Bihar में शुरू सत्ता का असली खेल, नीतीश कमजोर, शाह का कंट्रोल मजबूत!

बिहार की मौजूदा राजनीति में जो उथल-पुथल दिखाई दे रही है....उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि सत्ता का केंद्र अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं....बल्कि भाजपा और पीएम मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास चला गया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की मौजूदा राजनीति में जो उथल-पुथल दिखाई दे रही है….उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि सत्ता का केंद्र अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं….बल्कि भाजपा और पीएम मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पास चला गया है…

ये बात भले ही सुनने और कहने में सही न लगे…..क्योंकि मुख्यमंत्री तो अभी भी नीतीश कुमार ही हैं…लेकिन जमीनी सच्चाई बिल्कुल अलग है… पिछले कुछ हफ्तों में जो बड़े फैसले हुए हैं…उन्होंने सीएम नीतीश कुमार को केवल नाम का मुख्यमंत्री बनाकर रख दिया है… उनकी सारी ताकत और पावर उनसे छीनी जा चुकी है….और अब वो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चंद महीनों के मेहमान नजर आ रहे हैं………इस स्थिति को समझने के लिए हमें उस तीन शर्तों पर गौर करना होगा….

जो सीएम नीतीश कुमार ने गठबंधन में रहते हुए पूरी करनी चाही थीं…लेकिन बीजेपी ने वो पूरी होने नहीं दी….ये तीन शर्तें उनके राजनीतिक अरमान थे……जिन्हें पूरा न होने देना ही बीजेपी की रणनीति का पहला कदम था……..तो सीएम नीतीश कुमार की वो कौन सी तीन शर्तें थीं…जिन्हें वो पूरा करना चाहते थें….और अब नई सरकार के गठन के महज कुछ दिन बाद ही क्यों कहा जाने लगा कि सीएम नीतीश अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चंद महीनों के ही मेहमान नजर आ रहे हैं……

दोस्तों, सीएम नीतीश कुमार का पहला अरमान था कि वो अपनी पार्टी JDU को बिहार में सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनाना चाहते थे… ये उनकी राजनीतिक साख और मोलभाव की शक्ति के लिए सबसे जरूरी था… वो जानते थे कि अगर उनकी पार्टी बीजेपी से कमजोर रहेगी…तो उन्हें हमेशा दबाव में काम करना पड़ेगा… लेकिन बीजेपी ने इस सपने को पूरा नहीं होने दिया…कथिततौर पर उन्होंने कुछ छोटे-मोटे राजनीतिक दांव-पेंच और खेल किए… नतीजतन, JDU को सिर्फ चार-पांच विधायकों के फासले से नंबर एक पार्टी बनने से रोक दिया गया… ये सीएम नीतीश कुमार की JDU के लिए पहला झटका था…जिसने उनकी राजनीतिक नींव को हिला दिया…

वहीं सीएम नीतीश कुमार की दूसरी शर्त और शायद सबसे महत्वपूर्ण शर्त ये थी कि वो पुलिस और गृह विभाग अपने पास ही रखना चाहते थे… इस विभाग में जिला प्रशासन, DM, SP, थाना, कचहरी, इंटेलिजेंस और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विंग्स शामिल होते हैं… इसने साल से मुख्यमंत्री रहे व्यक्ति के लिए कानून व्यवस्था पर सीधा नियंत्रण रखना स्वाभाविक और अनिवार्य भी है… क्योंकि ये विभाग सीधी पावर और जमीनी पकड़ देता है…

लेकिन यहीं पर अमित शाह अड़ गए… उन्होंने इस विभाग को सीएम नीतीश कुमार से छीन लिया और इसे बीजेपी के हिस्से में डाल दिया… जोकि सीधे तौर पर नीतीश कुमार की आधी ताकत छीन लेना था… अब कानून व्यवस्था और पुलिस पर उनका सीधा नियंत्रण समाप्त हो गया… ये दूसरा और सबसे बड़ा झटका था…जिसने उन्हें कमजोर बना दिया…

जबकि, सीएम नीतीश कुमार की तीसरी और आखिरी शर्त ये थी कि अगर उनसे गृह विभाग छीना जा रहा है…तो कम से कम विधानसभा स्पीकर का पद उनकी पार्टी JDU के पास रहना चाहिए… स्पीकर का पद किसी भी विधानसभा में सबसे ज्यादा शक्तिशाली होता है… स्पीकर ही तय करता है कि सरकार कैसे चलेगी…..कौन सा बिल आएगा और किसके पास विधानसभा की शक्तियां होंगी… सीएम नीतीश कुमार के पास स्पीकर पद रखने का एक मजबूत लॉजिक भी था… वो स्पीकर की मदद से विधायकों की तोड़-फोड़….पार्टी का विलय कराकर और अन्य राजनीतिक तिकड़मों से अपनी पार्टी JDU को बीजेपी से बड़ी पार्टी बनाने की उम्मीद रखे हुए थे……………

लेकिन, अब उनकी ये तीसरी शर्त भी पूरी तरह से खारिज हो गई… केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी और बीजेपी के पुराने विधायक प्रेम कुमार ने स्पीकर पद के लिए नामांकन भर दिया और JDU बस तमाशा देखती रह गई… ये फैसला एनडीए गठबंधन के नेताओं के निर्णय पर आधारित बताया गया…..लेकिन असल में ये बीजेपी की अंतिम मुहर थी… अब प्रेम कुमार का बिहार के नए स्पीकर बनना लगभग तय हो गया…क्योंकि उनकी जीत भी तय मानी जा रही है…यानी स्पीकर भी अब बीजेपी का हो गया…

इन तीन फैसलों के बाद, अगर हम बिहार सरकार की स्थिति को देखें….तो ये पूरी तरह से साफ है कि ताकत और पावर अब किसके पास चली गई है…….कानून व्यवस्था…बीजेपी के पास…पुलिस और जिला प्रशासन…..बीजेपी के पास…राजस्व विभाग…बीजेपी के हाथ में…विधानसभा स्पीकर का पद…बीजेपी के पास…यहां तक कि राज्यपाल भी केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के कारण, बीजेपी के पक्ष में ही रहेंगे…

ऐसे में अब सवाल ये है कि सीएम नीतीश कुमार के पास बचा क्या है?…तो हम आपको बता दें कि उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं बचा…..जहां से असली ताकत और पावर की पहचान होती हो… वो अब देश के सबसे वीकेस्ट चीफ मिनिस्टर यानी सबसे कमजोर मुख्यमंत्री बन गए हैं…..जबकि कुछ ही समय पहले तक वो मोदी जी तक को सपोर्ट देने वाले और सबसे पावरफुल चीफ मिनिस्टर माने जाते थे…यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी JDU में भी उनका दबदबा कम होता दिखाई दे रहा है…

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह जैसे प्रमुख नेता भी अब अमित शाह के ज्यादा भरोसेमंद माने जाते हैं…यानी, सीएम नीतीश कुमार की पार्टी के अंदर की पकड़ भी अब कमजोर हो गई है…इन सारे घटनाक्रमों के पीछे एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण वजह है……और वो वजह है जेडीयू के 12 सांसद…सारा खेल अब JDU के 12 सांसदों पर टिका हुआ है…

दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार को बहुमत के लिए JDU के 12 सांसदों का समर्थन एक तरह से आधार और बैसाखी दे रहा है… अमित शाह और बीजेपी के लिए ये बैसाखी बहुत जरूरी है… यही 12 सांसद इस पूरे खेल की धुरी हैं…अगर बीजेपी, JDU को कमजोर करके और सीएम नीतीश कुमार को बेअसर करके, बिहार की सत्ता पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित कर लेती है….तो वो JDU के सांसदों को भी नियंत्रित कर सकती है… जोकि ये तय करता है कि केंद्र सरकार स्थिर रहे और बीजेपी की सर्वोच्चता बनी रहे…

अब सवाल उठता है कि अब आगे क्या?…मौजूदा हालातों को देखते हुए, तीन बहुत ही जरूरी और बड़े सवाल खड़े होते हैं…पहला कि सीएम नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कितने दिन के मेहमान है?…जिस तरह से उनसे एक-एक करके कभी गृह विभाग….तो कभी स्पीकर पद उनसेस छीने गए हैं….ऐसे में ये साफ है कि सीएम नीतीश कुमार का अब लंबे समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहना मुश्किल है… उनका समय अब चंद महीनों का ही नजर आता है… बीजेपी उन्हें तब तक ही रखेगी….जब तक उन्हें JDU के 12 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा… एक बार जब बीजेपी को लगेगा कि JDU पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है और उसके सांसद पूरी तरह से कंट्रोल में हैं…..तो सीएम नीतीश कुमार को हटाने की काम शुरू हो सकता है…

और सीएम नीतीश कुमार के कुर्सी से हटते ही अगला चीफ मिनिस्टर कौन होगा……ये सबसे बड़ा सवाल है…क्या नीतीश की जगह उनका कोई शिष्य या उनका बेटा लेगा?…….तो इसकी संभावना कम है…..क्योंकि बीजेपी अब सीधा सत्ता पर नियंत्रण चाहती है और कमजोर JDU को और कमजोर करना चाहती है…तो ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि क्या मुख्यमंत्री बीजेपी का कोई होगा?…… तो संभावना सबसे ज्यादा इसी की है… बीजेपी बिहार में अपने दम पर सत्ता हासिल करने का मौका नहीं चूकेगी… वो पार्टी के किसी बड़े नेता को मुख्यमंत्री बनाकर पूरे राज्य की कमान अपने हाथ में ले लेगी…वैसे भी बीजेपी की ओर से सम्राट चौधरी को बड़ा आदमी तो बीजेपी बनाना ही चाहती है……

अब तीसरा सवाल ये है कि JDU का भविष्य क्या है?…और ये सबसे जरूरी सवाल है…दरअसल, JDU के 12 सांसदों के कारण ही ये सारा खेल हो रहा है…क्या ये पार्टी टूट जाएगी?…ये सबसे संभावित परिणाम है…जहां सीएम नीतीश कुमार के कमजोर होते ही…..उनके समर्थक और विधायक, सांसद सत्ता के केंद्र की ओर झुक सकते हैं….यानी बीजेपी की ओर………….धीरे-धीरे JDU के विधायकों और सांसदों का पलायन हो सकता है और पार्टी टूट सकती है…अब सवाल ये भी उठता है कि क्या ये पार्टी बीजेपी की ब्रांच बन जाएगी? …..हालांकि, ये भी एक संभावना है…..जहां JDU का एक बड़ा हिस्सा बीजेपी में विलय हो सकता है….जिससे बीजेपी की बिहार में ताकत और भी बढ़ सकती है…

कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति अब सीएम नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द नहीं….बल्कि बीजेपी की केंद्रीय रणनीति और JDU के 12 सांसदों पर केंद्रित हो गई है…….जहां सीएम नीतीश कुमार अब सिर्फ मोहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं…..जबकि असली कंट्रोल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में है…और उनका ये कंट्रोल ही बीजेपी की बिहार में सुपर पावर बनने की कहानी है……………अब ऐसे में देखना अहम होगा कि क्या सच में बीजेपी सीएम नीतीश कुमार को धीरे-धीरे कमजोर करके अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री से रिप्लेस कर देगी?…..या फिर समय रहते ही सीएम नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला लेते हुए अपनी राजनीतिक धुरी की मिसाल पेश कर देंगे?

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