रुपए की गिरती साख से देश की इकोनॉमी पर आएगा संकट, एक्सपर्ट के दावों से मचा हड़कंप!
महंगाई के लिए हो जाइए तैयार हो जाइए क्योंकि पीएम साहब के राज में रुपया पतला होता जा रहा है, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। क्योंकि पिछले दो दिन में शेयर मार्केट से जो खबर आ रही है, वो चौंका देने वाली है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महंगाई के लिए हो जाइए तैयार हो जाइए क्योंकि पीएम साहब के राज में रुपया पतला होता जा रहा है, यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। क्योंकि पिछले दो दिन में शेयर मार्केट से जो खबर आ रही है, वो चौंका देने वाली है।
48 घंटों में हजारों करोड़ रुपए स्वाहा हो चुके हैं और कहा जा रहा है कि सबकुछ मोदी सरकार की नाकामी की वजह से हो रहा है। आज का रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के पार पहुंच गया है और आजादी के बाद का सबसे निचला स्तर पर है। ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है, ये देश की अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले समय में बड़ा संकट पैदा करने वाला है और ये बात पूरी तरह से साफ होती दिख रही है कि मोदी जी के अच्छे दिन के वादे अब बुरे दिन में बदल गए हैं। लेकिन सब कुछ क्यों हो रहा है, और कैसे ये देश की इकोनॉमी पर गहरा असर डाल रहा है
सबसे पहले समझते हैं कि रुपया क्यों गिर रहा है। दिसंबर 2025 में रुपया डॉलर के मुकाबले 90 रुपये से ज्यादा हो गया है। याद कीजिए, 2014 में जब मोदी सरकार आई थी, तब रुपया 60-65 के आसपास था। अब 11 साल बाद ये 90 पार! ये 50 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट है। मोदी जी कहते थे कि वो अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे, लेकिन हकीकत ये है कि रुपया एशिया की सबसे खराब परफॉर्म करने वाली करेंसी बन गया है। 2025 में ही 4-5 प्रतिशत की गिरावट हो चुकी है।क्यों हो रहा है ये? वजहें कई हैं, लेकिन सब मोदी सरकार की नाकामी की ओर इशारा करती हैं। पहली वजह व्यापार घाटा है। भारत ज्यादा आयात करता है, कम निर्यात।
तेल, सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स – सब बाहर से आते हैं। अक्टूबर 2025 में व्यापार घाटा 41.7 बिलियन डॉलर हो गया। मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया का ढोल बहुत जोर जोर से पीटा, लेकिन फैक्टरियां कहां बनीं? चीन से आयात बढ़ता जा रहा है, हमारा घाटा बढ़ता जा रहा है। विदेशी निवेशक भारत से पैसे निकाल रहे हैं – 2025 में 16 बिलियन डॉलर से ज्यादा निकल चुके हैं। क्यों? क्योंकि मोदी सरकार की नीतियां निवेशकों का भरोसा तोड़ रही हैं। अमेरिका के ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए, लेकिन मोदी जी ने क्या किया? चुप्पी साध ली। कोई डिप्लोमेसी नहीं, कोई जवाब नहीं।
हमारी गिरती इकोनॉमी के पीछे दूसरी वजह वैश्विक दबाव है, लेकिन मोदी सरकार सिर्फ चुनावी मंचों पर बड़ी बड़ी बातें करती है लेकिन सच में वैश्विक मंचों पर कुछ खास नहीं कर पा रही है। अमेरिकी डॉलर मजबूत है, फेड रेट्स ऊंचे हैं, लेकिन दूसरे देश जैसे जापान, चीन अपनी करेंसी को संभाल रहे हैं। भारत में आरबीआई तो हस्तक्षेप कर रहा है, लेकिन मोदी सरकार की कोई लंबी योजना नहीं। विदेशी मुद्रा भंडार 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया – 5.693 बिलियन डॉलर की गिरावट। मोदी जी के विश्वगुरु बनने के चक्कर में अर्थव्यवस्था पीछे छूट गई। कांग्रेस के समय में भी उतार-चढ़ाव थे, लेकिन इतनी बड़ी गिरावट नहीं।
मोदी सरकार की नाकामी साफ दिख रही है – बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर, जीडीपी ग्रोथ घटकर 6.5 प्रतिशत पर आ गई, लेकिन मोदी जी पॉडकास्ट और महाकुंभ में व्यस्त हैं।ये गिरावट हजारों करोड़ की चपत है। आयात महंगे हो रहे हैं, तो जाहिर सी बात है कि महंगाई बढ़ेगी। पेट्रोल, डीजल, खाने-पीने की चीजें – सब पर असर होगा। मोदी सरकार कहती है चिंता मत करो, लेकिन सीईए नागेश्वरन कहते हैं -मैं नींद नहीं खो रहाष् अरे भाई, आपकी नींद तो ठीक है, लेकिन देश की जनता की नींद उड़ी हुई है!
रुपया गिरता है तो आयात महंगे होते हैं, और महंगाई बढ़ती है। अभी तो सीपीआई इन्फ्लेशन 0.25प्रतिशत से 3.8 प्रतिशत के बीच है – जून 2025 में 2.1प्रतिशत, जुलाई में 1.55 प्रतिशत, अक्टूबर में 0.25 प्रतिशत। लगता है कम है न? लेकिन ये मोदी सरकार की जादूगरी है। असली महंगाई तो आने वाली है। रुपया 90 पर पहुंचा, तो तेल का आयात महंगा होगा। भारत का 80 प्रतिशत तेल बाहर से लाता है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे, ट्रांसपोर्ट महंगा होगा, सब्जी-फल महंगे होंगे। मोदी सरकार कहती है इन्फ्लेशन कंट्रोल में है, लेकिन हकीकत देखिए। खाने की महंगाई नेगेटिव लग रही है , लेकिन ये अस्थायी है।
रुपया गिरने से इंपोर्टेड सामान जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाएं, रसायन – सब महंगे। फार्मा और टेक स्टॉक्स गिर रहे हैं। निवेशक डर रहे हैं। सवाल यह है कि मोदी जी के डिजिटल इंडिया का क्या हुआ? आयात पर निर्भरता बढ़ी है। ट्रंप के टैरिफ से एक्सपोर्ट प्रभावित, लेकिन मोदी सरकार चुप।उदाहरण लेकर समझिए कि एक आम परिवार की मान लीजिए सैलरी 50,000 रुपये है। रुपया गिरने से आपकी खरीदने की ताकत 5-6 प्रतिशत कम हो गई। अगर आप विदेशी सामान खरीदते हैं, तो 10-11 प्रतिशत का नुकसान। एनआईआर प्रॉपर्टी सस्ती लग रही है, लेकिन आम आदमी के लिए महंगाई का बोझ है। बेरोजगारी रिकॉर्ड पर है।
इन्फ्लेशन बढ़ेगा तो गरीब और मिडिल क्लास तबाह हो जाएगा। मोदी सरकार की नीतियां – जैसे डेमोक्रेटाइजेशन, जीएसटी के गलत अमल ने अर्थव्यवस्था को कमजोर किया। अब रुपये की गिरावट से हजारों करोड़ का नुकसान है। स्टॉक मार्केट में 24.69 लाख करोड़ का नुकसान 4 दिनों में हो चुका है। निवेशक भाग रहे हैं, क्योंकि मोदी सरकार की कोई योजना नहीं।विपक्ष कह रहा है – कांग्रेस, प्रियंका खरगे, अभिषेक सिंघवी – कि मोदी की नाकामी से ये हो रहा है। खरगे कहते हैं कि रुपया 90 पार, विदेशी कैपिटल निकल रहा, इन्फ्लेशन बढ़ेगा। लेकिन मोदी जी साइलेंट है। रिस्क टेकिंग कैपेसिटी का इस्तेमाल अर्थव्यवस्था को बचाने में नहीं, बल्कि गलत फैसलों में हो रहा है।। मैन्युफैक्चरिंग फेल, एक्सपोर्ट स्टैग्नेंट, ट्रेड डेफिसिट बढ़ा। चीन से घाटा बढ़ रहा है, लेकिन मोदी जी मेक इन इंडिया का सिर्फ नारा देते हैं।
बात पूरी तरह से सच है कि मोदी सरकार की नाकामी ने रुपये को गिराया और महंगाई का दरवाजा खोल दिया। 2014 में वादे थे – मजबूत अर्थव्यवस्था, अच्छे दिन। लेकिन क्या हुआ? रुपया 60 से 90 पर। मोदी जी की विश्वगुरु वाली विदेश नीति फेल। ट्रंप से दोस्ती, लेकिन टैरिफ लग गए। कोई जवाब नहीं आज तक बाहर दे सकता है। सवाल यह है कि मोदी की डिप्लोमेसी कहां? अर्थव्यवस्था के लिए कोई रोडमैप नहीं है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ब्याज दरें कम करने की बात करती हैं, लेकिन ये और खतरनाक है। माना जा रहा है कि रुपया और गिरेगा, इन्फ्लेशन बढ़ेगा।
एफडीआई और एफपीआई की अनदेखी हो रही है। विदेशी निवेशक भाग रहे हैं। 2025 में अरबों डॉलर निकले। क्यों? क्योंकि मोदी सरकार का भरोसा टूटा। स्टॉक मार्केट गिर रहा, सेंसेक्स-निफ्टी नीचे आ गए हैं। वैसे तो जीडीपी का फोरकास्ट 6.5 प्रतिशत है लेकिन असली ग्रोथ कम है। बेरोजगारी रिकॉर्ड पर। मोदी जी कहते थे 2 करोड़ जॉब्स, लेकिन मिले कहां? लोग बेरोजगार, महंगाई बढ़ेगी तो क्या होगा?
इन्फ्लेशन कंट्रोल की झूठी कहानी बनाई जा रही है। अभी कम लग रहा है, लेकिन रुपये की गिरावट से इंपोर्टेड इन्फ्लेशन आएगा। तेल, गैस, फूड – सब महंगे हो जाएंगे। मोदी सरकार आरबीआई पर दबाव डाल रही है, लेकिन कोई लॉन्ग टर्म प्लान नहीं। विदेश नीति भी पूरी तरह से फेल दिख रही है। अमेरिका, चीन से रिलेशन खराब हो चुका है। ट्रंप के टैरिफ से एक्सपोर्ट की रफ्तार बहुत धीमी हो गई है। मोदी जी साइलेंट, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। छात्रों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा रहा है, लेकिन कोई स्टैंड नहीं।
कोरोना महामारी की अगली लहर की आशंका को लेकर ओमिक्रॉन के तेजी से बढ़ते मामलों ने सोमवार को बाजार में कहर मचाकर रख दिया है। मार्केट र्केट पिछले सप्ताह से प्रेशर में बना हुआ है और मंगलवार को कारोबार खुलने पर इससे छुटकारा मिलने का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा है। शुरुआती कारोबार में करीब ढाई फीसदी की इस गिरावट ने बाजार को एक झटके में चार महीने के निचले स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है। घरेलू बाजार प्री-ओपन सेशन में ही 0.50 फीसदी से अधिक की गिरावट में पहुंच गया था।
जैसे ही सेशन ओपन हुआ, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों एक फीसदी से अधिक टूट चुके हैं। बाजार में चारों तरफ हाहाकार का माहौल बन गया था। सारे प्रमुख सूचकांक लाल निशान में बने हुए हैं। इस गिरावट में इन्वेस्टर्स ने चंद मिनटों के कारोबार में हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका है। भारत में ओमिक्रॉन के मामले अब तक 150 से ज्यादा हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 6,500 से अधिक मामले हो चुके हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो कई यूरोपीय देश नई लहर की चपेट में पहुंच गया है। नीदरलैंड ने बढ़ते मामलों को देखते हुए रविवार को फिर से लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया गया है।
ब्रिटेन में पिछले एक सप्ताह में ओमिक्रॉन के मामले 52 फीसदी बढ़ते नजर आ रहे हैं। फ्रांस की सरकार ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि ओमिक्रॉन का संक्रमण बिजली की रफ्तार से फैलता जा रहा है। क्रिसमस और नए साल से पहले पाबंदियों की आहट से इकोनॉमिक ग्रोथ सकंट के बादल बन गए हैं। इन्वेस्टर इस वजह से डरे हुए हैं और तेजी से बाजारों से पैसे निकाल रहा है जिससे बाजार पर काफी असर पड़ रहा है।
ऐसे में साफ है कि एक ओर मोदी सरकार की नीतियां सवालों के घेरे है तो महंगाई भी बढ़ने के आसार हैं और देश की अर्थव्यस्था पर बड़ा खतरा एक्सपर्ट बता रहे हैं। ऐसे में क्या होगा ये तो आने वाला समय बताएंगे लेकिन रुपए की गिरती साथ देश की इकोनॉमी के लिए फिलहाल बड़ा संकट बनती दिख रही है।



