किसानों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही सैनी सरकार

- हरियाणा में खाद संकट पर कांग्रेस और इनेलो ने भाजपा को घेरा
- किसानों केहाथों पर लगाई जा रही हैं मुहरें
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चंडीगढ़। हरियाणा में विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर उर्वरक की कमी से जूझ रहे किसानों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया है, जहां उनके हाथों पर मुहरें लगाई जा रही हैं। कांग्रेस और इनेलो ने इस शर्मनाक प्रथा पर सवाल उठाते हुए एमएसपी सुनिश्चित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सरकार की विफलता पर भी प्रकाश डाला। हरियाणा में विपक्षी दल कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने राज्य में किसान उर्वरकों की कमी से जूझ रहे हैं और उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि जब वे उर्वरक लेने पहुंच रहे हैं, तो अधिकारी उनके हाथों पर मुहर लगा रहे हैं।
हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव और राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला तथा इनेलो अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने आरोप लगाया कि किसानों के साथ ऐसा व्यवहार कर उन्होंने जले पर नमक छिडक़ने का काम किया है। इससे पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया था कि हरियाणा की भाजपा सरकार सभी क्षेत्रों में जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। करनाल शहर में एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए हुड्डा ने कहा, किसान अपनी फसलों के उचित मूल्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं और आम जनता सुरक्षा के मुद्दों का सामना कर रही है।उन्होंने कहा कि 24 फसलों के लिए एमएसपी देने का दावा करने वाली भाजपा सरकार अब अपना चेहरा छिपा रही है। उन्होंने कहा, हरियाणा में धान, बाजरा, कपास और मूंग सहित खरीफ की फसलें एमएसपी से 300 से 1,200 रुपये तक कम दामों पर बिक रही हैं। उन्होंने कहा, हम सरकार से बार-बार पूछ रहे हैं कि हरियाणा में किन 24 फसलों को एमएसपी मिल रहा है? खेतों से मंडियों तक पहुंचने वाली फसलों को एमएसपी नहीं मिल रहा है। कोई भी मंडी जाकर सच्चाई देख सकता है।
मप्र में आदिवासी किसानों की मेहनत का हो रहा शोषण: सिंघार
मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में मक्का और मूंगफली की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन फसलों की खेती मुख्य रूप से आदिवासी अंचलों में की जाती है, जहां किसान सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में मेहनत से खेती करते हैं। सिंघार ने कहा कि वर्तमान में मक्का का समर्थन मूल्य 2400 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मंडियों में किसानों को केवल करीब 1100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। उन्होंने इसे किसानों के साथ हो रहा आर्थिक अन्याय बताया और कहा कि यह स्थिति आदिवासी किसानों की मेहनत का शोषण है। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि जैसे राज्य सरकार गेहूं और धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर करती है, वैसे ही मक्का और मूंगफली की खरीदी भी सरकारी स्तर पर शुरू की जाए, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और उन्हें राहत मिले।
मुआवजा प्राप्त करने में किसान उलझन में पड़े : भूपेन्द्र
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार ने फसल बेचने से लेकर मुआवजा प्राप्त करने तक की प्रक्रियाओं को इतना जटिल बना दिया है कि किसान उलझन में पड़ गए हैं। उन्होंने कहा, किसानों को न तो उचित दाम मिलता है और न ही मुआवज़ा। लेकिन, पिछले सालों की तरह, रबी की फसल की बुवाई के लिए खाद के लिए मारामारी मची हुई है। कई जगहों पर किसानों और महिलाओं पर लाठीचार्ज की भी खबरें आ रही हैं।
किसानों के हाथों पर मुहर लगाना अनुचित : सुरजेवाला
सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, उर्वरक की गंभीर कमी के कारण पहले से ही संघर्ष कर रहे किसानों की मदद करने के बजाय, भाजपा सरकार ने अब एक शर्मनाक प्रथा शुरू कर दी है – किसानों के हाथों पर इस तरह मुहर लगाना, जैसे कि वे अपराधी हों। वहीं, चौटाला ने एक अन्य बयान में दावा किया कि एक आधार कार्ड के बदले केवल दो बोरी डीएपी खाद दी जा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के हाथों पर मुहर लगाई जा रही है, जिससे उन्हें अपराधी जैसा महसूस हो रहा है।



