भयंकर दबाव में चुनाव आयोग, ज्ञानेश कुमार की बेटी ने कराई FIR, राहुल ने घेर लिया!

चुनाव आयोग की तरफ से अब तक इन मौतों को लेकर एक बयान तक नहीं जारी किया गया है। और अब सोचिए इन्हीं बीएलओज पर जिनके कंधों पर एसआईआर कराने को दबाव है उनपर और दबाव डालने के लिए ज्ञानेश कुमार की डीएम बेटी ने ऐसी कार्रवाई की है जिसके बाद से पूरा तंत्र हैरान है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: SIR कराने की जल्दी में क्यों हैं ज्ञानेश कुमार ? क्या ज्ञानेश कुमार पर भी मोदी शाह बना रहे हैं दबाव? क्या पिता को बचाने के लिए बेटी ने बीएलओ पर करा दी धडा़धड़ एफआईआर?

दरअसल जब से एसआईआर के दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू हुई है तभी से खबरें आ रही हैं कि चुनाव आयोग अपने बीएलओज पर एसआईआर के दूसरे चरण को जल्द से जल्द खत्म करने का दबाव बना रहा हैं। ये दबाव इतना ज्यादा है कि इससे अब तक 19 दिनों में 16 बीएलओज ने अपनी जान दे दी है। जी हां, सोचिए ज्ञानेश कुमार अपने ही कर्मचारियों पर इतना दबाव बना रहे हैं कि उनको मजबूरन आत्महत्या तक करनी पड़ रही है, लेकिन इसके बावजूद ज्ञानेश कुमार के दिल में इनको लेकर कोई संवेदना नहीं जाग रही है।

चुनाव आयोग की तरफ से अब तक इन मौतों को लेकर एक बयान तक नहीं जारी किया गया है। और अब सोचिए इन्हीं बीएलओज पर जिनके कंधों पर एसआईआर कराने को दबाव है उनपर और दबाव डालने के लिए ज्ञानेश कुमार की डीएम बेटी ने ऐसी कार्रवाई की है जिसके बाद से पूरा तंत्र हैरान है। जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने क्यारेश कुमार और चुनाव आयोग पर बड़ा हमला किया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर ज्ञानेश कुमार इतनी हड़बड़ी में क्यों हैं? क्या उनको भी मोदी-शाह से काम खत्म करने की कोई डेडलाइन मिली हुई है? क्या ज्ञानेश कुमार को बचाने के लिए अब उनकी डीएम बिटिया को आगे आना पड़ रहा है? और उन्होंने बीएलओज पर किस तरह की कार्रवाई की है? और राहुल गाँधी कैसे इसको लेकर आगबबूला हो गए हैं, सब बताएंगे आपको इस वीडियो में।

इस वक्त देशभर के 12 राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया जारी है जिसको लेकर बंगाल से तमिलनाडु तक हाहाकार मचा है। उत्तर प्रदेश की आबादी को दखते हुए एक ही फेज में एसआईआर कराना एक बड़ी चुनौती बन गई है। ओर जिन बीएलओज पर एसआईआर कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उन पर चुनाव आयोग की तरफ से अतिरिक्त दबाव बनाया जा रहा है,जिसके चलते करीब 16 बीएलओज ने सुसाइड कर लिया है। उनके परिवार चुनाव आयोग और ज्ञानेश कुमार को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बीएलओज सड़कों पर उतर कर इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

लोग अपने दस्तावेज ढूंढने के लिए इधर से उधर भाग रहे हैं लेकिन ज्ञानेश कुमार की जूं नहीं रेंग रही है। वह मोदी- शाह के अलावा किसी की एक नहीं सुन रहे हैं। और इस बीच खबर आती है कि ग्रेटर नोएडा में 60 बीएलओ और 7 सुपरवाइजर पर एफआईआर करा दी गई है और वो भी वहां के डीएम के आदेशों पर। कहा गया कि ये फिर एसआईआर प्रक्रिया में लापरवाही, उदासीनता और उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में अलग-अलग थानों में दर्ज कराई जा रही है। सोचिए, एक तरफ बीएलओज काम करते करते अपनी जान दे रहे हैं और फिर भी कहा जा रहा है कि काम में लापरवाही हो रही है।

सोचिए, इन बीएलओज को रात-रात में आदेश दिए जाते हैं और फिर भी कहा जा रहा है कि ये उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। अब देखिए ये एफआईआर गौतमबुद्ध नगर की जिलाधिकारी मेधा रूपम के कहने पर की गई है। अब सवाल ये है कि मेधा रूपम कौन हैं और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से उनका क्या रिश्ता है? तो आपको बता दें कि मेधा ज्ञानेश कुमार की सगी बेटी हैं। और उससे भी खास बात ये है कि साल 2014 के बैच की आईएएस अधिकारी मेधा रूपम की गिनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अफसरों में होती है।

मतलब पिता और मुख्यमंत्री की गुड बुक्स में बने रहने के लिए डीएम साहिबा इतना तो कर ही सकती हैं कि विपक्ष कहीं ये न कह पाए कि ज्ञानेश कुमार अपने कर्मचारियों पर दबाव बना रहे हैं, तो इसलिए उससे पहले ही कर्मचारियों पर एफआईआर करा कर ये कह दो कि कर्मचारी ही लापरवाह हैं। अब देखिए, जिलाधिकारी के शनिवार को जारी आदेश के बाद सभी आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 32 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। यह धारा चुनाव कार्य से जुड़े कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करती है और लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई का प्रावधान देती है।

आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा में 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक SIR अभियान चल रहा है. इसी दौरान कई BLO और सुपरवाइजरों के खिलाफ आरोप लगाया गया कि वो घर-घर जाकर फॉर्म भरने, मतदाता सूची अपडेट करने और जरूरी करेक्शन जैसी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं निभा रहे थे, जिसके बाद डीएम ने उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया है।

इसमें सबसे ज्यादा एफआईआर जिले के दादरी इलाके में हुई है। दादरी विधानसभा क्षेत्र के इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और उप जिलाधिकारी आशुतोष गुप्ता ने 32 BLO और 1 सुपरवाइजर के खिलाफ Ecotech-I थाने में FIR दर्ज कराई है। उप जिलाधिकारी का कहना है कि, ‘इन अधिकारियों ने SIR अभियान के दौरान निर्देशों का पालन नहीं किया. कई बार नोटिस देने के बावजूद काम में सुधार नहीं हुआ, इसलिए FIR करानी पड़ी.’ जिला प्रशासन ने साफ कहा है कि चुनावी कार्य अत्यंत संवेदनशील होता है और इसमें किसी भी प्रकार की चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर क्यों ज्ञानेश कुमार एसआईआर को लेकर इतनी जल्दी में हैं? ऐसा क्या है जो छूटा जा रहा है? एक महीने के भीतर ही 50 करोड लोगों को एस ए आर के लिए दौड़ाया जा रहा है, क्या इस पर और समय नहीं दिया जा सकता था? आखिर क्यों अधिकारियों पर इतना दबाव बनाया जा रहा है कि आखिर में उनको अपनी जान देनी पड़ रही है। जी हां पिछले 19 दिनों में 16 बीएलओज ने आत्महत्या कर ली है जिसको लेकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग पर हमला बोला है।

राहुल ने इस खबर को शेयर करके हुए लिखा है कि- ‘SIR के नाम पर देश भर में अफ़रा-तफ़री मचा रखी है – नतीजा? तीन हफ्तों में 16 BLO की जान चली गई। हार्ट अटैक, तनाव, आत्महत्या – SIR कोई सुधार नहीं, थोपा गया ज़ुल्म है। राहुल ने आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लिखा कि, ‘ECI ने ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें नागरिकों को खुद को तलाशने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हज़ारों स्कैन पन्ने पलटने पड़ें। मक़सद साफ़ है – सही मतदाता थककर हार जाए, और vote chori बिना रोक-टोक जारी रहे।’ राहुल ने आगे लिखा कि, ‘भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, मगर भारत का चुनाव आयोग आज भी काग़ज़ों का जंगल खड़ा करने पर ही अड़ा है।’

राहुल का कहना है कि, ‘अगर नीयत साफ़ होती तो लिस्ट डिजिटल, सर्चेबल और मशीन-रीडेबल होती – और ECI 30 दिन की हड़बड़ी में अंधाधुंध काम ठेलने के बजाय उचित समय ले कर पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान देता।’ राहुल ने आरोप लगाया कि, ‘SIR एक सोची-समझी चाल है – जहां नागरिकों को परेशान किया जा रहा है और BLOs की अनावश्यक दबाव से मौतों को “कॉलैटरल डैमेज” मान कर अनदेखा कर दिया है।’ उन्होंने का कि, ‘यह नाकामी नहीं, षड़यंत्र है – सत्ता की रक्षा में लोकतंत्र की बलि है।’अब देखिए राहुल गांधी ही नहीं बल्कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही है एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किये हैं।

अब देखिए एक बात तो जग जाहिर है कि बिहार चुनाव में भाजपा को SIR से मिले फायदे को देखते हुए ज्ञानेश कुमार इसे जल्द से जल्द बाकि के उन राज्यों में इसे लागू करना चाहते हैं जहां अगले दो सालों में विधानसभा चुनाव हैं। ताकि जो फायदा भाजपा को बिहार में मिला वही फायदा उसे बाकि के राज्यों में भी मिल सके। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल की है क्योंकि मोदी शाह का पश्चिम बंगाल जीतने का सपना बहुत पुराना है, जिसे अभ SIR के जरिए ही यह साकार किया जा सकता है।

यही कारण है कि ज्ञानेश कुमार दिन-रात लगकर एसआईआर करा रहे हैं। इसके लिए चाहे उनको अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव बनाना पड़े। चाहे उनकी जान जाए या उनपर FIR हो, इससे ज्ञानेश पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। SIR के नाम पर BLOs की मौतें, कर्मचारियों पर FIR और बेटी DM की सख्ती बताते हैं कि ECI किसी बड़े राजनीतिक एजेंडे को जल्दी पूरा करने के लिए लोकतंत्र और कर्मचारियों की कीमत पर हड़बड़ी कर रहा है। और ये कोई सुधार नहीं, बल्कि सत्ता का खेल है।

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