किसान मर रहे, मंत्री फोटो खिंचवा रहे, गोपाल इटालिया ने खोल दिए बीजेपी के धागे

किसान आत्महत्या कर रहे हैं और मंत्री खेतों में फोटोशूट में व्यस्त हैं... गुजरात में किसानों की हालत बद से बदतर है, लेकिन सरकार प्रचार में मस्त है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के किसान इन दिनों आसमान से बरसते आंसुओं का शिकार हो रहे हैं.. अक्टूबर-नवंबर 2024 के अंत.. और 2025 की शुरुआत में आई बेमौसम बारिश ने पूरे राज्य को भिगो दिया है.. यह बारिश न सिर्फ सड़कों पर जलभराव पैदा कर रही है.. बल्कि खेतों में खड़ी फसलों को नेस्तनाबूद कर रही है.. सबसे दुखद यह है कि इस संकट ने कुछ किसानों को इतना तोड़ दिया है.. कि उन्होंने अपनी जान दे दी.. द्वारका जिले के भनवाड़ तालुका के एक किसान करसनभाई बमरोटिया ने 26 अक्टूबर को फसल बर्बादी.. और कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर ली.. उनके परिवार का कहना है कि महंगे बीज खरीदने के लिए लिया.. कर्ज चुकाने का दबाव इतना बढ़ गया था कि वे सहन न कर सके..

वहीं यह घटना अकेली नहीं है.. जूनागढ़ जिले के केशोद तालुका के शेरगढ़ गांव के किसान दनुभाई बाबरिया ने भी 31 अक्टूबर को इसी संकट में अपनी जान ले ली.. विपक्षी दल, खासकर आम आदमी पार्टी.. और कांग्रेस, सरकार पर हमलावर हैं.. वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सिर्फ सोशल मीडिया पर ट्वीट कर रहे हैं.. असली मदद कहीं नजर नहीं आ रही है.. AAP के विसावदर विधायक गोपाल इटालिया ने सीएम को निशाना बनाते हुए कहा कि.. सरकार ट्वीट ही करती रहेगी या कुछ ठोस कदम उठाएगी भी.. दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि फसल नुकसान का सर्वे तेजी से चल रहा है.. और जल्द राहत पैकेज की घोषणा होगी.. आइए, इस पूरे संकट को विस्तार से समझते हैं..

गुजरात में यह बेमौसम बारिश अरब सागर में बने एक कमजोर चक्रवात की देन है.. मौसम विभाग के अनुसार अक्टूबर के आखिर से ही राज्य के 112 तालुकाओं में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है.. कुछ इलाकों में तो 2 इंच से ज्यादा पानी गिर चुका है.. यह बारिश खरीफ की कटाई के मौसम में आई है.. जब किसान अपनी मेहनत की कमाई की उम्मीद कर रहे थे.. IMD का अनुमान है कि 5 नवंबर तक यह सिलसिला जारी रह सकता है.. हालांकि चक्रवात कमजोर हो रहा है..

वहीं यह पहली बार नहीं है जब गुजरात को ऐसी मार पड़ी है.. 2024 में भी जून में 288 से 538 मिमी बारिश हुई थी.. जो 2015 के बाद सबसे ज्यादा थी.. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन इसका बड़ा कारण है.. ग्लोबल वॉर्मिंग से मौसम के पैटर्न बदल रहे हैं.. गुजरात जैसे तटीय राज्य में अरब सागर का पानी गर्म हो रहा है.. जिससे अनियोजित बारिश बढ़ रही है.. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार को पहले से अलर्ट सिस्टम मजबूत करना चाहिए था.. अब तो सौराष्ट्र से लेकर दक्षिण गुजरात तक हर तरफ जलमग्न खेत नजर आ रहे हैं..

वहीं इस बारिश ने गुजरात की कृषि अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया है.. राज्य सरकार के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक 10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन प्रभावित हुई है.. सबसे ज्यादा नुकसान सौराष्ट्र क्षेत्र में हुआ है, जहां मूंगफली.. और कपास की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं.. जूनागढ़, भावनगर, अमरेली, गिर सोमनाथ जैसे जिलों में किसान सुबह उठे तो खेतों में पानी भरा देखा.. दक्षिण गुजरात के वलसाड, नवसारी, सूरत और तापी में धान और पान की खेती चौपट हो गई.. उत्तर गुजरात में भी सोयाबीन, तूर और सब्जियां उगाने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ..

कृषि मंत्री जीतु वाघाणी ने बताया कि गन्ना, सोयाबीन, अरहर, मूंगफली और बागवानी फसलों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है.. 2025 के खरीफ सीजन में कुल 3.87 मिलियन हेक्टेयर में बुआई हुई थी.. जो 2024 के 6.06 मिलियन से कम है.. इसका एक कारण यही बारिश है.. जिससे किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ी.. एक किसान संगठन के अनुसार 2024-25 में कॉटन प्रोडक्शन 7.4% कम होने का अनुमान है.. भावनगर के महुआ में तो किसानों को कटाई के बाद गोदामों में रखी फसल भी बह गई.. कुल मिलाकर, राज्य की 128% औसत बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से कहीं ज्यादा है..

किसान अब सवाल उठा रहे हैं कि इतना नुकसान होने के बाद भी बीमा क्लेम कैसे मिलेगा.. कई किसानों ने महंगे बीज और खाद पर कर्ज लिया था.. वहीं अब फसल न बिकने से परिवार का पेट पालना मुश्किल हो गया है.. एक सर्वे के मुताबिक 220 में से 251 तालुकों में बारिश हुई, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी ठप हो गई..

द्वारका जिले के भनवाड़ तालुका के करसनभाई बमरोटिया की कहानी इस संकट की अमानवीय सच्चाई बयां करती है.. 50 साल के करसनभाई छोटे जोत के किसान थे.. और उन्होंने मूंगफली की फसल के लिए कर्ज लेकर महंगे बीज खरीदे थे.. 26 अक्टूबर को अचानक आई तेज बारिश ने सब कुछ धो डाला.. परिवार के अनुसार कर्ज चुकाने का दबाव और फसल बर्बादी ने उन्हें डिप्रेशन में धकेल दिया.. और उन्होंने जहर खा लिया.. पुलिस ने सुसाइड नोट में कर्ज का जिक्र पाया.. यह खबर आने के बाद पूरे इलाके में सन्नाटा छा गया.. पड़ोसी किसान कहते हैं हम सबकी यही हालत है.. सरकार मुआवजा की बात करती है.. लेकिन हाथ में कुछ नहीं आता..

इसी हफ्ते जूनागढ़ में दनुभाई बाबरिया ने भी आत्महत्या की.. वे भी कर्ज के जाल में फंसे थे.. सौराष्ट्र में दो हफ्तों में दो किसान खुदकुशी कर चुके हैं.. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल 10,000 से ज्यादा किसान आत्महत्या करते हैं.. और गुजरात इसमें पीछे नहीं है.. 2023 में गुजरात में 767 किसान सुसाइड्स हुईं.. जो हर तीन घंटे में एक है.. विशेषज्ञ कहते हैं कि कर्ज, फसल असफलता और सरकारी नीतियों की कमी इसके पीछे हैं..

वहीं इस संकट में विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.. AAP के गुजरात अध्यक्ष और विसावदर विधायक गोपाल इटालिया ने सबसे तीखा हमला बोला.. और उन्होंने कहा कि सीएम भूपेंद्र पटेल सोशल मीडिया पर संवेदना जता रहे हैं.. लेकिन खेतों में जाकर फोटो खिंचवाने वाले मंत्री सर्कस चला रहे हैं.. इटालिया खुद किसान परिवार से हैं.. उन्होंने 25 अक्टूबर को बमणासी में हुई किसान महापंचायत में कहा कि AAP किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है… उन्होंने मांग की कि फसल बर्बादी पर तुरंत मुआवजा दिया जाए.. साथ ही कर्ज माफी हो.. इटालिया ने ईको सेंसिटिव जोन जैसे काले कानूनों का भी जिक्र किया.. जो किसानों को और परेशान कर रहे हैं.. AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि अगर पुलिस न हो तो किसान भाजपा नेताओं को पीट देंगे.. और उन्होंने प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये मुआवजा देने की मांग की…

आपको बता दें कि कांग्रेस भी पीछे नहीं है.. प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा ने पूर्ण मुआवजा देने की मांग की है.. मुख्य प्रवक्ता मनीष दोशी ने एक्स पर लिखा कि फसल बर्बादी से किसान परेशान हैं.. एक ने जान दे दी, फिर भी सरकार तारीख पर तारीख दे रही है.. कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी न हुईं तो ‘नेपालवाली’ जैसे आंदोलन होंगे.. वे कहते हैं कि यह सरकार की नीतिगत नाकामी है.. विपक्ष का कहना है कि किसान वोटों से ही सत्ता बनी है, अब उनका साथ दो..

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने संवेदना जताते हुए कहा कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है… और उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि बेमौसम बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है… मंत्रियों ने जिलों का दौरा किया है, सर्वे तेज है.. डिप्टी सीएम हर्ष संघवी समेत कई मंत्री खेतों में पहुंचे.. सीएम ने अधिकारियों को तीन दिनों में नुकसान का रिपोर्ट देने का आदेश दिया.. सरकार का कहना है कि दो दशकों में ऐसी बारिश नहीं हुई.. इसलिए तुरंत राहत पैकेज आएगा.. कृषि विभाग ने किसानों को एडवाइजरी जारी की है कि खड़ी फसलें कैसे बचाएं..

 

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