चंडीगढ़ की दावेदारी पर मारामारी

भाजपा पर कांग्रेस का जोरदार हमला

  • गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया- कोई नया बिल नहीं आएगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 के दायरे में लाने की खबरों को लेकर पूरे देश में सियासी घमासान छिड़ गया है। मामले के तूल पकडऩे पर गृह मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार का इरादा चंडीगढ़ के प्रशासन को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में कोई बिल करने का नहीं है। गृह मंत्रालय के इस बयान के बाद अब कांग्रेस केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है और मोदी सरकार की फास्ट गवर्नेंस का नया उदाहरण बताया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि यह बिल 131वां संविधान संशोधन बिल है, जिसके जरिए चंडीगढ़ को ऐसे केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में लाने का प्रस्ताव था, जिनके पास अपनी विधानसभा नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि कांग्रेस और पंजाब की अन्य पार्टियों ने इसका तत्काल और आक्रामक विरोध किया, क्योंकि वर्तमान में पंजाब के राज्यपाल ही चंडीगढ़ के प्रशासक भी होते हैं। ऐसे में नया पूर्णकालिक एलजी नियुक्त करने का प्रस्ताव राज्यों के अधिकारों को प्रभावित करने वाला माना गया। मंत्रालय ने कहा, चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ पर्याप्त परामर्श के बाद ही कोई उपयुक्त निर्णय लिया जाएगा। इस मामले में किसी भी चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस संबंध में कोई विधेयक पेश करने का कोई इरादा नहीं है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस मामले पर उठाई गई चिंताओं को दूर करते हुए कहा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार की कानून-निर्माण प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रस्ताव अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

मोदी सरकार की फास्ट शैली का उदाहरण : जयराम

जयराम रमेश ने पोस्ट करते हुए तीखा तंज कसा कि यह सब कुछ मोदी सरकार की फास्ट शैली का ताजा उदाहरण है यानी पहले घोषणा करो और बाद में सोचो। उन्होंने कहा कि संवेदनशील मुद्दों पर बिना परामर्श, बिना तैयारी और बिना सोच-विचार के अचानक बिल सूचीबद्ध कर देना केंद्र सरकार की जल्दबाजी और असंगठित नीति-निर्माण को उजागर करता है।

ढांचे में बदलाव का कोई इरादा नहीं : गृह मंत्रालय

मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे में बदलाव करने का प्रयास नहीं करता और न ही इसका उद्देश्य ‘चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्था’ को बदलना है।

जयराम रमेश पर होगी कार्रवाई

राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति, एक स्थायी संसदीय समिति, ने सदन के सदस्य और कांग्रेस नेता जयराम रमेश के खिलाफ राज्यसभा के सभापति के खिलाफ कथित तौर पर लगातार और जानबूझकर अपमानजनक टिप्पणियां करने की शिकायत पर चर्चा की। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में समिति की बैठक आज सुबह 11 बजे संसदीय सौध विस्तार भवन में हुई। एक आधिकारिक सूचना के अनुसार, बैठक में जिन विषयों पर चर्चा हुई, उनमें से एक कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के खिलाफ विशेषाधिकार संबंधी शिकायत से संबंधित था, जिसमें राज्यसभा के सभापति के खिलाफ कथित तौर पर लगातार और जानबूझकर अपमानजनक टिप्पणियां करने और सार्वजनिक रूप से उनकी निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त करने का आरोप लगाया गया था। समिति जयराम रमेश के साक्ष्य सुनने की भी योजना बना रही है। राज्यसभा विशेषाधिकार समिति के अलावा, तीन अन्य समितियों की आज बाद में संसदीय सौध में बैठकें हुईं। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी समिति ने सभी प्रकार के मीडिया से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा की और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) द्वारा प्रस्तुत किए जा रहे प्रस्तावों और भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के विचारों को सुना। कोयला, खान एवं इस्पात समिति ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के संगठनात्मक ढांचे और प्रदर्शन – एक समीक्षा विषय पर मंत्रालय के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य सुनने के लिए एक बैठक आयोजित की। यदि समिति को पता चलता है कि विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है, तो वह उल्लंघन की प्रकृति और उसके कारणों का पता लगाती है और तदनुसार सिफारिशें करती है। समिति सदन को उस प्रक्रिया की भी रिपोर्ट दे सकती है जिसका पालन समिति द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने में सदन द्वारा किया जा सकता है।

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