संचार साथी ऐप में रंगेहाथ पकड़ा गया मंत्री जी का झूठ, सदन में भयंकर हंगामा
जैसे ही आईएफएफ ने मोर्चा खोला है पूरे मामले पर हंगामा मचा गया है। एक ओर जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद ये तूफान थम गया था तो आज फिर संसद में प्रश्नकाल के दौरान ये सवाल उठा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: देश के लोगों की प्राइवेसी में संचार साथी ऐप की मदद से डाका डालने के मामले में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दावा झूठा साबित हुआा है।
एक तरफ मंत्री जी संसद भवन से लेकर ससंद के अंदर तक बयान दे रहे हैं कि संचार साथी ऐप तुरंत डिलीट हो जाता है और इससे कोई प्राइवेसी लीक नहीं हो रही है लेकिन वहीं दूसरी ओर बड़ी खबर ये भी सामने आई है कि इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन यानि आईएफएफ ने बाकायदा सबूत पेश कर कहा है कि मंत्री के दावे सही नहीं हैं बल्कि नियम में साफ तौर पर लिखा है कि ये डिलीट नहीं हो सकता है।
जैसे ही आईएफएफ ने मोर्चा खोला है पूरे मामले पर हंगामा मचा गया है। एक ओर जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद ये तूफान थम गया था तो आज फिर संसद में प्रश्नकाल के दौरान ये सवाल उठा है। कैसे मंत्री जी का बयान को झूठा कहा जा रहा है और कैसे पूरे मामले की कलई खुली है।
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कल यानि अचानक बीएसएनएल की ओर से लॉन्च किया गया संचार साथी ऐप अचानक विवादों में आ गया था। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने इस ऐप को निजता के अधिकारों को उल्लघन करने वाला और आम जनता की जासूसी करने वाला ऐप बताया था और सदन में धारा 21 के तहत स्थगित किए जाने की डिमांड की गई थी। जैसे ही ये मामला सामने आया राहुल गांधी समेत प्रियंका गांधी ने भी इस मामले को उठाया था।
जैसा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान से साफ था संचार साथी ऐप किसी भी मोबाइल से अन्य ऐप की तरह डिलीट भी हो सकता है, हालांकि कांग्रेस का दावा था कि ये एक बार मोबाइल में पड़ जाते तो उसके बाद डिलीट नहीं हो सकता है लेकिन जब संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का बयान आया तो सभी ने मान लिया कि शायद से ऐप मोबाइल से डिलीट किया जा सकता है, और मंत्री जी के बयान के बाद ये मामला शांत हो गया लेकिन इस बीच डिजिटल अधिकार वकालत संगठन, इंटरनेट फ्रीडम फ़ाउंडेशन आईएफएफ ने विरोधाभास बताते हुए मंत्री की टिप्पणियों का खंडन किया, कहा कि स्पष्टीकरण गलत है और आधिकारिक निर्देश स्पष्ट रूप से कहता है कि संचार साथी को अक्षम या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है।
आईएफएफ ने एक्स पर एक पोस्ट साझा की है जिसमें संचार साथी ऐप के एक धाारा का उल्लेख कर बताया है कि नियमों में साफतौर पर लिखा है कि इस ऐप को डिलीट नहीं किया जा सकता है। फैक्ट चेक करते हुए आईएफएफ ने मंत्री जी बयान को गलत बता दिया है। आईएफएफ ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा है कि 7 बी रुल में यह बात साफ साफ लिखी है। और 7बी कहता है कि … हालांकि आपको बता दें कि जैसे ही ये मामला आ सामने आया है एक बार फिर से संसद में हड़कंप मचा गया। दीपेंद्र हुड्डा ने इस मामले को एक बार फिर से जोर शोर प्रश्नकाल के दौरान संसद में उठाया है और इसपर संचार मंत्री का बयान भी आया है।
हालांकि इस बार भी सदन में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जिस तरीके का बयान दिया है उससे ये बात बहुत हद तक साफ है कि मंत्री कहीं न कहीं दूसरे दिन सदन के भीतर भी अपने बयान पर कायम है लेकिन नियमों की अंदर जो लिखा है उसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। क्योंकि जब तक नियमों में संशोधन होकर दिखने न लगे तब तक मौखिक बयान को कोई बहुत मायने ही निकल सकता है और मंत्री जी भले से ही बयान पर बयान दिए जा रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं नियमों की दृष्टि से पूरा मामला संदिग्ध बना हुआ है।
इंटरनेट स्वतंत्रता कार्यकर्ता और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ निखिल पाहवा का कहना है कि कि मंत्री से पूछा जाना चाहिए कि क्या निर्देश वापस ले लिया गया है या अभी भी प्रभावी है। उन्होंने ट्वीट किया, कि संचार साथी पर सिंधिया के वीडियो/बयान को ट्वीट करने वाले न्यूज़ चौनलों से, कृपया उनसे पूछें कि क्या निर्देश वापस लिया जा रहा है। निर्देश (पॉइंट 7बी देखें) कहता है कि यह अनिवार्य है, अक्षम नहीं किया जा सकता। अभी तक कोई वापसी नहीं हुई है। राजनीतिक विश्लेषक राजू पारुलकर ने इस पर ट्वीट किया, कि मंत्री का स्पष्टीकरण गलत है और जब तक मोदी शासन एक नया निर्देश जारी नहीं करता, तब तक इस निर्देश के पैरा 10 के अनुसार, कुछ भी नहीं माना जा सकता है। मंत्री के मौखिक बयान को लिखित पुष्टि की आवश्यकता होगी।
कांग्रेस ने इसे जासूसी ऐप करार दिया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। पार्टी ने सरकारी निर्देश को बिना किसी देरी के वापस लेने की भी मांग की है। दूरसंचार विभागके निर्देश में अनिवार्य किया गया है कि भारत में इस्तेमाल के लिए लक्षित मोबाइल हैंडसेट के सभी निर्माताओं और आयातकों को जारी होने की तारीख से 120 दिनों के भीतर क्वज् को अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी। इसमें आगे चेतावनी दी गई है कि अनुपालन में विफल रहने पर दूरसंचार अधिनियम, 2023, दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024, और अन्य लागू कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है
और विभाग द्वारा संशोधित या वापस लिए जाने तक लागू रहेगा। रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि ऐप्पल अपने स्मार्टफ़ोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप प्रीलोड करने के आदेश का पालन करने की योजना नहीं बना रहा है। वह अपनी चिंताओं से भारत सरकार को अवगत कराएगा। भारत सरकार ने ऐप्पल, सैमसंग और शियोमी जैसी कंपनियों को गोपनीय रूप से आदेश दिया है कि वे 90 दिनों के भीतर अपने फ़ोन में संचार साथी नामक ऐप प्रीलोड करें। हालांकि ऐप्पल का आधिकारिक बयान अभी आना है।
ऐसे में साफ है कि कहीं न कहीं मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान और सवाल उठाने वालों में एक बड़ी दीवार दिख रही है या तो मंत्री जी का बयान फिलहाल मौखिक है और जब संसद में यह मामला पहुंच गया हो तो इसमें कुछ बदलाव अचानक में किए गए है और अभी तक कागजों पर कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन बदलाव तभी माना जाएगा जब ये कार्रवाई नियमों में भी साफतौर पर दिखाई देने लगे और तब ही मंत्री जी का बयान 100 प्रतिशत सही माना जाएगा।



