CM ममता का केंद्र पर वार, कहा- अगर वोटर लिस्ट झूठी है, तो आपकी सरकार भी झूठी है

पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला... उन्होंने कहा कि अगर वोटर लिस्ट झूठी है, तो फिर केंद्र की सरकार...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों पश्चिम बंगाल की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद छाया हुआ है.. चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर सियासी हंगामा मच गया है.. एक तरफ केंद्र सरकार और भाजपा इसे लोकतंत्र को मजबूत बनाने का कदम बता रही है.. वहीं दूसरी तरफ राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस.. और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे ‘शांत, अदृश्य धांधली’ करार दे रही हैं.. 4 नवंबर 2025 को कोलकाता में ममता बनर्जी ने हाथ में संविधान की प्रति थामे एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व किया.. इस मार्च में उनके भतीजे और TMC के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी शामिल थे.. हजारों समर्थकों के साथ निकले इस जुलूस ने साफ संकेत दिया कि आगामी 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले यह मुद्दा और गरमाएगा..

आपको बता दें कि चुनाव आयोग हर कुछ सालों में मतदाता सूची की समीक्षा करता है.. ताकि इसमें फर्जी नाम, मृत लोगों के नाम या दोहराए गए नाम न रहें.. SIR इसका एक विशेष रूप है.. जो घर-घर जाकर सत्यापन पर आधारित होता है.. भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि.. यह प्रक्रिया मतदाता सूची की ‘शुद्धता’ सुनिश्चित करने के लिए है.. इसका दूसरा चरण 4 नवंबर 2025 से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हुआ.. जिनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं.. प्रक्रिया का समय-सारिणी कुछ इस

बूथ लेवल ऑफिसर घर-घर जाकर नाम, पता और दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे.. अगर कोई व्यक्ति अनुपस्थित मिलेगा या दस्तावेज सही न होंगे.. तो नाम पर सवाल उठ सकता है.. 9 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होगी.. 8 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने का समय दिया गया है.. 7 फरवरी 2026 को अंतिम सूची तैयार की जाएगी.. जिसको लेकर चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी है.. कोई भी नागरिक मोबाइल ऐप ‘वोटर हेल्पलाइन’ या ई-मेल से अपना नाम जोड़ या अपडेट कर सकता है.. आयोग ने जोर दिया कि केवल योग्य भारतीय नागरिक ही वोटर रहेंगे.. लेकिन कोई भी सही दस्तावेज दिखाकर अपना नाम बचा सकता है..

पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया खास तौर पर संवेदनशील है.. क्योंकि राज्य में करीब 7.5 करोड़ मतदाता हैं.. आयोग के अनुसार पिछले SIR (2001-2002) के बाद सूची में कई पुरानी अशुद्धियां हो सकती हैं.. जैसे मृत लोगों के नाम या प्रवासियों के दोहरे पंजीकरण.. भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि इससे ‘फर्जी वोटरों’ का सफाया होगा.. जो TMC के वोट बैंक का हिस्सा हैं.. TMC ने SIR को शुरू से ही खारिज कर दिया.. पार्टी का दावा है कि यह प्रक्रिया भाजपा की साजिश है.. जिसका मकसद अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों के नाम काटना है.. ममता बनर्जी ने इसे NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) से भी ज्यादा खतरनाक बताया.. उनका कहना है कि यह ‘शांत, अदृश्य धांधली’ है, जो 2026 के चुनावों में TMC को नुकसान पहुंचाएगी..

4 नवंबर को कोलकाता के रेड रोड पर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा से शुरू हुआ विरोध मार्च करीब 3.8 किलोमीटर लंबा था.. यह जोरासांको ठाकुरबाड़ी (रवींद्रनाथ टैगोर का पैतृक घर) तक पहुंचा.. ममता बनर्जी ने संविधान की प्रति हाथ में थामे लोगों को संबोधित किया.. उन्होंने कहा कि आप पिछले 24 सालों से किस वोटर लिस्ट से जीतते आए हैं.. अगर ये लिस्ट झूठी है, तो आपकी सरकार भी झूठी है, आपका पद भी झूठ है.. वह भाजपा पर निशाना साधते हुए नोटबंदी का जिक्र किया.. और पूछा कि क्या काला धन वापस आया..

ममता ने चेतावनी दी कि अगर एक भी योग्य वोटर का नाम कटा.. तो मोदी सरकार गिर जाएगी.. और उन्होंने कहा कि हमारी विनम्रता हमारी कमजोरी नहीं है.. हम शुरू से ही सख्ती से निपट रहे हैं.. एक भी नाम कटा तो भाजपा सरकार गिरा देंगे.. जन्म प्रमाण पत्र मांगने पर उन्होंने तंज कसा कि हमारे जमाने में घर पर डिलीवरी होती थी.. 7 बार सांसद, 4 बार केंद्रीय मंत्री और 3 बार मुख्यमंत्री होने के बाद भी क्या मुझे जन्म प्रमाण पत्र दिखाना पड़ेगा..

TMC का दावा है कि SIR से घबराहट में कम से कम 8 लोगों ने आत्महत्या की है.. अभिषेक बनर्जी ने इसे ‘con job’ कहा.. और कहा कि भाजपा दो करोड़ नाम काटकर भी चुनाव नहीं जीत सकती है… पार्टी ने हेल्प डेस्क खोले हैं ताकि लोग दस्तावेज जमा कर सकें.. आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में आखिरी SIR 2001 के विधानसभा चुनावों के बाद हुआ था.. 2002-03 में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हुए.. और 2004 के लोकसभा चुनाव उसी पुरानी सूची पर लड़े गए.. ममता ने भाषण में इसका जिक्र किया कि दो-ढाई साल लग गए थे.. आज मोदी-शाह को खुश करने के लिए ‘कुर्सी बाबू’ (मुख्य चुनाव आयुक्त) इतिहास रच रहे हैं.. TMC का कहना है कि बिहार में SIR से नाम कटे, लेकिन बंगाल में वे सतर्क हैं..

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि SIR सभी राज्यों में एकसमान है.. असम (भाजपा शासित) में अगले साल चुनाव हैं… लेकिन वहां SIR नहीं हो रहा, जिस पर ममता ने सवाल उठाया.. आयोग का जवाब है कि यह चरणबद्ध तरीके से हो रहा है.. SIR 12 जगहों पर चल रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा हंगामा है.. बिहार में भी विरोध हुआ था, जहां RJD ने इसे NRC जैसा बताया.. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने इसे ‘शुद्ध निर्वाचक नामावली – मजबूत लोकतंत्र’ थीम से लॉन्च किया.. महाराष्ट्र और झारखंड में शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है.. TMC का आरोप है कि केंद्र भाजपा शासित राज्यों में दबाव डाल रहा है.. लेकिन आयोग ने खारिज किया…

 

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