नेहरू पर शाह की टिप्पणी पर कांग्रेस का पलटवार, इतिहासकार के हवाले से कहा–’यह सरासर झूठ’

संसद के शीतकालीन सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर जवाब दिया। लोकसभा में बुधवार (10 दिसंबर) को अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। साथ ही देश में पहले की तीन बार वोट चोरी की घटनाओं की गिनाया। अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि जब आजादी के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए वोटिंग चल रही थी, तब सरदार पटेल को 28 वोट मिले और जवाहरलाल नेहरू को दो वोट। लेकिन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बन गए। यह भी अपने आप में एक तरह की वोट चोरी थी। जिस पर अब कांग्रेस ने पलटवार किया है।
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ अमित शाह के ‘वोट चोरी’ वाले दावे को गलत साबित करने के लिए प्रसिद्ध इतिहास के बयान का हवाला दिया है। पार्टी नेता ने गृह मंत्री अमित शाह के नेहरू के खिलाफ ‘वोट चोरी’ के आरोप को ‘सरासर झूठ’ बताया। इसी के साथ महात्मा गांधी के पोते और जाने-माने जीवनीकार, लेखक और इतिहासकार राजमोहन गांधी के बयान को एक्स पर साझा भी किया।
कांग्रेस ने शुक्रवार को नेहरू पर लगाए गए “वोट चोरी” के आरोप को “सफेद झूठ” बताया और महात्मा गांधी के पौत्र तथा प्रसिद्ध इतिहासकार राजमोहन गांधी की टिप्पणियों का हवाला देकर इस दावे को खारिज किया। कांग्रेस संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर राजमोहन गांधी का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि 1946 में प्रदेश कांग्रेस कमेटियों (PCCs) ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सरदार पटेल का नाम सुझाया था, न कि प्रधानमंत्री पद के लिए। उस समय प्रधानमंत्री के चयन का सवाल ही नहीं उठा था।
इतिहासकार राजमोहन गांधी ने क्या कहा?
जयराम रमेश की ओर से साझा की गई वीडियो में राजमोहन गांधी ने बताया कि 1946 में केवल कांग्रेस अध्यक्ष चुना जा रहा था, प्रधानमंत्री नहीं। PCCs नाम भेजती थीं और अंतिम निर्णय महात्मा गांधी लेते थे। उस समय कई PCCs ने सरदार पटेल का नाम सुझाया, कुछ ने आचार्य कृपलानी का, लेकिन नेहरू का नाम किसी PCC ने नहीं भेजा। पटेल को अध्यक्ष बनाने के सुझाव का उद्देश्य उन्हें सम्मान देना था, प्रधानमंत्री बनाने की कोई सोच नहीं थी। गांधीजी ने पटेल और कृपलानी-दोनों से नाम वापस लेने को कहा और उन्होंने ऐसा कर दिया।
उन्होंने आगे बताया कि कांग्रेस कार्यसमिति ने एकमत से नेहरू को अध्यक्ष चुना, और ब्रिटिश सरकार के साथ समझौता होने पर वही प्रधानमंत्री बने। इतिहासकार राजमोहन ने यह भी कहा कि यदि कांग्रेस या जनता ने पटेल को प्रधानमंत्री बनाना चाहा होता, तो इतिहास में कहीं न कहीं इसका उल्लेख जरूर मिलता।
उन्होंने बताया कि 1950 में अपनी मृत्यु से दो महीने पहले सरदार पटेल ने इंदौर में भाषण देकर कहा था कि “नेहरू का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए अच्छा है और गांधीजी का निर्णय सही था।”

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