नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा पर दांव! सता रहा हार का डर, अपनों की बगावत से करनी पड़ी सर्जरी!

गुजरात में विधानसभा से पहले भाजपा के भीतर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा... नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर है... 

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है.. जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है.. यहां की राजनीति हमेशा से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रही है.. हाल ही में गुजरात की भाजपा सरकार में बड़ा बदलाव हुआ है.. जिसे ‘सियासी सर्जरी’ कहा जा रहा है.. 16 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर सभी 16 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया.. अगले दिन नई कैबिनेट ने शपथ ली.. जिसमें 26 नए मंत्री शामिल किए गए.. इनमें हर्ष संघवी को डिप्टी मुख्यमंत्री बनाया गया.. और क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा जैसी नई चेहरे भी शामिल हैं.. यह बदलाव 2027 के विधानसभा चुनाव से दो साल पहले हुआ है.. और इसे भाजपा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.. पार्टी नहीं चाहती कि गुजरात में कोई जोखिम उठाया जाए.. क्योंकि गुजरात भाजपा के लिए एक मजबूत गढ़ है.. और यहां की हार प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकती है..

भाजपा गुजरात में 1995 से सत्ता में है.. उससे पहले राज्य की राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती थी.. 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार बहुमत हासिल किया.. और सरकार बनाई.. तब से पार्टी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.. 1995 में शंकरसिंह वाघेला मुख्यमंत्री बने.. लेकिन जल्द ही पार्टी में फूट पड़ी.. फिर केशुभाई पटेल ने कमान संभाली..

नरेंद्र मोदी का गुजरात से गहरा नाता है.. वे 2001 में मुख्यमंत्री बने और 2014 तक रहे.. मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2002, 2007 और 2012 के चुनाव जीते.. मोदी ने विकास के मॉडल पर जोर दिया.. जैसे कि वाइब्रेंट गुजरात समिट.. जो निवेशकों को आकर्षित करता है.. मोदी के समय में गुजरात को ‘गुजरात मॉडल’ के नाम से जाना गया.. जिसमें आर्थिक विकास, उद्योग और बुनियादी सुविधाओं पर फोकस था..

आपको बता दें कि 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने, तो आनंदीबेन पटेल मुख्यमंत्री बनीं.. फिर 2016 में विजय रूपाणी को कमान सौंपी गई.. 2017 के चुनाव में भाजपा ने फिर जीत हासिल की.. लेकिन कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी.. 2022 के चुनाव में भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में भाजपा ने रिकॉर्ड 156 सीटें जीतीं.. आज भाजपा गुजरात में 29 साल से सत्ता में है.. जो एक रिकॉर्ड है.. लेकिन 2027 का चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है.. क्योंकि लंबे समय की सत्ता से एंटी-इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का खतरा रहता है..

भाजपा ने हिंदुत्व, विकास और जातीय समीकरणों पर काम किया.. पटेल, ओबीसी, एससी-एसटी जैसे समुदायों को संतुलित किया.. मोदी का नाम यहां हमेशा वोट खींचता है.. लेकिन अब चुनौतियां बढ़ रही हैं..  2021 में गुजरात में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ.. विजय रूपाणी मुख्यमंत्री थे.. लेकिन अचानक पूरी सरकार बदल दी गई.. रूपाणी समेत सभी मंत्रियों को हटा दिया गया.. और भूपेंद्र पटेल नए मुख्यमंत्री बने.. यह फैसला चुनाव से एक साल पहले लिया गया.. ताकि एंटी-इनकंबेंसी से बचा जा सके..

बता दें कि रूपाणी सरकार पर कोविड-19 के दौरान खराब प्रदर्शन का आरोप था.. अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी, दवाओं की कालाबाजारी.. और मौतों की संख्या पर सवाल उठे.. कई मंत्री उम्रदराज थे.. और सक्रिय नहीं दिखते थे.. भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे.. पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष था.. भाजपा हाईकमान, यानी मोदी और शाह, ने फैसला लिया कि नई टीम लाकर छवि सुधारनी होगी..

नई कैबिनेट में युवा और नए चेहरों को जगह दी गई.. भूपेंद्र पटेल एक साधारण विधायक थे.. लेकिन पटेल समुदाय से थे.. जो गुजरात में प्रभावशाली है.. इस बदलाव से भाजपा 2022 चुनाव जीत गई.. लेकिन अब 2025 में फिर वही कहानी दोहराई गई है..16 अक्टूबर 2025 को भूपेंद्र पटेल को छोड़कर सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया.. अगले दिन गांधीनगर में शपथ ग्रहण हुआ.. नई कैबिनेट में 26 मंत्री हैं.. जिसमें 7 पटेल, 8 ओबीसी, 3 एससी, 4 एसटी और 3 महिलाएं शामिल हैं.. हर्ष संघवी को डिप्टी मुख्यमंत्री बनाया गया.. जो सूरत से विधायक हैं और युवा नेता माने जाते हैं.. रिवाबा जडेजा जामनगर से विधायक हैं और पहली बार मंत्री बनीं हैं.. अन्य नामों में जितेंद्र वघानी, अर्जुन मोधवाडिया, मनीषा वकील, कांतिलाल अमृतिया शामिल हैं…

भाजपा 2027 चुनाव की तैयारी कर रही है.. पार्टी 29 साल से सत्ता में है.. तो सत्ता विरोधी लहर का डर है.. कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी.. कोविड के बाद आर्थिक चुनौतियां बढ़ीं.. भाजपा जातीय संतुलन बनाना चाहती है.. जिसके चलते ओबीसी नेता जगदीश विश्वकर्मा को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया.. नए चेहरों से युवा वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश है..

गुजरात मोदी का गृह राज्य है.. वे यहां से राजनीति की शुरुआत किए.. 2027 चुनाव मोदी की साख का सवाल है.. अगर भाजपा हारी, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर असर डालेगा.. मोदी का नाम गुजरात में वोट खींचता है.. 2022 चुनाव में मोदी ने रैलियां कीं, और पार्टी जीती.. लेकिन अब कांग्रेस पटेल की विरासत पर दावा कर रही है.. और AAP जैसी पार्टी ने मोदी और शाह को बेचैन कर दिया है..

जिसको देखते हुए पार्टी अपनों से ही फजीहत नहीं चाहती… 2021 में रूपाणी को हटाना भी इसी डर से था.. अब 2025 का बदलाव भी यही दिखाता है.. मोदी और शाह गुजरात पर नजर रखते हैं.. अगर 2027 में जीत हुई.. तो मोदी की छवि मजबूत होगी.. वहीं मुख्य कारण एंटी-इनकंबेंसी है.. लंबी सत्ता से लोग बदलाव चाहते हैं.. कोविड के दौरान सरकार की आलोचना हुई… भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसे मुद्दे हैं.. भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती.. नए मंत्री युवा और सक्रिय हैं, जो जनता से जुड़ेंगे..

 

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