चुनावी नतीजों को लेकर भड़के संजय राउत, चुनाव आयोग पर लगाए गभीर आरोप!

महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव में महायुति की जीत के बाद एक तरफ जहां महायुति खेमे में ख़ुशी का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष हमलावर है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव में महायुति की जीत के बाद एक तरफ जहां महायुति खेमे में ख़ुशी का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष हमलावर है। चुनावी नतीजों को लेकर विपक्ष सत्ताधारी गठबंधन और चुनाव आयोग पर हमलावर है।

महाराष्ट्र में विपक्षी दल कांग्रेस और शिवसेना यूबीटी ने नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों में अपनी हार एक तरह से स्वीकार कर ली और निर्वाचन आयोग पर सत्तारूढ़ महायुति की जीत में मदद करने का आरोप लगाया. दो चरणों में आयोजित 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में अध्यक्ष और सदस्यों के पदों के चुनावों के लिए मतों की गिनती सुबह शुरू हुई. पूरे महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की जीत के बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने राज्य निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा. इसे लेकर शिवसेना यूबीटी के नेता अंबदास दानवे ने महायुति की जीत का श्रेय धनबल और बाहुबल को दिया. छत्रपति संभाजीनगर में दानवे ने कहा कि महा विकास आघाडी के घटक दलों की तुलना में महायुति ने अधिक सीट हासिल की हैं, जिसका श्रेय सत्ताधारी दलों द्वारा इस्तेमाल किए गए बाहुबल और धनबल को जाता है.

साथ ही दानवे ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव परिणाम अगले महीने होने वाले 29 नगर निगमों के आगामी चुनावों को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि नगर निकायों के लिए मतदाताओं का आधार विशाल है और मुद्दे भी अलग-अलग हैं. शहरी मतदाता अलग तरह से सोचते हैं. दानवे ने कहा कि आगामी चुनावों के लिए गठबंधन की संभावना स्थानीय नेतृत्व पर निर्भर करेगी. वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षद पदों पर जीत हासिल करने वाले पार्टी उम्मीदवारों को बधाई दी. उन्होंने चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की मदद करने के लिए राज्य निर्वाचन निकाय को बधाई दी.

वहीं चुनावी नतीजों को लेकर शिवसेना UBT नेता संजय राउत ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि “आजकल चुनाव, चुनाव की तरह नहीं होते, उनकी बोली लगती है”। राउत ने आरोप लगाया कि निकाय चुनाव में पैसों का जमकर इस्तेमाल हुआ है, जहाँ 30 करोड़ के बजट वाली नगर पालिकाओं में 150 करोड़ रुपये तक खर्च किए गए। इसके साथ ही राउत ने मुंबई में बीजेपी विधायक पराग शाह द्वारा एक ऑटो-रिक्शा चालक को थप्पड़ मारने को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने दावा किया है कि मारपीट का शिकार हुआ रिक्शावाला मराठी था और इस घटना के जरिए बीजेपी की कथित तानाशाही और दोहरे मापदंड उजागर होते हैं. यह बयान मुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले आया है, इसलिए इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ गया है.

आपको बता दें कि यह घटना मुंबई के घाटकोपर पूर्व इलाके की है, जहां यातायात नियमों के उल्लंघन और फुटपाथ अतिक्रमण की शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं. वल्लभबाग लेन और खौगली क्षेत्र में दुकानदारों द्वारा फुटपाथ पर कुर्सियां और बेंच रखने के मामले सामने आए थे. इसी के मद्देनजर बीजेपी विधायक पराग शाह इलाके के दौरे पर पहुंचे थे. महात्मा गांधी रोड पर एक ऑटो-रिक्शा चालक को गलत दिशा में वाहन चलाते देख पराग शाह भड़क गए और गुस्से में उन्होंने रिक्शावाले को थप्पड़ मार दिया. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद विधायक की भूमिका और कानून हाथ में लेने के अधिकार पर सवाल उठने लगे.

ऐसे में अब मुंबई में आयोजित पत्रकार परिषद में संजय राउत ने इस घटना को लेकर भाजपा पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि अगर किसी रिक्शावाले ने नियम तोड़ा भी हो, तो किसी विधायक को हाथ उठाने का अधिकार नहीं है. राउत ने आरोप लगाया कि BJP सरकार खुद रोज नियम तोड़ रही है और मुंबई को नियमबाह्य तरीके से अदानी समूह के हवाले किया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या पराग शाह में इतनी हिम्मत है कि वे अदानी की कॉलर पकड़ सकें या देवेंद्र फडणवीस से मिठागार और धारावी की जमीन देने पर जवाब मांग सकें. राउत ने यह भी कहा कि जिस रिक्शावाले को मारा गया, वह मराठी था और इस मुद्दे पर बीजेपी की चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है. संजय राउत का यह बयान मुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले आया है, इसलिए इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ गया है.

इस दौरान संजय राउत ने ठाकरे गुट और MNS के गठबंधन पर भी बात की और बताया कि मुंबई, ठाणे, नाशिक, मीरा-भाईंदर और कल्याण-डोंबिवली में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और नामांकन से पहले गठबंधन की औपचारिक घोषणा की जाएगी. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पहले ही बड़ा ऐलान कर चुकी है। कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह आगामी मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी चुनाव महाविकास आघाड़ी के साथ नहीं लड़ेगी. कांग्रेस ने यह फैसला मुंबई में हुई समीक्षा बैठक के बाद लिया. इस फैसले को एमवीए के लिए बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है. सियासी पंडितों के मुताबिक साल 2026 के बीएमसी चुनाव राज्य राजनीति का सेमीफाइनल हैं और ये फैसले आगामी विधानसभा चुनाव पर भी असर डाल सकते हैं.

मुंबई में हुई कांग्रेस की बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि कांग्रेस बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी. हालांकि MVA से दूरी बनाने के बावजूद कांग्रेस प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ गठबंधन को लेकर उत्सुक दिखाई दे रही है. हाल ही में नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों में वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रदर्शन ने कांग्रेस को रणनीतिक रूप से आकर्षित किया है. मुंबई कांग्रेस की ओर से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी यू. बी. वेंकटेश, सचिन सावंत और पूर्व मंत्री व विधायक असलम शेख ने वंचित के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर से मुलाकात की. कांग्रेस के मुताबिक बातचीत सकारात्मक रही है और दोनों दल जल्द ही गठबंधन की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं.

वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई कांग्रेस ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी में विधायक अमीन पटेल, पूर्व विधायक मधु चव्हाण और एआईसीसी सेक्रेटरी व मुंबई कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सचिन सावंत शामिल हैं. कांग्रेस का कहना है कि जल्द ही फिर से बैठक होगी और गठबंधन को अंतिम रूप दिया जाएगा. गौरतलब है कि एक तरफ जहां महाराष्ट्र नगर निकाय चुनाव के नतीजों पर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आगामी चुनावी की तैयारियां भी जोरों पर हैं।

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