नीतीश कुमार पर किया दावा हुआ फुस्स, खुद की पार्टी भी ले डूबे प्रशांत किशोर

बिहार की राजनीति में आज बड़ा दिन है. बिहार की जनता की ओर से दिए गए वोट तय करेंगे कि अगले पांच साल राज्य में किसकी सरकार होगी. शुरुआती रुझानों में जिस तरह के नतीजे देखने को मिल रहे थे उससे लग रहा था कि इस चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज तीसरे विकल्प के रूप में खड़ी होगी. लेकिन मतगणना के आगे बढ़ने के साथ प्रशांत किशोर के सभी दावे फुस्स होते दिखाई पड़ रहे हैं.
जनसुराज पार्टी ने शुरुआती रुझान में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन अब उनके उम्मीदवारों की पकड़ कमजोर पड़ती दिख रही है. 5 सीटों पर आगे चल रही जनसुराज पार्टी अब दो सीटों पर ही बढ़त बनाए दिख रही है. यही नहीं प्रशांत किशोर ने जिस तरह से नीतीश कुमार की जेडीयू पर मात्र 25 सीट मिलने का दावा किया था वो भी गलत साबित होता दिख रहा है.
अभी तक के रुझान में जनसुराज पार्टी के दरभंगा ग्रामीण, चेरिया बरियारपुर और करगहर पर उम्मीदवार आगे चल रही हैं. शुरुआत में चनपटिया से जनसुराज के उम्मीदवार मनीष कश्यप आगे चल रहे थे लेकिन अब वो तीसरे नंबर पर खिसक चुके हैं. करगहर सीट से भोजपुरी गायक रितेश पांडे आगे चल रहे हैं.
जनसुराज पार्टी ने मुकाबले को किया दिलचस्प
इस बार का विधानसभा चुनाव न सिर्फ पारंपरिक राजनीतिक गठबंधनों के लिए चुनौती लेकर आया है बल्कि एक नए राजनीतिक प्रयोग ने पूरे राज्य में उत्सुकता और चर्चा का माहौल पैदा कर दिया है. यह प्रयोग है प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई जनसुराज पार्टी, जिसने बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की ठानी है. पिछले कुछ वर्षों में प्रशांत किशोर ने ‘जनसुराज यात्रा’ के माध्यम से गांव-गांव जाकर सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं को समझने का प्रयास किया. इस दौरान उन्होंने युवाओं, किसानों, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों को सीधे जनता के बीच उठाया. अब उनकी पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है, वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ दिखाई दे रही है.
सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर है कि क्या प्रशांत किशोर की यह नई राजनीतिक पहल पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों को हिला पाएगी, क्या जनता उनका ‘परिवर्तन मॉडल’ स्वीकार करेगी, और क्या यह चुनाव 2025 बिहार में एक नई राजनीतिक धारा का जन्म साबित होगा? यही वजह है कि राजनीतिक विशेषज्ञों से लेकर आम मतदाता तक] सबकी निगाहें इस बार जनसुराज पार्टी के प्रदर्शन पर टिकी हुई हैं.
सभी 238 सीटों पर जनसुराज की दावेदारी
जनसुराज पार्टी ने 238 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. यह कदम बताता है कि पार्टी कोई सीमित या प्रतीकात्मक चुनावी लड़ाई नहीं लड़ रही, बल्कि पूरे राज्य में अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है. प्रशांत किशोर स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन पार्टी की ओर से जो उम्मीदवार चुने गए हैं, उनमें पूर्व नौकरशाह, डॉक्टर, वकील, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, उद्यमी और कला-जगत से जुड़े चेहरे शामिल हैं. उनका उद्देश्य राजनीति में नए और साफ-सुथरे विकल्प को स्थापित करना है.
पीके का दावा- हम या तो अर्श पर होंगे या फर्श पर
प्रशांत किशोर ने कई बार कहा है कि यह चुनाव उनके लिए ‘परीक्षा’ जैसा है. उनके शब्दों में, जनसुराज या तो बहुत बड़ी ताकत बनकर उभरेगी या पूरी तरह नकार दी जाएगी. इस दो-टूक बयान ने चुनावी माहौल में उत्सुकता और बढ़ा दी है.



