Eknath Shinde जल्द बनेंगे मुख्यमंत्री! CM Devendra Fadnavis ने बैठा दी जांच।
महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सियासी पारा हाई हो गया है...और ये सियासी टेंपरेचर तब और ज्यादा हाई होता दिखाई दिया...जब सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सार्वजनिक रूप से सामने आया.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बने महज एक साल ही हुआ है और इस एक साल के अंदर ही महायुति में भारी टूट के संकेत दिखाई दे रहे हैं……2024 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सीएम पद को लेकर जो खींचतान नई सरकार के गठन से पहले देखने को मिली थी……..न सिर्फ खींचतान बल्कि पूरे चुनाव के दौरान जिस तरह से बीजेपी की ओर से कहा गया कि चुनाव तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ही लड़ा जा रहा है…..लेकिन जब चुनावी नतीजे सामने आए…तो बीजेपी ने उन्हें गच्चा दे दिया….
जिससे नाराज होकर एकनाथ शिंदे सभी के संपर्क से दूर अपने गांव चले गए थे……हालांकि, उसके बाद नई सरकार का गठन हुआ और मुख्यमंत्री की कुर्सी देवेंद्र फडणवीस के हाथों में सौंप दी…….समझौते की इस राजनीति में बड़ी अनबन देखने को मिल रही है…जहां अब न सिर्फ एकनाथ शिंदे के फिर से मुख्यमंत्री बनने की चर्चाएं तेज हो गई हैं…..बल्कि, टूट की ये दरारें इस कदर खुलकर दिखने लगी हैं बल्कि, एक दूसरे पर कथित घमंडी और लंका जला देंगे…जैसे बयान देने के बाद अब सीएम देवेंद्रे फडणवीस इस कदर भड़क उठे हैं कि उन्होंने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी के खिलाफ ही जांच बैठा दी है…जिससे महाराष्ट्र महायुति सरकार में भारी टूट के आसार दिखाई देने लगे हैं………..
दरअसल, महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों से पहले सियासी पारा हाई हो गया है…और ये सियासी टेंपरेचर तब और ज्यादा हाई होता दिखाई दिया…जब सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सार्वजनिक रूप से सामने आया…जब सीएम फडणवीस ने शिंदे के उस बयान जिसमें एकनाथ शिंदे ने कहा था कि….रावण भी घमंडी था, इसलिए उसकी लंका जला दी गई………….इस बयान पर सीएम फडणवीस ने पलटवार करते हुए कह दिया कि….लंका तो हम जलाएंगे क्योंकि हम भगवान श्रीराम को मानने वाले हैं…..हम तो लंका में नहीं रहते, हम भगवान राम के अनुयायी हैं, रावण के नहीं………………अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि इसी बीच अब देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्री के एक बयान से सियासी पारा चढ़ गया….जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे के फिर से मुख्यमंत्री बनने की अटकलों को हवा देने का काम किया….
दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति हमेशा से ही… अप्रत्याशित रही है….जैसा कि हमने 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान भी देखा………लेकिन 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद बनी… बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार) गुट की महायुति सरकार के भीतर… जो आंतरिक कलह अब खुलकर सामने आ रही है… वो राज्य की राजनीति में एक बड़ा भूकंप आने की आहट मानी जा रही है…इसी बीच फडणवीस सरकार में शिवसेना कोटे से मंत्री दादा भुसे का बयान… कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ऐसे सीएम रह चुके हैं, जो लोगों के दिलों में बसते हैं…….जल्द ही लोग उन्हें फिर से राज्य का नेतृत्व करते देखेंगे…..महज़ एक बयान नहीं है… ये एक राजनीतिक संदेश है और ये संदेश है…सीएम देवेंद्र फडणवीस की मुख्यमंत्री की कुर्सी के खिलाफ…………
दरअसल, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे…..2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के बाद… 2024 तक मुख्यमंत्री रहे थे… 2024 में महायुति की जीत के बावजूद… उन्हें हटाकर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना… शिंदे गुट के लिए निराशाजनक रहा…..जिसके बाद अब इस बयान के जरिए शिवसेना (शिंदे) गुट… बीजेपी और सीएम फडणवीस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है…..जिसके जरिए वो ये दिखाना चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे जनता की पसंद हैं… और उन्हें हटाकर सीएम फडणवीस को सीएम बनाना… गठबंधन की सेहत के लिए सही नहीं है……….ये बयान इन अटकलों को मज़बूत करता है कि…शिंदे और उनके समर्थक… अपनी खोई हुई मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस पाना चाहते हैं… ये सीधे तौर पर सीएम फडणवीस को चुनौती है…
और इस चुनौती को भांपते हुए अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के करीबियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है…और ऐसा खेल कर दिया कि सीएम देवेंद्रे फडणवीस ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी के खिलाफ ही जांच बैठा दी है…..जी हां, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव की सरगर्मियों के बीच सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के अंदर खुलकर तलवारें खिंच गई हैं….मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने ही गठबंधन सहयोगी शिवसेना (शिंदे गुट) के कैबिनेट मंत्री और एकनाथ शिंदे के बेहद करीबी माने जाने वाले सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट के खिलाफ नवी मुंबई में सिडको की लगभग 4500 करोड़ रुपये की बहुचर्चित जमीन घोटाला मामले में औपचारिक जांच समिति गठित कर दी है……
जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि स्थानीय निकाय चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही चल रही खींचतान के बीच ये जांच शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका है….शिवसेना (शिंदे गुट) के कई नेता निजी तौर पर इस कदम से नाराज हैं और इसे अपनों पर ही वार मान रहे हैं….दूसरी ओर, अजित पवार गुट इस मामले में चुप्पी साधे हुए है….क्योंकि उसे लगता है कि इससे महायुति में उसकी स्थिति मजबूत होगी……….
दोस्तों, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का… अपने ही डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाने वाले… संजय शिरसाट के खिलाफ… 4500 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में जांच समिति गठित करना… इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि… दोनों नेताओं के बीच संबंधों में कड़वाहट आ चुकी है…ये कार्रवाई शिंदे गुट को एक साफ संदेश देती है… कि अगर वो फडणवीस के खिलाफ जाते हैं… तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे… संजय शिरसाट पर कार्रवाई करना… सीधे तौर पर शिंदे को कमज़ोर करने की रणनीति मानी जा रही है…….
क्योंकि, ये जांच ऐसे समय में सामने आई है… जब विपक्ष पहले से ही हमलावर है… ऐसे में सीएम फडणवीस इस कार्रवाई के जरिए… खुद को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के समर्थक के रूप में पेश कर सकते हैं… लेकिन इसका निशाना शिंदे गुट पर है……….जब गठबंधन के भीतर… एक नेता दूसरे के करीबी के खिलाफ जांच बिठाता है… तो ये दिखाता है कि विश्वास और तालमेल की कमी है… और अब ये कार्रवाई व्यक्तिगत दुश्मनी का रूप ले सकती है…
महायुति गठबंधन में शामिल दोनों दलों बीजेपी और शिवसेना-शिंदे की ओर से…एक दूसरे के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना… तनाव की स्थिति को और बढ़ावा दे रहा है…राजनीतिक दल अक्सर सत्ता के बंटवारे और प्रभाव को बढ़ाने के लिए… दूसरी पार्टियों के नेताओं को तोड़ते हैं… लेकिन जब ये प्रक्रिया सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर होती है… तो ये गठबंधन की नींव को हिला देती है………..वहीं अब ये मामला गठबंधन के साथियों के बीच वफादारी पर सवाल खड़े करती है… और ये संदेह पैदा करती है कि… क्या वो एक साथ स्थिरता के साथ शासन कर सकते हैं…इन सभी आंतरिक कलह को एक साथ जोड़ने पर… महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं…
सबसे बड़ा मुद्दा नेतृत्व का है… अगर शिंदे गुट फडणवीस के नेतृत्व को खुलेआम चुनौती देता है… तो गठबंधन के भीतर अविश्वास पैदा होगा… फडणवीस और शिंदे के बीच CM की कुर्सी को लेकर चल रही ये खींचतान… सरकार को अस्थिर कर सकती है…संजय शिरसाट के खिलाफ जांच… अगर आगे बढ़ती है… तो ये शिंदे गुट के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी और दबाव का कारण बनेगी……ऐसे में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को या तो सीएम फडणवीस के सामने झुकना होगा… या फिर टकराव का रास्ता चुनना होगा…एनसीपी (शरद गुट) और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल… इस कलह का फायदा उठाने की ताक में हैं… उनकी सक्रियता गठबंधन को और कमज़ोर कर सकती है…
महायुति सरकार फिलहाल सत्ता में है… लेकिन वो एकजुट नहीं दिखती… दादा भुसे का बयान और शिरसाट पर जांच… ये दोनों घटनाएं दिखाती हैं कि सत्ता का संघर्ष अब पर्दे के पीछे नहीं… बल्कि सड़क पर आ चुका है…अगर बीजेपी के दिग्गज नेता और सीएम देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे इस तनाव को जल्दी और प्रभावी ढंग से हल नहीं करते हैं… तो महाराष्ट्र में महायुति का टूटना… और राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर होना… कोई हैरानी की बात नहीं होगी… ये सिर्फ समय की बात हो सकती है… कि टूटना कब और किस रूप में सामने आता है…..



