AAP ने गुजरात में BJP को घेरा, खाद की किल्लत से किसान बेहाल, सरकार हर मोर्चे पर फेल!

आनंद ज़िले के आंकलाव में आम आदमी पार्टी द्वारा भव्य किसान महापंचायत का आयोजन किया गया... जहां किसानों की समस्याओं और खाद की किल्लत पर तीखी आवाज़ें उठीं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के आनंद जिले में आम आदमी पार्टी के किसान विंग ने एक विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया.. जिसमें हजारों किसान इकट्ठा हुए.. किसानों ने अपनी सबसे बड़ी समस्या.. यूरिया और डीएपी खाद की भारी कमी और कालाबाजारी पर केंद्र.. और राज्य की डबल इंजन बीजेपी सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध जताया.. महापंचायत में AAP के वरिष्ठ नेता इसुदान गढ़वी, मनोज सोरठिया और अन्य ने हिस्सा लिया.. किसानों ने कहा कि सरकार ने उन्हें पूरी तरह लाचार बना दिया है.. क्योंकि सहकारी समितियों और अधिकृत दुकानों पर खाद ही नहीं मिल रही है..

बता दें यह महापंचायत गुजरात में किसानों की लंबे समय से चली आ रही परेशानियों का प्रतीक बनी.. खाद की कमी से फसलें खराब होने का खतरा मंडरा रहा है,.. और किसान कालाबाजारियों के चंगुल में फंस रहे हैं.. महापंचायत में किसानों ने नारेबाजी की.. बैनर लहराए और सरकार से तत्काल खाद उपलब्ध कराने की मांग की.. AAP ने इसे ‘किसान न्याय यात्रा’ का हिस्सा बताया.. जिसका उद्देश्य किसानों को एकजुट करना है..

आनंद जिला गुजरात का एक महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र है.. जहां दूध उत्पादन के साथ-साथ गेहूं, चावल, मूंगफली और सब्जियों की खेती प्रमुख है.. आंकलाव तहसील में स्थित यह गांव करीब 10 हजार की आबादी वाला है.. जहां 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं.. यहां की मिट्टी उपजाऊ है.. लेकिन छोटे-छोटे खेतों के कारण किसान हमेशा इनपुट लागत पर निर्भर रहते हैं.. यूरिया और डीएपी जैसी खादें उनकी फसलों के लिए जान हैं..

गांव के सरपंच रामेश्वरभाई पटेल ने बताया कि हमारे गांव में 2,500 से ज्यादा किसान परिवार हैं.. पिछले दो महीने से खाद की किल्लत ने सबको परेशान कर दिया है.. दुकानों पर एक-एक बोरी के लिए घंटों लाइन लगानी पड़ती है.. लेकिन मिलती ही नहीं है.. जो मिलती भी है, वह दोगुने दाम पर मिलती है.. महापंचायत का आयोजन अंबाली चौकड़ी, कहानवाड़ी में किया गया.. जहां हजारों किसान ट्रैक्टरों और जीपों से पहुंचे..

महापंचायत में AAP के गुजरात प्रभारी गोपाल राय ने वीडियो संदेश भेजा.. जिसमें उन्होंने कहा कि गुजरात के किसान बीजेपी की नीतियों के शिकार हो रहे हैं.. खाद की कमी कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही है.. AAP किसानों के साथ खड़ी है.. मुख्य वक्ता इसुदान गढ़वी ने मंच से बोला कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की रूपाणी सरकार ने किसानों को वादों के पुलिंदे दिखाए.. लेकिन हकीकत में खाद तक नहीं पहुंचा पाई.. यूरिया और डीएपी की कमी से लाखों एकड़ फसलें खतरे में हैं.. हम किसानों से वादा करते हैं कि AAP सत्ता में आई तो खाद मुफ्त या सब्सिडी पर उपलब्ध होगी..

वहीं महापंचायत में किसानों ने अपनी कहानियां साझा की.. एक किसान ने कहा कि मेरे 5 एकड़ खेत में गेहूं की बुआई होनी थी.. लेकिन डीएपी न मिलने से मैंने आधी फसल ही बो दी.. कालाबाजार से 2,500 रुपये प्रति बोरी देकर खरीदी.. जो सरकार की कीमत से दोगुनी है.. एक महिला किसान ने बताया कि हमारे जैसे छोटे किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं.. खाद न मिले तो अगले साल क्या होगा.. महापंचायत में रेजोल्यूशन पास किए गए.. जिसमें खाद की तत्काल सप्लाई, कालाबाजारी पर सख्त कार्रवाई.. और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी शामिल है..

AAP के राज्य महासचिव मनोज सोरठिया ने कहा कि यह महापंचायत गुजरात जोड़ो अभियान का हिस्सा है.. हम 100 से ज्यादा ऐसी पंचायतें करेंगे.. किसान अगर मजबूत होंगे.. तो देश मजबूत होगा.. वहीं कार्यक्रम में लोक गीतों के जरिए किसानों की पीड़ा बयां की गई.. काफी देर तक महापंचायत समाप्त हुई.. लेकिन किसानों का गुस्सा शांत नहीं हुआ.. गुजरात में खाद की कमी कोई नई समस्या नहीं है.. लेकिन 2025 के खरीफ और रबी सीजन में यह चरम पर पहुंच गई.. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक.. अप्रैल-सितंबर 2025 में यूरिया का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 5.6 प्रतिशत कम हुआ.. डीएपी का उत्पादन भी स्थिर रहा.. जबकि मांग 12.8 प्रतिशत बढ़ी.. गुजरात में 33 जिलों के 251 तहसीलों में से आनंद, खेड़ा.. और दाहोद जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं..

कृषि मंत्रालय के अनुसार अच्छे मानसून ने किसानों को ज्यादा क्षेत्र बोने के लिए प्रोत्साहित किया.. जिससे खाद की मांग बढ़ी.. लेकिन चीन जैसे प्रमुख निर्यातक देशों ने यूरिया.. और डीएपी के निर्यात पर पाबंदी लगाई.. क्योंकि उनकी घरेलू जरूरतें बढ़ गईं.. भारत 80 प्रतिशत यूरिया और 60 प्रतिशत डीएपी आयात करता है.. रेड सी में युद्ध के कारण शिपिंग रूट बदल गए.. जिससे लागत 20-30 प्रतिशत बढ़ गई.. गुजरात में सहकारी समितियां जैसे गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स.. और IFFCO सप्लाई नहीं कर पा रही है..

एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2025 तक यूरिया का स्टॉक 50.54 लाख टन था.. जो पिछले साल के 68.16 लाख टन से 25 प्रतिशत कम था.. डीएपी का स्टॉक 19.05 लाख टन है.. लेकिन मांग 21 मिलियन टन से ज्यादा है.. किसान लाइनों में घंटों खड़े रहते हैं.. लेकिन जरूरत से सिर्फ 10-20 प्रतिशत ही मिलती है.. और कालाबाजारी चरम पर है.. सरकारी दाम 242 रुपये प्रति 45 किलो यूरिया के बजाय 500-600 रुपये.. और डीएपी 1,350 रुपये प्रति 50 किलो के बजाय 2,500 रुपये में मिल रही है.. आनंद जिले में ही 500 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं…

आपको बता दें कि खाद की कमी ने कालाबाजार को हवा दी.. आनंद और आसपास के जिलों में दुकानदारों पर आरोप है कि वे खाद को इंडस्ट्री में बेच रहे हैं.. जहां दाम 10 गुना ज्यादा हैं.. एक किसान संगठन की रिपोर्ट कहती है कि गुजरात में 20 प्रतिशत खाद कालाबाजार में जा रही है.. पुलिस ने पिछले महीने 50 से ज्यादा छापे मारे गए.. लेकिन समस्या बनी हुई है.. एक दुकानदार ने कहा कि सरकार सब्सिडी देती है, लेकिन सप्लाई नहीं होती है.. हम मजबूरी में ऊंचे दाम लेते हैं…

किसान नेता चरणजीत सिंह ने कहा कि यह साजिश है.. बड़े व्यापारी और अधिकारी मिले हुए हैं.. छोटे किसान मर रहे हैं.. महापंचायत में किसानों ने कालाबाजार पर तत्काल रोक लगाने की मांग की.. AAP ने घोषणा की कि वे इस मुद्दे पर विधानसभा में हंगामा करेंगे.. AAP ने केंद्र और राज्य सरकार पर सीधा निशाना साधा.. इसुदान गढ़वी ने कहा कि मोदी जी कहते हैं ‘अमृत काल’.. लेकिन किसानों के लिए यह ‘किल्लत काल’ है.. 2014 से यूरिया का MRP नहीं बढ़ा.. लेकिन उत्पादन लागत दोगुनी हो गई.. सब्सिडी 2 लाख करोड़ रुपये है.. लेकिन किसान तक नहीं पहुंच रही है.. गुजरात सरकार ने हाल ही में 15,000 करोड़ का MSP पैकेज घोषित किया.. लेकिन किसानों का कहना है कि यह जुमला है.. कृषि मंत्री जीतूभाई वाघाणी ने कहा कि कोई कमी नहीं है.. लेकिन आंकड़े उलट हैं..

 

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