नेहरू के गायब पेपर्स पर मोदी सरकार फंसी, संबित पात्रा की संसद में थू-थू!

पीएम साहब और उनकी पार्टी का नेहरु वाला दांव आज सदन में उन्हीं के खिलाफ उल्ट पड़ जब गया। किसी और ने नहीं बल्कि पीएम साहब के एक बडे खास मंत्री ने अपने ही सरकार की गजब बैंड बजाई है और भरे सदन में न सिर्फ पीएम साहब के दावों की हवा निकाल दी.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: पीएम साहब और उनकी पार्टी का नेहरु वाला दांव आज सदन में उन्हीं के खिलाफ उल्ट पड़ जब गया। किसी और ने नहीं बल्कि पीएम साहब के एक बडे खास मंत्री ने अपने ही सरकार की गजब बैंड बजाई है और भरे सदन में न सिर्फ पीएम साहब के दावों की हवा निकाल दी.

बल्कि सरेआम अपने पार्टी की ही एक सांसद सबिंत पात्रा को बुरी तरह से बेइज्जत कर दिया। कैसे भरे सदन में पीएम साहब और उनकी पार्टी को उनके ही एक मंत्री ने बुरी तरह से फंसा दिया बल्कि संबित पात्रा को बेइज्जत कराया है,

पीएम साहब ने 11 सालों में क्या-क्या नहीं किया? अच्छे दिन का वादा किया, लेकिन महंगाई बढ़ाई, बेरोजगारी बढ़ाई, और सबसे खास बात देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जैसे महान नेता को बदनाम करने की साजिश रच रही है। नेहरू के गायब पेपर्स का मुद्दा उठाकर बीजेपी ने सोचा था कि कांग्रेस को घेर लेंगे, लेकिन हो गया उल्टा! संसद में बीजेपी के ही मंत्री ने ही सांसद संबित पात्रा भरे सदन में लंका लगा दी। असल में पिछले दिनों सांसद संबित पात्रा ने जवाहर लाल नेहरू के गायब पेपर्स का मामला सदन में उठाया था।

उनका दावा था कि पेपर अचानक गायब कर दिए गए हैं। वैयनेहरू जी भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने आजादी के बाद देश को संभाला, संविधान बनवाया, और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। लेकिन मोदी सरकार को नेहरू नफरत करती है? क्योंकि नेहरु को आरएसएस की विचारधार पसंद नहीं थी। नेहरू धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, और गरीबों के हक के लिए लड़ने वाले प्रधानमंत्री थें।

पिछले दिनों मोदी की सरकार ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर प्रधानमंत्री म्यूजियम कर दिया, जैसे नेहरू जी को मिटाना चाहते हों। बीजेपी का दावा थ कि साल 2008 में सोनिया गांधी जी के आदेश पर नेहरू जी के 51 कार्टन दस्तावेज प्रधानमंत्री म्यूजियम से से निकाले गए। इनमें नेहरू जी के पत्र थे कि एडविना माउंटबेटन से, जयप्रकाश नारायण से, गोविंद बल्लभ पंत से को लिखे गए थे। बीजेपी कहती है ये राष्ट्रीय धरोहर हैं, गांधी परिवार ने चुराए हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? ये दस्तावेज नेहरू जी के पर्सनल पेपर्स थे, जो 1971 में डोनेट किए गए थे।

2008 में यूपीए की सरकार के समय सोनिया जी के प्रतिनिधि ने इन्हें रिव्यू किया और कुछ निकाले, लेकिन कोई चोरी नहीं की। लेकिन मोदी सरकार ने इसे साजिश बना दिया, नेहरू को बदनाम करने के लिए। साल 2024 के विंटर सेशन में, बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने लोकसभा में सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी से नेहरू जी के दस्तावेज गायब हैं? क्या सोनिया गांधी ने इन्हें निकलवाया?पात्रा जी को लगा कि ये सवाल से कांग्रेस फंसेगी, मोदी जी की सरकार चमकेगी। लेकिन जवाब क्या आया? मोदी सरकार के संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 2025 में प्रधानमंत्री म्यूजियम की जांच हुई, नेहरू जी से जुड़ा कोई दस्तावेज गायब नहीं पाया गया।

संसद में हंगामा हो गया। पात्रा जी का मुंह लाल हो गया, क्योंकि उनकी अपनी सरकार ने उनका क्लेम खारिज कर दिया। मंत्री ने लंका लगा दी, मतलब सच्चाई बताकर बीजेपी की साजिश की धज्जियां उड़ा दीं। मोदी सरकार फंस गई, क्योंकि एक तरफ बीजेपी प्रोपगैंडा फैला रही है कि पेपर्स गायब हैं, दूसरी तरफ उनकी सरकार कह रही है सब ठीक है।

ये क्या है? झूठ की फैक्ट्री? नेहरू जी को बदनाम करने का प्लान जो खुद पर भारी पड़ गया!दोस्तों, ये पहली बार नहीं जब मोदी सरकार ने नेहरू जी पर झूठा हमला किया। याद कीजिए, मोदी जी ने संसद में कहा था कि नेहरू ने सरदार पटेल की अंत्येष्टि में नहीं गए लेकिन फोटो सामने आए, नेहरू जी वहां थे। फिर मोदी जी ने कहा नेहरू जी ने संविधान को लहुलुहान किया लेकिन सच्चाई ये है कि नेहरू जी ने संशोधन से देश मजबूत किया, जैसे जमींदारी उन्मूलन।

बीजेपी के लोग संसद में नेहरू जी पर चार्जशीट लहराते हैं, लेकिन वो सारे दस्तावेज पहले से पब्लिक हैं। नेहरू के सेलेक्ट वर्ल्ड के 100 वॉल्यूम में। मोदी सरकार क्यों नेहरू जी से डरती है? क्योंकि नेहरू जी ने आरएसएस की विचारधार को सही नहीं मानते थे उनके साथ सरदार पटेल का भी यही मानना था और उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ को बैन कर दिया था। और यही वजह है कि मोदी सरकार नेहरू जी की विरासत मिटाने पर तुली है। म्यूजियम का नाम बदला, अब पेपर्स का झूठा ड्रामा कर रही थी। और संबित पात्रा जैसे प्रवक्ता तो बस मोदी जी की कठपुतली हैं, रोज टीवी पर चिल्लाते हैं, लेकिन संसद में बेइज्जत हो जाते हैं.

हिस्टोरियन रिजवान कादरी, जो प्रधानमंत्री म्यूजियम के सदस्य हैं, ने सोनिया जी और राहुल जी को लेटर लिखा कि दस्तावेज वापस करो या डिजिटाइज करो। लेकिन कादरी जी बीजेपी के करीबी लगते हैं, क्योंकि बीजेपी ने इसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाया। पात्रा जी ने कहा कि ष्ये पत्र नहीं, इतिहास हैं। गांधी परिवार को एंटाइटलमेंट है, जैसे देश उनकी जागीर हो। लेकिन मंत्री शेखावत ने संसद में साफ कहा कि ष्कोई दस्तावेज मिसिंग नहीं। ये विरोधाभास क्यों? क्योंकि मोदी सरकार में दाएं हाथ को बाएं हाथ की खबर नहीं। एक तरफ बीजेपी वोट के लिए नेहरू को बदनाम करती है, दूसरी तरफ सरकार तथ्यों से भाग नहीं सकती। रिजल्ट ? पात्रा जी की बेइज्जती!

संबित पात्रासवाल पूछते हैं, इस उम्मीद से कि मंत्री कांग्रेस को कोसेगा, लेकिनउनका ही मंत्री कहता है कि कोई मामला नहीं। ये लंका लगाना नहीं तो क्या है? मोदी जी की सरकार खुद अपने लोगों को शर्मिंदा कर रही है।ये मामला सिर्फ पेपर्स का नहीं, मोदी सरकार की पूरी पॉलिसी का है। 11 सालों में क्या किया? अर्थव्यवस्था डगमगा रही, रुपया गिर रहा, किसान परेशान, युवा बेरोजगार। लेकिन नेहरू पर हमला करके ध्यान भटकाते हैं।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि ये डाइवर्शन टैक्टिक है। बीजेपी आरएसस को नेहरू से समस्या है। मोदी सरकार नेहरू जी की तरह लोकतंत्र नहीं चलाती है विपक्ष को दबाती है, मीडिया को कंट्रोल करती है। नेहरू ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया, लेकिन मोदी जी संसद से भागते हैं। चीन युद्ध के बाद नेहरू जी ने विशेष सत्र बुलाया, 1 लाख शब्द बोले, लेकिन मोदी जी लद्दाख पर चुप। नेहरू जी ने कहा कि अफवाहें देश की दुश्मन हैं। लेकिन मोदी सरकार अफवाहों की फैक्ट्री चला रही है।

जब का ये मामला है तक साल 2008 में सोनिया गांधी चेयरपर्सन थीं। नेहरू जी के पेपर्स को सेग्रिगेट किया जा रहा था कि गवर्नमेंट वाले अलग, पर्सनल अलग। सोनिया जी के प्रतिनिधि एमवी राजन ने 51 कार्टन रिव्यू किए, कुछ निकाले। लेकिन कोई चोरी नहीं की क्योंकि ये फैमिली डॉक्यूमेंट्स थे। 2010 में डिजिटाइजेशन का प्लान था, लेकिन नहीं हुआ। अब मोदी सरकार में प्रधानमंत्री म्यूजिम में लेटर लिखा, लेकिन संसद में मंत्री ने कहा सब ठीक है।

ये दिखाता है कि बीजेपी का दावा झूठा है। पीटीआई न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि 2025 इंस्पेक्शन में कोई नेहरू डॉक्यूमेंट मिसिंग नहीं। कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने मोदी के मंत्री के सवलों के जवाब वाले लेटर को अपने एक्स पर शेयर किया है और सवाल उठाया है कि जो लोग नेहरु के लेटर पर सवाल उठा रहे थे। सोनिया गंधी और गांधी परिवार को चोर बता रहे थे। लेकिन सारा खेल फ्लाप हो गया। और साबित हो गया कि ये बीजेपी का प्रोपेगेंडा है।

संबित पात्रा जैसे लोग टीवी पर चिल्लाते हैं, लेकिन संसद में फेल हो जाते हैं। दोस्तों, ये मोदी सरकार की नाकामी है कि नेहरू जी को मिटाने की कोशिश, लेकिन खुद फंस गए। जनता पूछ रही है कि पीएम साहब वाले अ अच्छे दिन कब आएंगे? महंगाई कब कम होगी? क्योंकि पीएम साहब को 60 पर मिला पेट्रोल अब 100 पार हो गया है। 400 रुपए में मिलने वाली सिलेंडर 1000 में पहुंच गई है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले शतक लगाने को तैयार है।

जीडीपी बढ़ रही है लेकिन आदमी की आमदनी में गोथ नहीं हो रहा है। बेरोजगारी अपने चरम पर है। कोई पूछने वाला नहीं है। संसद में मंे जनता और देश से जुड़े मुददों पर चर्चा नहीं हो रही है लेकिन नेहरु को बदनाम किया जा राह है। और ये सिर्फ और सिर्फ एक इसलिए कहा और चिल्लाया जा रहा है तकि जनता सवाल न पूछ ले। लेकिन जिस तरह से नेहरु के लेटर चोरी होने और सोनिया गांधी पर इल्जाम लगाने के मामले में संबित पात्रा और नेहरु को कोसने वाले जिस तरह से बेइज्जत हुए हैं उससे साफ जाहिर है कि धीरे धीरे ही सही लेकिन हर एक बात महात्मा गांधी और नेहरुर की सही होगी.

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