संसद में 2 घंटे तक बंद कमरे की मीटिंग, मोदी–शाह–राहुल के बीच क्या चला? 

संसद में हुई 2 घंटे की बंद कमरे की हाई-लेवल मीटिंग ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चा शुरू कर दी है... रिपोर्ट्स और दावों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारतीय राजनीति में एक ऐसी तस्वीर देखने को मिली जो बेहद दुर्लभ है.. संसद भवन के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह.. और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच करीब डेढ़ से दो घंटे तक एक महत्वपूर्ण बैठक हुई.. यह मुलाकात बंद कमरे में हुई और इसने पूरे राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.. हर कोई यह जानना चाहता है कि सत्ता पक्ष.. और विपक्ष के इन तीन बड़े नेताओं के बीच इतनी लंबी बातचीत किस मुद्दे पर हुई.. और इसके क्या राजनीतिक मायने हो सकते हैं.. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सूचना आयोग.. और केंद्रीय सतर्कता आयोग में खाली पड़े महत्वपूर्ण पदों को भरना था.. सूत्रों के अनुसार, बैठक में मुख्य सूचना आयुक्त और सतर्कता आयुक्त जैसे पदों पर नियुक्तियों को लेकर चर्चा हुई.. राहुल गांधी ने सरकार द्वारा सुझाए गए कुछ नामों पर अपनी असहमति जताई.. और एक औपचारिक असहमति नोट दर्ज कराया..

बता दें यह बैठक प्रधानमंत्री के कक्ष में आयोजित की गई थी.. बैठक की अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की.. जिसमें गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे.. बैठक लगभग 90 मिनट से ज्यादा चली.. जो सामान्य से काफी लंबी थी.. इसका कारण था कि इन पदों पर नियुक्तियां एक चयन समिति द्वारा की जाती हैं.. जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता शामिल होते हैं.. केंद्रीय सूचना आयोग का मुख्य काम सूचना के अधिकार कानून को लागू करना है.. जबकि केंद्रीय सतर्कता आयोग भ्रष्टाचार से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.. इन पदों पर सही लोगों की नियुक्ति देश की पारदर्शिता.. और जवाबदेही के लिए जरूरी है.. राहुल गांधी ने बैठक में कहा कि सरकार के प्रस्तावित नामों में विविधता की कमी है.. और कुछ नामों पर सवाल हैं.. और उन्होंने लिखित रूप से अपना विरोध दर्ज कराया.. जो एक सामान्य प्रक्रिया है.. लेकिन यह राजनीतिक तनाव को दर्शाता है..

वहीं इस बैठक के बाद राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गईं.. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात सत्ता.. और विपक्ष के बीच सहयोग की एक मिसाल हो सकती है.. लेकिन राहुल गांधी के असहमति नोट से साफ है कि.. मतभेद अभी भी बने हुए हैं.. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने इन नियुक्तियों में पारदर्शिता और योग्यता पर जोर दिया.. वहीं, सरकार के सूत्रों ने राहुल गांधी के दावों को गलत बताया.. और कहा कि नियुक्तियों में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व है.. उदाहरण के तौर पर सूत्रों ने बताया कि सीआईसी में हाल की नियुक्तियों में विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं.. यह विवाद दिखाता है कि संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियां कितनी संवेदनशील होती हैं..

आपको बता दें कि इस बैठक के साथ ही राहुल गांधी के आगामी बर्लिन दौरे ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है… संसद के शीतकालीन सत्र के बीच राहुल गांधी का जर्मनी जाना भाजपा के लिए हमले का मौका बन गया है.. भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी को विदेश नायक और पर्यटन नेता कहकर तंज कसा.. और उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि संसद सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा.. लेकिन राहुल 15 से 20 दिसंबर तक बर्लिन में रहेंगे.. पूनावाला ने बिहार चुनाव के दौरान भी राहुल के विदेश में होने का जिक्र किया.. और कहा कि यह उनकी गंभीरता पर सवाल उठाता है.. भाजपा के अन्य नेताओं ने भी राहुल को पार्ट टाइम नेता कहा.. और आरोप लगाया कि वे संसद की जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं..

दूसरी ओर कांग्रेस ने इस यात्रा को पार्टी के लिए महत्वपूर्ण बताया.. इंडियन ओवरसीज कांग्रेस ने कहा कि यह दौरा एनआरआई समुदाय से जुड़ने.. और कांग्रेस की विचारधारा को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने के लिए है.. राहुल गांधी 17 दिसंबर को बर्लिन में एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.. जहां यूरोप भर से आईओसी नेता और भारतीय समुदाय के लोग शामिल होंगे.. आईओसी ऑस्ट्रिया के अध्यक्ष औसाफ खान ने कहा कि सैम पित्रोदा और डॉ. आरती कृष्णा जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में राहुल का स्वागत करना सम्मान की बात है.. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भाजपा के हमलों का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी खुद आधा समय विदेश यात्राओं में बिताते हैं.. और उन्होंने कहा कि जब भाजपा के पास राहुल के सवालों का जवाब नहीं होता.. तो वे भ्रम फैलाते हैं.. कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी कहा कि भाजपा महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए राहुल की यात्राओं पर फोकस करती है..

वहीं यह विवाद दिखाता है कि भारतीय राजनीति में विदेश यात्राएं कितनी राजनीतिक हो सकती हैं.. राहुल गांधी की पिछली यात्राएं, जैसे कैंब्रिज में दिए भाषण या अमेरिका दौरे.. भी विवादों में रही हैं.. भाजपा का कहना है कि राहुल देश के मुद्दों से दूर रहते हैं.. जबकि कांग्रेस का तर्क है कि वैश्विक कनेक्शन बनाना जरूरी है.. इस बीच, संसद सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक जैसे अर्थव्यवस्था, किसान मुद्दे और सुरक्षा पर चर्चा हो रही है.. लेकिन यह विवाद मुख्य मुद्दों से ध्यान हटा रहा है..

वहीं अब बात करें नेहरू-बाबरी विवाद की.. जो दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.. इस कड़ी में कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सरदार वल्लभभाई पटेल की बेटी मणिबेन पटेल की डायरी के कुछ पन्ने दिए.. यह किताब ‘इनसाइड स्टोरी ऑफ सरदार पटेल: द डायरी ऑफ मणिबेन पटेल’ का गुजराती अनुवाद था.. रमेश ने कहा कि सर, मैं आपके लिए खास तौर पर मणिबेन पटेल की डायरी का गुजराती अनुवाद लाया हूं.. इसे जरूर पढ़िएगा.. राजनाथ सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा कि मुझे गुजराती नहीं आती.. और पन्ने लेकर आगे बढ़ गए..

बता दें कि यह घटना राजनाथ सिंह के हालिया बयान से जुड़ी है.. गुजरात के वडोदरा जिले के साधली गांव में एक सभा में सिंह ने दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को सरकारी पैसे से बनवाना चाहते थे.. लेकिन सरदार पटेल ने उन्हें रोका.. भाजपा ने इस दावे का समर्थन किया.. और मणिबेन पटेल की डायरी का हवाला दिया.. भाजपा ने यह भी कहा कि नेहरू को दक्षिण भारत के कुछ मंदिर अच्छे नहीं लगते थे.. कांग्रेस ने इसे झूठा बताया और कहा कि डायरी के मूल पन्नों में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है.. कांग्रेस ने राजनाथ सिंह से माफी की मांग की है..

 

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