2025 तक 35,000 करोड़ के रक्षा उपकरणों को करेंगे निर्यात : राजनाथ सिंह
- वैश्विक लीडर बनने में प्रयासरत है भारत
लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेंगलुरु में रक्षा मंत्रालय की सलाहकार समिति में दो टूक कहा कि भारत आज रक्षा उपकरणों में संपन्न है और देश की सभी सीमाएं सुरक्षित हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ सालों में सरकार ने डीपीएसयूएस के माध्यम से, विभिन्न रक्षा उपकरण की वाइड रैगिंग प्रोडक्ïशन फैसलिटीज को स्थापित करने में बड़ी सुविधा प्रदान की है। रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने और भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से, हमने 2024-25 तक ऐरोस्पेस और रक्षा सामान और सेवाएं में 35,000 करोड़ रुपए (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया है। हमारा विजन, पब्लिक और निजी क्षेत्र के सक्रिय साझेदारी के साथ भारत को रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल करना है। 2014 के बाद से भारत सरकार ने निर्यात, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ऑफसेट डिस्चार्ज के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र में कई सुधारों किए हैं। निर्यात प्राधिकरण के अनुदान के लिए, अपलीकेशन की रिसीप्ट और प्रोसेसिंग के लिए इंड टू इंड पोर्टल डेवलप किया गया है। राजनाथ सिंह ने कहा सर्विस द्वारा डी-इनडक्ट किए गए हथियार/उपकरण के एक्सपोर्ट के लिए एक नई स्ट्रेटजी भी तैयार की गई है। ऐसे आइटम को इंडस्ट्री द्वारा नवीकरण के बाद फ्रैंडली फॉरेन कंट्रीज को एक्सपोर्ट किया जाएगा। इसकी कार्यान्वयन दिशा निर्देश को अंतिम रूप दिया जा रहा है। रक्षा-एक्जिम पोर्टल पर विभिन्न हितधारकों से निर्यात लीड भी प्राप्त की जाती हैं और पोर्टल पर पंजीकृत भारतीय रक्षा निर्यातक को सीधे डिसमाइनेट की जाती हैं। अब तक कुल 317 एक्सपोर्ट लीडस डिसमाइनेट की जा चुकी हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे यह बतलाते हुए खुशी है कि इंडस्ट्री जो केवल एक दशक पुरानी है, आज डिफेंस एक्सपो में 80-90 फीसदी शेयर उनका है। यह सरकार के निरंतर सहयोग की वजह से हो पाया। स्टॉकहोम अंतरराष्टï्रीय शांति अनुसंधान संस्थान की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत पहली बार दुनिया के शीर्ष 25 डिफेंस देशों की सूची में शामिल हुआ है। रक्षा मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है ताकि भारत रक्षा निर्यात में वैश्विक लीडर बन सके।
एलडीए का कारनामा : 300 वर्ग मीटर आवंटित भूखंड को कर दिया 180 वर्ग मीटर
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) द्वारा आयोजित प्राधिकरण दिवस/जनता अदालत का आयोजन कराया गया। जनता अदालत में आवंटियों की लंबी फेहरिस्त देखने को मिली। यहां अली नगर सुनहरा के लोगों लविप्रा सचिव पवन कुमार गंगवार से बिजली कनेक्शन के लिए वार्ता करते रहे, लेकिन कोई हल नहीं निकला। वहीं, राजीव कुमार नाम के एक आवंटी का बड़ा गड़बड़झाला सामने आया। दरअसल, राजीव ने वर्ष 2015 में विक्रांत खंड में भूखंड संख्या 1/330 खरीद था। भूखंड का क्षेत्रफल 300 वर्ग मीटर था। इस लाइन में भूखंड संख्या 329 से लेकर 333 तक आवंटित किए थे। लविप्रा ने रजिस्ट्री से पहले 1/330 ए बना दिया। तर्क दिया कि भूखंड संख्या 1/329 का क्षेत्रफल पांच हजार वर्ग फीट था। अन्य भूखंड का क्षेत्रफल भी ज्यादा था। स्थिति यह हो गई कि राजीव कुमार का भूखंड जो 300 वर्ग मीटर का था, वह भूखंड कटने से 180 वर्ग मीटर बचा। उन्होंने शिकायत की तो लविप्रा के काबिल अफसरों ने तर्क दिया कि जिस आवंटी के पास ज्यादा चला गया है, उससे संपर्क करके अपना हिस्सा ले लो। यही नहीं, आवंटी की बाउंड्रीवाल व गेट भी गिरा दिया गया। लविप्रा के अफसरों व अभियंताओं की टीम ने मूल आवंटी से पूछना तक जरूरी नहीं समझा। इसी तरह सीमा कुमार शर्मा ने 2/176 रुचि खंड में भूखंड लिया था, कास्टिंग में पैसों की गणना न होने से आज तक रजिस्ट्री नहीं हो सकी।
अपने ही मोर्चे से योगेंद्र यादव सस्पेंड
नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चे से योगेंद्र यादव को एक माह के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह योगेंद्र यादव का लखीमपुर हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता के घर जाना है। लखीमपुर में मारे गए सभी किसानों की मौत पर सभी विपक्षी पार्टियों ने पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की थी। इसी सिलसिले में योगेंद्र यादव ने हिंसा के दौरान मारे गए भाजपा कार्यकर्ता के घर जाकर अपनी सांत्वना व्यक्त की थी। इससे संयुक्त किसान मोर्चा नाराज था। इस नाराजगी की एक बड़ी वजह पीड़ित का भाजपा कार्यकर्ता होना था। योगेंद्र यादव के खिलाफ मोर्चे ने कार्रवाई करते हुए संयुक्त किसान मोर्चे से एक माह के लिए और इसके अलावा नौ सदस्यीय कमेटी से भी इतने ही समय के लिए निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाली अपनी महापंचायत को भी फिलहाल स्थगित कर दिया है।