तेजस्वी का बड़ा सवाल, बिहार चुनाव में BJP शासित राज्यों से 208 पुलिस कंपनियां, विपक्षी राज्यों से क्यों नहीं? 

तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव में सुरक्षा बलों की तैनाती पर बड़ा सवाल उठाया है... उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने 208 पुलिस कंपनियां BJP शासित राज्यों से भेजी हैं...

4 पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी.. और चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया है.. तेजस्वी ने कहा कि चुनाव की सुरक्षा और निगरानी के नाम पर बीजेपी शासित राज्यों से ही पुलिस बल बुलाया गया है.. जबकि गैर-बीजेपी राज्यों से एक भी जवान नहीं आया.. इसके अलावा पहले चरण के मतदान डेटा में देरी.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों पर कटाक्ष.. और अपराधियों को संरक्षण देने के आरोपों ने राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है.. तेजस्वी ने दावा किया कि अगर महागठबंधन सत्ता में आया तो बिहार देश का नंबर एक राज्य बन जाएगा.. यह प्रेस कॉन्फ्रेंस पटना के पोलो रोड पर हुई.. जहां विपक्षी नेता ने बीजेपी की दखलअंदाजी को बिहार पर ‘उपनिवेश’ बनाने की साजिश बताया..

आपको बता दें कि बिहार में इस बार चुनाव दो चरणों में हो रहे हैं.. पहला चरण 6 नवंबर को संपन्न हुआ… जहां 65.08 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया… जो राज्य के इतिहास में सबसे अधिक है.. दूसरे चरण का मतदान आज हो रहा है… और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी.. कुल 243 सीटों पर सियासत गर्म है.. एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) और महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी) के बीच कांटे की टक्कर है.. तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं.. उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन मुद्दों को उठाकर विपक्ष की आवाज को बुलंद किया… और उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का त्योहार है.. लेकिन यहां तो धन, बल, छल और कपट का खेल चल रहा है..

तेजस्वी यादव ने चुनाव सुरक्षा व्यवस्था पर सबसे बड़ा हमला बोला.. उन्होंने दावा किया कि बिहार में चुनाव ड्यूटी के लिए कुल 208 पुलिस कंपनियां बुलाई गई हैं.. लेकिन ये सभी बीजेपी शासित राज्यों से हैं.. एक भी कंपनी गैर-बीजेपी राज्यों से नहीं आई.. उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश से 40 कंपनियां, गुजरात से 27, मध्य प्रदेश से 23, असम से 15, महाराष्ट्र से 25, छत्तीसगढ़ से 15, राजस्थान से 10, मिजोरम और हरियाणा से 8-8, नगालैंड से 15, मेघालय से 7, गोवा से 6, त्रिपुरा से 5 और उत्तराखंड से 4 कंपनियां बुलाई गई हैं.. यह आंकड़े दैनिक भास्कर की रिपोर्ट पर आधारित हैं.. जो तेजस्वी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए..

तेजस्वी ने सवाल उठाया कि पड़ोसी राज्य झारखंड से क्यों नहीं बुलाई गईं.. पश्चिम बंगाल, कर्नाटक या तमिलनाडु जैसे गैर-बीजेपी राज्यों से एक भी कंपनी क्यों नहीं.. और उन्होंने इसे सुनियोजित साजिश बताया.. जिसका मकसद विपक्षी दलों को दबाना है.. यह चुनावी दखलअंदाजी का स्पष्ट प्रमाण है.. बीजेपी बिहार को उपनिवेश बनाना चाहती है.. लेकिन बिहारी इसे होने नहीं देंगे..

वहीं यह आरोप चुनाव आयोग के लिए भी चुनौती है.. विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस कंपनियों की तैनाती राज्य सरकार की सिफारिश पर होती है.. लेकिन केंद्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है.. बिहार में एनडीए की सरकार होने से यह निर्णय पक्षपातपूर्ण लग सकता है.. विपक्षी नेता मानते हैं कि इससे मतदान केंद्रों पर निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है.. तेजस्वी ने आगे कहा कि अमित शाह जी बिहार में डेरा डाले हुए हैं.. देश में काम कम हैं क्या.. जहां चुनाव है, वहां बेईमानी का काम है.. यह बयान बीजेपी के गृह मंत्री अमित शाह की बिहार में सक्रियता पर कटाक्ष था..

पुलिस तैनाती का मुद्दा बिहार चुनावों में नया नहीं है… 2020 के चुनावों में भी इसी तरह के आरोप लगे थे… लेकिन इस बार संख्या और स्पष्टता अधिक है.. अगर यह साबित हो गया कि तैनाती में भेदभाव हुआ.. तो यह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर सकता है.. तेजस्वी ने मांग की कि आयोग तुरंत सभी राज्यों से समान रूप से बल बुलाए और पारदर्शिता सुनिश्चित करे..

प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने एक और चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया.. उन्होंने कहा कि 243 विधानसभा क्षेत्रों में 68 प्रतिशत पुलिस ऑब्जर्वर बीजेपी शासित राज्यों से तैनात किए गए हैं.. पहले ये पद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अधिकारियों को दिए जाते थे.. यह दावा भी भास्कर रिपोर्ट पर आधारित है.. तेजस्वी ने इसे अमित शाह का हाथ बताया और कहा कि यह निगरानी का नाम है या पक्षपात का.. विपक्ष के मजबूत क्षेत्रों में ये ऑब्जर्वर क्या कर रहे हैं..

पुलिस ऑब्जर्वर चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करते हैं.. जैसे मतदान केंद्रों की सुरक्षा.. अवैध गतिविधियों पर नजर.. अगर ये ज्यादातर एक पक्ष के राज्यों से हैं.. तो निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है.. तेजस्वी ने उदाहरण दिया कि झारखंड या बंगाल जैसे राज्यों के अधिकारी क्यों नहीं भेजे गए.. और उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश है.. बिहार के लोग जागरूक हैं.. वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे..

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, ऑब्जर्वर केंद्र से बाहर के अधिकारी होते हैं.. ताकि स्थानीय प्रभाव न हो.. लेकिन तेजस्वी का आरोप है कि यह नियम तोड़ा जा रहा है.. विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है.. लेकिन आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.. अगर यह सत्यापित हो गया.. तो कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है..

आपक बता दें कि पहले चरण के मतदान को पांच दिन हो चुके हैं.. लेकिन चुनाव आयोग ने जेंडर-वाइज (पुरुष-महिला) मतदान प्रतिशत का डेटा अभी तक जारी नहीं किया.. तेजस्वी ने इसे डेटा छिपाने’ की साजिश बताया.. उन्होंने कहा कि 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान हुआ… पहले तो उसी शाम मैनुअली आंकड़े बता दिए जाते थे.. अब चार दिन बाद भी पुरुषों और महिलाओं का मतदान प्रतिशत क्यों नहीं बताया जा रहा.. दूसरे चरण से पहले मतदाताओं को यह जानकारी क्यों नहीं दी जा रही..

तेजस्वी ने मांग की कि तुरंत डेटा जारी किया जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे.. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी अपने पाप करती रहेगी.. और चुनाव आयोग ढकता रहेगा.. चुनाव आयोग मर चुका है.. अब यह एक औजार बन गया है.. यह बयान आयोग की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार था.. पहले चरण में कुल 65.08% मतदान हुआ.. लेकिन जेंडर ब्रेकअप न होने से महिलाओं की भागीदारी पर सवाल उठ रहे हैं.. जो बिहार में महत्वपूर्ण है..

विपक्ष का कहना है कि यह देरी वोट चोरी या हेरफेर की आशंका पैदा करती है.. तेजस्वी ने कहा कि मतदाता जानना चाहते हैं कि महिलाओं ने कितना वोट डाला.. यह छिपाकर दूसरे चरण को प्रभावित करने की कोशिश है.. आयोग ने कहा है कि अंतिम आंकड़े जल्द जारी होंगे.. लेकिन विपक्ष संतुष्ट नहीं है.. यह मुद्दा कोर्ट तक पहुंच सकता है..

तेजस्वी ने चुनाव आयोग को बीजेपी का हथियार बताया.. उन्होंने कहा कि आयोग की चुप्पी भ्रष्टाचार को छिपा रही है.. वोट चोरी, अवैध खर्च पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं.. उन्होंने उदाहरण दिया कि एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ शिकायतें दबाई जा रही हैं.. चुनाव आयोग को जगाओ, वरना लोकतंत्र खतरे में है… यह आरोप 2025 चुनावों में कई बार उठे हैं.. विपक्ष का दावा है कि आयोग केंद्र सरकार के दबाव में है.. तेजस्वी ने कहा कि पारदर्शिता के बिना चुनाव का कोई मतलब नहीं…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार रैलियों पर तेजस्वी ने तीखा तंज कसा… और उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपनी रैलियों में किस तरह के गाने गा रहे हैं.. मुझे नहीं पता, वे इन दिनों कौन-सी वेब सीरीज देख रहे हैं.. उन्हें इतना फुर्सत कैसे मिल जाता है.. तेजस्वी ने आगे कहा कि पीएम को बिहार में बीजेपी नेताओं का भ्रष्टाचार दिखता ही नहीं.. सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल, मंगल पांडेय जैसे नेता साफ हैं क्या.. उन्होंने दावा किया कि एनडीए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है..

तेजस्वी ने बीजेपी पर अपराधियों को टिकट और संरक्षण देने का आरोप लगाया.. उन्होंने कहा कि पीएम ने दुर्दांत अपराधियों के साथ मंच साझा किया है.. हुलास पांडेय, मनोरमा देवी, आनंद मोहन, सुनील पांडेय, अनंत सिंह को साधु-महात्मा समझते हैं क्या.. उन्होंने मोकामा हत्याकांड का जिक्र किया.. जहां एक व्यक्ति की हत्या हुई लेकिन आयोग चुप है.. आरजेडी साफ राजनीति करती है.. जबकि बीजेपी अपराधियों की ढाल बनी है..

 

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