मूली का जूस सेहत के लिए है काफी फायदेमंद

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मूली सर्दियों के मौसम में खूब मिलती है। इसका सेवन लोग सबसे ज्यादा सलाद के रूप में करते हैं। साथ ही मूली का अचार, मूली के पराठे भी सर्दियों में खूब खाई जाती है। लेकिन यदि आप मूली का जूस का सेवन नहीं करते हैं तो जरूर थोड़ा सा पिएं, क्योंकि मूली खाने के साथ ही इसका जूस पीना भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। मूली का जूस प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया ऐसा सरल किंतु अत्यंत प्रभावी पेय है, जिसे आयुर्वेद मूत्रविरेचनीय, पित्त-शामक, अग्नि-दीपक और रक्तशोधक गुणों वाला मानता है। इसका रस शरीर के भीतर जमे हुए कफ और विषाक्त पदार्थों को ढीला कर बाहर निकालने की क्षमता रखता है। जब यकृत पर भार बढऩे लगता है, पाचन दुर्बल हो जाता है या शरीर में जलन, पित्त, अम्लता और भारीपन की प्रवृत्ति बढ़ जाती है, तब मूली का रस धीरे-धीरे वात-पित्त-कफ को संतुलित कर प्रणाली को पुन: सुचारु बनाता है।

रक्त को करे शुद्ध

मूत्रविकार—जैसे जलन, बार-बार पेशाब आना, सूजन, शरीर में पानी की रुकावट, गुर्दों पर भार—इन सबमें मूली का रस मूत्रवह स्रोतस की शुद्धि में सहायता करता है। इसकी मूत्र बढ़ाने वाली प्रवृत्ति शरीर में अति-सोडियम, यूरिक एसिड और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक है। यही कारण है कि गठिया, जोड़ों के दर्द और यूरिक एसिड बढऩे पर भी इसका नियंत्रित सेवन लाभदायक माना गया है। रक्त को शुद्ध करने की क्षमता होने के कारण त्वचा विकार—जैसे मुहाँसे, दाग, काले धब्बे, गर्मी के फोड़े, खुजली—में भी यह भीतर से सुधार लाता है। इसके अलावा मूली में ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है, इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए यह एक बेहतरीन सब्ज़ी है।

पाचन रखे सही

कब्ज, गैस, भारीपन, अपच और एसिडिटी में मूली का रस पेट को शीतलता देते हुए आंतों की गतिशीलता सुधारता है। इसका क्षारत्व पेट की अम्लता को शांत कर भोजन के अपघटन को सहज बनाता है। पित्त की उत्तेजना, सीने में जलन और मुंह में कड़वाहट जैसी स्थितियों में यह स्वाभाविक राहत देता है। यकृत और पित्ताशय की सूजन, फैटी लिवर, पित्त की गाढ़ी प्रकृति तथा पित्त-रुकावट में मूली का रस पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में लाभकारी कहा गया है, क्योंकि यह रसायन क्रिया को सुचारु कर पित्त-प्रवाह को सहज बनाता है। इसके अलावा मूली पोटेशियम का अच्छा स्रोत है, जो रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचाता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

जमे कफ से दे राहत

श्वसन तंत्र में जमे कफ को निकालने की शक्ति होने से यह पुराने जमाव, खांसी, गले की खराश और सांस की भारीपन जैसी स्थितियों में भी मदद करता है। आयुर्वेद मूली के रस को उन स्थितियों में विशेष उपयोगी मानता है जहां शरीर में गर्मी, रुकावट, सूजन और भारीपन का संयोग पाया जाता है। नियमित और नियंत्रित मात्रा में लिया गया यह सरल पेय शरीर के भीतर गहराई तक जाकर शोधन, शमन और संतुलन—तीनों कार्य करता है।

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