महाराष्ट्र में ‘कैश फॉर वोट’ विवाद से सियासत गरम, BJP-शिंदे सेना आमने-सामने!
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में कोंकण क्षेत्र से 'वोट के लिए कैश' के गंभीर आरोपों ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति में स्थानीय निकाय चुनावों का मौसम हमेशा से ही गरमागर्म रहता है.. लेकिन इस बार कोंकण क्षेत्र के मालवन में ‘वोट के लिए कैश’ के आरोपों ने सियासी माहौल को और तल्ख कर दिया है.. सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के दो प्रमुख सहयोगी बीजेपी और शिवसेना एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं.. प्रचार खत्म होने के तुरंत बाद बीजेपी के दो स्थानीय नेताओं.. देवगढ़ तालुका अध्यक्ष महेश नारकर और मालवन अध्यक्ष बाबा परब के वाहनों से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबर ने हड़कंप मचा दिया.. शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक नीलेश राणे ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया.. और पुलिस पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाते हुए थाने के बाहर धरना दे दिया.. यह घटना न सिर्फ गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े करती है.. बल्कि महाराष्ट्र की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर भी उंगली उठाती है..
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव लंबे समय से लंबित थे.. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ये चुनाव 31 जनवरी 2026 तक पूरे होने हैं.. राज्य निर्वाचन आयोग ने इन्हें तीन चरणों में बांटा है.. पहला चरण 2 दिसंबर को 264 नगर परिषदों.. और नगर पंचायतों के लिए हुआ है.. जिसमें 6,042 सदस्यों और 264 अध्यक्षों के पदों पर वोटिंग हुई है.. कुल 1.07 करोड़ से अधिक मतदाता 13,355 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया है.. हालांकि, 24 स्थानीय निकायों के चुनाव नामांकन विवादों के कारण 20 दिसंबर के लिए स्थगित हो गए हैं..
वहीं इन चुनावों में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ महायुति (बीजेपी, शिवसेना-शिंदे गुट, एनसीपी-अजित पवार गुट) और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए: शिवसेना-उद्धव गुट, एनसीपी-शरद पवार गुट, कांग्रेस) के बीच है.. लेकिन कोंकण जैसे क्षेत्रों में ‘फ्रेंडली फाइट्स’ यानी सहयोगी दलों के बीच हल्का मुकाबला भी देखने को मिल रहा है.. बीजेपी ने दावा किया है कि 100 से अधिक पार्षदों की निर्विरोध जीत हो चुकी है.. वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थगित चुनावों के फैसले को ‘गलत’ बताते हुए आयोग की आलोचना की.. कुल मिलाकर ये चुनाव न सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर हैं.. बल्कि विधानसभा चुनावों के एक साल बाद गठबंधनों की मजबूती की भी परीक्षा ले रहे हैं..
आपको बता दें कि कोंकण महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.. जो सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगढ़ और ठाणे जिलों को कवर करता है.. यहां की राजनीति हमेशा से ही तीखी रही है.. 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने यहां मजबूत प्रदर्शन किया था.. लेकिन 2022 में उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने के बाद शिंदे गुट का उदय हुआ.. अब महायुति के तहत बीजेपी और शिंदे सेना साथ हैं.. लेकिन स्थानीय स्तर पर सीट बंटवारे और कार्यकर्ताओं की नाराजगी से तनाव बना हुआ है.. मालवन, कांकावली और देवगढ़ जैसे इलाके नीलेश राणे का गढ़ हैं.. नीलेश शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक हैं.. अपने आक्रामक रुख के लिए मशहूर हैं.. उनके भाई नितेश राणे बीजेपी मंत्री हैं.. जो इस गठबंधन को और गंभीर बनाता है..
पिछले कुछ हफ्तों में कोंकण से कई विवादास्पद घटनाएं सामने आईं.. 26 नवंबर 2025 को नीलेश राणे ने मालवन में बीजेपी जिला सचिव विजय केनवाडेकर के घर पर ‘स्टिंग ऑपरेशन’ किया.. और उन्होंने दावा किया कि वहां वोटरों को बांटने के लिए 25 लाख रुपये की नकदी मिली.. वीडियो में नोटों से भरी बैग दिखाई गई.. और पुलिस को बुलाकर जब्ती कराई गई.. बीजेपी प्रदेश प्रमुख रविंद्र चव्हाण के करीबी माने जाने वाले केनवाडेकर पर राणे ने गंभीर आरोप लगाए.. राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इसका बचाव किया.. कि ये पैसे संपत्ति या लेन-देन से जुड़े हो सकते हैं, न कि चुनाव से.. लेकिन यह घटना गठबंधन में दरार की पहली झलक थी..
वहीं अब बात करते हैं मुख्य घटना की.. बता दें 1 दिसंबर की रात जब मालवन नगर परिषद चुनाव का प्रचार खत्म हो चुका था… एक पुलिस चेकपॉइंट पर नाटकीय मोड़ आया.. बीजेपी के देवगढ़ तालुका अध्यक्ष महेश नारकर.. और मालवन अध्यक्ष बाबा परब के वाहनों की तलाशी ली गई.. दोनों नेता चुनाव प्रचार से लौट रहे थे.. पुलिस को वाहनों से करीब 1.5 लाख रुपये की नकदी मिली.. समय को देखते हुए रात करीब 12 बजे पुलिस ने नारकर के वाहन को मालवन थाने ले जाया गया.. बाबा परब का वाहन भी जांच के दायरे में था.. यह नकदी बैगों में भरी हुई थी.. और चुनावी समय होने से ‘वोट के लिए कैश’ का शक जताया गया..
जानकारी मिलते ही शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने विधायक नीलेश राणे को सूचना दी.. राणे तुरंत थाने पहुंचे.. और उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी पदाधिकारी पुलिस के साथ सौदेबाजी करने की कोशिश कर रहे हैं.. ताकि मामला दब जाए.. राणे ने कहा कि जब तक औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं होती.. मैं थाने से नहीं हटूंगा.. वे रात भर थाने के बाहर डटे रहे.. और सुबह तक हाई-वोल्टेज ड्रामा चला.. राणे ने पुरानी घटनाओं का भी जिक्र किया.. जिसमें 27 नवंबर को केनवाडेकर मामले में पाए गए कैश पर अपडेट की मांग की.. और उन्होंने कहा कि पुलिस राजनीतिक दबाव में है.. ये सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है.. लेकिन निष्पक्षता जरूरी है..
पुलिस ने शुरुआती जांच में नकदी को जब्त कर लिया.. लेकिन एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई.. मालवन पुलिस ने बताया कि वाहन मालिकों से पूछताछ चल रही थी.. और नकदी का स्रोत जांचा जा रहा था.. लेकिन राणे के दबाव में आखिरकार मामला दर्ज किया गया.. नीलेश राणे कोंकण की सियासत के एक धुरंधर हैं… 2019 में वे कांग्रेस से बीजेपी में आए.. फिर 2022 में शिंदे गुट में शामिल हुए.. उनके आक्रामक बयानों ने हमेशा सुर्खियां बटोरीं.. इस बार, उन्होंने बीजेपी पर सीधा निशाना साधा.. थाने के बाहर मीडिया से बातचीत में राणे ने कहा कि मालवन में बीजेपी वोट खरीदने की कोशिश कर रही है.. ये पैसे कहां से आए.. क्या ये गठबंधन का पैसा है.. उन्होंने एकनाथ शिंदे के दौरे का भी जिक्र किया.. जहां शिंदे के बॉडीगार्ड को कैश से भरा बैग ले जाते वीडियो वायरल हुआ..
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने भी मौके का फायदा उठाया.. और उन्होंने ट्वीट किया कि शिंदे और बीजेपी की थैलियां वोटरों को बांटने के लिए.. पूर्व विधायक वैभव नाइक ने वीडियो शेयर कर कहा कि राणे ने सही किया.. लेकिन बीजेपी ने पलटवार किया.. नितेश राणे (नीलेश के भाई) ने भाई के स्टिंग को सही ठहराया.. लेकिन कहा कि ये स्थानीय मुद्दा है.. प्रदेश प्रमुख चव्हाण ने इसे राजनीतिक साजिश बताया.. मंत्री बावनकुले ने कहा कि चुनाव आयोग अगर पैसे बांटते पकड़ता तो कार्रवाई करता है.. ये पुरानी नकदी हो सकती है..
वहीं यह विवाद गठबंधन की कमजोरी दिखाता है.. कोंकण में शिंदे सेना बीजेपी से नाराज है.. क्योंकि सीट बंटवारे में उन्हें कम हिस्सा मिला.. कांकावली में राणे ने बीजेपी के विजय केनवडेकर पर रिश्वत का आरोप लगाया.. बदलापुर में भी बीजेपी-शिंदे कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई.. कुलगांव-बदलापुर में एनसीपी पर 3,000 रुपये प्रति वोट का आरोप लगा.. ये सभी घटनाएं बताती हैं कि महायुति का ‘एकता का दावा’ कागजी भर है..



