PMO कार्यालय से चल रहा था बेटिंग एप, हीरेन जोशी के निलंबन पर बुरा फंसे पीएम मोदी, संसद में भयंकर हंगामा

लाखों रुपए का सूट और वॉच पहन कर खुद को फकीर बताने वाले अपने पीएम साहब के सबसे बडे़ अफसर रहे हिरेन जोशी पर बहुत ही गंभीर आरोप लग रहे हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: लाखों रुपए का सूट और वॉच पहन कर खुद को फकीर बताने वाले अपने पीएम साहब के सबसे बडे़ अफसर रहे हिरेन जोशी पर बहुत ही गंभीर आरोप लग रहे हैं। पीएमओ कार्यालय में बतौर ओएसडी तैनात ये अफसर बेटिंग ऐप चलवा रहा था।

विदेशों में गुपचुप तरीके से इसके लिए मुलाकातें हो रही थी और सबसे खास बता यह है कि हीरेन जोशी को चुपके से दो दिन पहले हटा दिया गया है। जैसे ही यह खबर आम हुई है, भयंकर तरीके से हंगामा मचा हुआ है। सोशल मीडिया से लेकर सदन तक हर ओर इस तरह के सवाल उठ रहे है। पीएम साहब की इमेज को चमकाने वाले हिरेन जोशी कौन हैं और बेटिंग ऐप चलवाने का आरोप उन पर कैसे लगा है, ये हम आपको आगे इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताएंगे।

दोस्तों, सबसे पहले बात करते हैं हीरेन जोशी की, आखिर कौन है, ये व्यक्ति। बहुत कम सुर्खियों में रहने के बावजूद इसको पीएम साहब का अमित शाह के बाद दूसरा सबसे मजबूत सिपाही बताया जाता रह है। कहा जाता है कि एक ओर अगर अमित शाह पीएम साहब को चुनाव जिता कर देते है तो दूसरी ओर हीरेन जोशी पीएम साहब की छवि को निखारने का काम करते हैं। हिरेन जोशी पीएमओ में विशेष कार्याधिकारी यानि कि ओएसडी के पद पर तैनात रहे। मजेदार बात यह है कि हिरेन जोशी न तो प्रशासनिक अधिकारी हैं और न ही कोई राजनेता ।

हीरेन जोशी की कुल योग्यता यह थी कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे विश्वसनीय सहयोगी हैं। जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब वर्ष-2008 से हीरेन जोशी नरेन्द्र मोदी के साथ काम कर रहे हैं। उसके बाद साल 2014 जब पीएम साहब गुजरात से दिल्ली आए तो अपने साथ हीरेन जोशी को लाए और उनको बतौर ओएसडी सयुंक्त सचिव रैंक का दर्जा दिलवाया। संयुक्त सचिव के दर्जे पर होते हुए भी हीरेन जोशी भारत सरकार पीएमओ में ही नहीं बल्कि पूरी भारत सरकार में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति माने जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा मीडिया मैनेजमेंट हीरेन जोशी ही संभालते हैं। कहा जाता है कि किस टीवी चौनल पर कौन सी खबर चलेगी ? सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के विषय में क्या दिखाया और पढ़ाया जाएगा ? पीएम मोदी के सोशल मीडिया एकाउंट में क्या लिखा जाएगा यह पूरा काम हीरेन जोशी के नेतृत्व में गठित प्रधानमंत्री की 300 लोगों से अधिक की मीडिया टीम करती हैै और इस टीम को हीरेन जोशी लीड किया करते थे ।

हीरेन जोशी के विषय में सोशल मीडिया अथवा इंटरनेट पर विशेष जानकारी मौजूद नहीं है। काफी रिसर्च के बाद सिर्फ इतना पता चल सका है कि हीरेन जोशी मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। हीरेन जोशी का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में हुआ था। हीरेन जोशी ने इलैक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान ग्वालियर पीएचडी की है। वर्ष-2008 में गुजरात में नरेन्द्र मोदी का ओएसडी बनने से पहले हीरेन जोशी ने भीलवाड़ा के माणिक्य लाल वर्मा टेक्सटाइल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी की थी।

दावा तो यहां तक किया पीएम मोदी का अगला कदम क्या होगा? वें कब क्या बोलेंगे? इस काम को करने के लिए पीएमओ में नरेन्द्र मोदी के भाषण तैयार करने वाली एक बड़ी टीम मौजूद है। बताया जाता है कि उस टीम की कमान भी अपरोक्ष रूप से हिरेन जोशी के पास ही मौजूद था। इस प्रकार हिरेन जोशी प्रधानमंत्री के रथ पर सामने बैठे हुए सारथी अमित शाह की तरह कहीं नजर नहीं आते हैं।

लेकिन दो दिन पहले अचानक उनको पीएमओ से बाहर कर दिया गया है और हीरेन जोशी के सारे काम अश्विनी वैष्णव और नीरव नाम के पीएमओ में तैनात एक अधिकारी को सौंप दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि उनका निलंबन हुआ है। कांग्रेस का आरोप है कि निलंबन के पीछे ही वजह बेटिंग ऐप और कुछ विदेशी यात्राएं हैं। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले की जांच की मांग की है।

पवन खेड़ा बेटिंग ऐप से लेकर विदेशी यात्राओं की जांच की मांग कर रहे है लेकिन सोशल मीडिया पर पूरा मामला तैर रहा है। रुबी अरुण नाम की एक एक्स यूजर ने पूरे मामले की बहुत ही डीपली जानकारी साझा की है, और एक-एक तथ्य को खोलकर रख दिया है। लेकिन हमारा चैनल या हम इस दावे की पुष्टि नहीं कर रहे हैं, हम इसको एक गंभीर आरोप के रुप में ही आपको बता रहे है।

पवन खेड़ा जिस बेटिंग ऐप के बारे में ज़िक्र कर रहे हैं, उस ऐप का मालिक रवि तिहारवाला है जो दुबई में रहता है। एक कथित आरोप यह भी है कि हिरेन जोशी ने सतनाम सिंह संधू से राज्यसभा सीट के लिए 30 करोड़ रुपये लिए हैं। इनके बेटे ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से सालाना 3 करोड़ रुपये कमाए हैं। एक महिला हैं हिमानी सूद, जो चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की प्रो वाइस चांसलर भी हैं और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की भी करीबी हैं। फिर ये हिरेन जोशी की खास बनीं। हिरेन ने इनके लिए एक इंडिया मॉइनॉरटीज फेडरेशन बनाया।

इस फेडरेशन में सभी इस्लामिक देशों के राजदूतों को जोड़ा गया। कुछ पावरफुल क्रिश्चियन सिख, बौद्धिस्ट, पारसी,मुस्लिम धर्म गुरुओं को इसका सदस्य बनाया गया। हिमानी सूद ने उनका प्रतिनिधित्व किया और 5 फरवरी 2024 को इन सभी को मोदी जी से मिलवाने ले गईं। इसके बाद हिमानी सूद को वेटिकन सिटी के पोप लुई से भी मिलवाया गया। जहां हिमानी मोदी जी की तस्वीर के कर गई थीं ताकि तस्वीर के जरिए पोप मोदी जी को 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत का आशीर्वाद दे सकें।

प्रधानमंत्री की कई विदेश यात्राओं में हिमानी सूद को ले जाया गया। बहुत बड़े बड़े लोगों से मिलवाया गया। 25 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री की 75 वीं सालगिरह पर हिमानी सूद ने मोदी जी की लीडरशिप के नाम -मैं हूं भारत- नाम से एक अभियान की घोषणा भी की है। एक इफ्तार पार्टी का आयोजन हुआ जिसमें भारत में स्थित सभी इस्लामिक देशों के राजदूतों ने शिरकत की और उसे होस्ट भारत के विदेश मंत्रालय और हिमानी सूद ने किया।
हिमानी सूद को हिमाचल प्रदेश से ना सिर्फ टिकट दिलाने बल्कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने के लिए जोशी जी, जेपी नड्डा से मिलने के गए और बात यहीं से बिगड़ गई।

जेपी नड्डा ने जोशी की कारस्तानी अमित शाह को बता दी। शाह जी ने मोदी जी से बात की और फिर जोशी जी प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर हो गए. हिरेन जोशी वही हैं जो पिछले 11 सालों से देश की मीडिया के तानाशाह रहे हैं. न्यूज चौनलों का बड़े से बड़ा संपादक, मालिक और न्यूज ऐंकर इनके सामने नतमस्तक रहे हैं। हर चौनल पर इनके ही निर्देश के मुताबिक शब्दः गोदी खबरें चलती रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी की आँख और कान माने जाने वाले जोशी 2008 से मोदी के साथ काम करते रहे हैं।

रुबी अरुण के दावे कितने गंभीर हैं और कैसे शाह जी एक इशारे पर हिरेन जोशी की विदाई हो गई है ये सबकुछ सामने आया है लेकिन सवाल यह है कि ये जो दावे सोशल मीडिया में तैर रहे हैें और जो कांग्रेस की मांग है कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। क्या पीएम साहब इस पूरे मामले की जांच कराएंगे। क्या जिस तरह से बहुत ही गंभीर आरोप देश के सबसे बड़े पीएमओ कार्यालय पर लगे हैं, उसकी पूरी हकीकत सामने आ पाएगी या नहीं। क्या पीएमओ कार्यालय से बेटिंग ऐप चलवाने के मामला देश हित के लिए गंभीर नहीं है और ऐसे समय पर जब पीएम साहब इसका नाम सेवा तीर्थ रख चुके हैं।

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