20 साल बाद क्यों छिना गया लालू परिवार से 10 सर्कुलर रोड बंगला, क्या विधानसभा चुनाव के नतीजों में छिपा है राज?

बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बन चुकी है. इस सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ही हैं. सरकार गठन को अभी कुछ ही समय हुआ है. इसके साथ ही कुछ फैसलों की चर्चा हर तरफ होने लगी है. इसी में बीते दिन लिया गया फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. सरकार गठन के बाद बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को बंगला खाली करने का आदेश जारी किया गया है. इसके साथ ही उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट होने का आदेश दिया गया है. नीतीश सरकार के इस फैसले को बीजेपी कठोरता से जोड़कर देखा जा रहा है. नोटिस को लेकर लालू परिवार एकजुट है. रोहिणी आचार्या और तेजप्रताप ने नीतीश कुमार को घेरा है.
लालू परिवार का पिछले 20 सालों से 10, सर्कुलर रोड का सरकारी बंगला ही ठिकाना था. यही से प्रदेश की राजनीति और देश की राजनीति की जा रही थी. ये बंगला पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को आवंटित था. अब नई एनडीए सरकार ने इस बंगले को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है.
लगभग बीस सालों में पहली बार, वह बंगला जो कभी लालू परिवार के लिए पॉलिटिकल नर्व सेंटर हुआ करता था, उनके हाथ से निकल रहा है. यही वजह है कि इसको लेकर सियासी गलियारों में ज्यादा चर्चा हो रही है.
बंगले के फैसले पर बीजेपी की चर्चा क्यों?
बिहार में कई बार नीतीश कुमार ने एनडीए से हाथ मिलाया तो कई बार महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई है. साल 2000 से अब तक नीतीश कुमार ने 10 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. हालांकि इससे पहले जब भी नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई तब तक न राबड़ी आवास पर कोई असर नहीं पड़ा है. ऐसा पहली बार है जब सरकार गठन के बाद इस तरह का फैसला लिया गया है.
हालांकि इस बार, राजनीतिक माहौल अलग है. हाल के विधानसभा चुनावों के बाद BJP कहीं ज़्यादा मज़बूत होकर उभरी है. इसका असर सरकार के फैसलों में भी साफ तौर पर दिख रहा है. लेजिस्लेटिव काउंसिल में विपक्ष की लीडर के तौर पर राबड़ी देवी को अब एक अलग घर अलॉट किया गया है. बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट ने अलॉटमेंट को ऑफिशियली नोटिफाई कर दिया है. इससे राबड़ी देवी के पास 10 सर्कुलर रोड खाली करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा है.
तेजस्वी को हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत
साल 2015 में अलायंस सत्ता में आया, तो तेजस्वी यादव डिप्टी चीफ मिनिस्टर बने थे. उस समय उन्हें 5 देशरत्न मार्ग का बंगला दिया गया था. बंगले के शानदार रेनोवेशन ने काफी ध्यान खींचा था. तेजस्वी के डिपार्टमेंट ने 5 देशरत्न मार्ग को डिप्टी चीफ मिनिस्टर का परमानेंट घर बनाया था.
हालांकि 2017 में इक्वेशन सब कुछ एक बार फिर बदल गया. नीतीश कुमार के पाला बदलने और BJP से हाथ मिलाने के बाद, सुशील कुमार मोदी डिप्टी CM बन गए. नई सरकार ने तेजस्वी को देशरत्न मार्ग का बंगला खाली करने का ऑर्डर दिया था. सरकार के इस फैसले के खिलाफ उस समय तेजस्वी ने हाईकोर्ट का सहारा लिया था. यहां से भी उनको झटका लगा था. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य को सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला, गाड़ी, सिक्योरिटी और स्टाफ की सुविधाएं वापस लेने का निर्देश दिया था.
नीतीश-लालू जी के रिश्ते का अंत- तेजप्रताप
लालू परिवार को बंगला खाली करने का नोटिस मिलने के बाद परिवार एकजुट नजर आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि रोहिणी आचार्य से लेकर तेजप्रताप यादव तक का बयान इसको लेकर सामने आया है. तेजप्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा- ‘छोटे भाई ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और बड़े भाई के बंगले को खाली करने का आदेश दे दिया. लालू जी और उनका परिवार अब 10 सर्कुलर रोड के बंगले में नहीं रहेगा.
उन्होंने लिखा कि 28 साल से जिस आवास से बिहार और राजद के लाखों कार्यकर्ताओं का एक भावुक रिश्ता जुड़ा था, उसे एक सरकारी नोटिस में खत्म कर दिया गया है. इस घर के जाने के साथ ही नीतीश जी और लालू जी के बीच के भैयारी वाले नैतिक रिश्ते का भी अंत हो गया है.’



