेजस्वी यादव को तगड़ा डेंट पहुंचाया था. वो 5 सीटे जीतने में सफल रही थी. हालांकि बाद में उसके 4 विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे. इन विधायकों के आरजेडी में आने से तेजस्वी को 2025 के लिए राहत को मिली होगी, लेकिन इसी बीच प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी मैदान में उतर गई. माना जा रहा है कि सरफराज के जनसुराज में आने से सबसे ज्यादा नुकसान तेजस्वी को होगा, क्योंकि तीन दशकों से भी ज्यादा समय से मुसलमान बड़े पैमाने पर आरजेडी और उसके सहयोगियों का समर्थन करते रहे हैं.
बिहार की 13 करोड़ से ज्यादा की आबादी में 17.7% मुसलमान हैं और ये सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2020 के चुनावों में जेडीयू के 11 मुस्लिम उम्मीदवारों में से कोई भी नहीं जीता, हालांकि सात दूसरे स्थान पर रहे. इससे साफ है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर आरजेडी की सीधी लड़ाई अब AIMIM और जनसुराज से है. इन सीटों पर AIMIM-जनसुराज को फायदे का मतलब है कि आरजेडी को चोट.
2020 में जोकीहाट में क्या रहे थे नतीजे?
साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो जोकीहाट सीट से हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से सरफराज के भाई शाहनवाज आलम ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में सरफराज में भी उतरे थे और उन्हें भाई शाहनवाज के हाथों हार मिली थी. सरफराज आरजेडी के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. जबकि बीजेपी ने यहां से रंजीत यादव को उम्मीदवार बनाया था. जहां शाहनवाज को 59,596 वोट मिले तो वहीं सरफराज को 52,213 और रंजीत को 48,933 वोट मिले.

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