हर दौर में कायम रहा नेताजी का जलवा
2019 के लोक सभा चुनाव में मोदी को फिर पीएम बनने का दिया था आशीर्वाद
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के साथ ही उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में एक युग का अवसान हो गया है। राम मनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण से लेकर चौधरी चरण सिंह तक के साथ काम करने वाले मुलायम सिंह यादव ने यूपी की सियासी जमीन को समाजवाद के लिए उर्वर बनाया था। जवानी के दिनों में अखाड़े में पहलवानी करने वाले मुलायम सिंह यादव सियासत में भी अपने चरखा दांव के लिए मशहूर थे। तीन बार यूपी के सीएम रहे मुलायम सिंह यादव के सियासी जीवन में उतार-चढ़ाव जरूर आए लेकिन वह अपने समर्थकों के लिए हमेशा नेताजी बने रहे।
मुलायम सिंह यादव अपने विरोधियों के प्रति भी हमेशा मुलायम बने रहे। यही वजह है कि उनकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा हो या बसपा, सभी से मुलायम सिंह यादव के अच्छे रिश्ते बने रहे। खासतौर पर पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी अच्छी बनती थी। 2019 में लोक सभा चुनाव से पहले संसद के आखिरी सत्र में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिया था कि वह एक बार फिर से पीएम बनेंगे। वे करीब 5 दशकों तक यूपी के शीर्ष नेताओं में एक बने रहे।
नेताजी का सियासी सफर
मुलायम सिंह हमेशा से क्रांतिकारी स्वभाव के रहे। महज 14 साल की उम्र में उन्होंने केंद्र में कांग्रेस सरकार के खिलाफ निकाली गई रैली में हिस्सा लिया था। राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर मुलायम नहर रेट आंदोलन में भी शामिल हुए थे। इस आंदोलन का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके बाद 1954 में उन्होंने राजनीति में अपने सफर की शुरुआत की थी। 1989 में जनता दल से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने। उस समय वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे। 1991 में मुख्यमंत्री पद से हटे और इसके बाद चंद्रशेखर की पार्टी समाजवादी पार्टी (जनता) में शामिल हो गए लेकिन उनको ये पार्टी रास नहीं आई और 4 अक्टूबर 1992 में बेगम हजरत महल पार्क लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना का ऐलान कर दिया। 1996 में पहली बार मैनपुरी से लोक सभा का चुनाव लड़े और दिल्ली की राजनीति में अपनी छाप छोडऩे लगे और देवगौड़ा की सरकार में रक्षा मंत्री बने। तब से लेकर लगातार मैनपुरी से लोक सभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। वह 2014 में आजमगढ़, 1999 में संभल से लोक सभा चुनाव जीते। यही नहीं वह जसवंतनगर, शिकोहबाद, गुन्नौर, शाहजहांपुर की तिलहर और भरथना से विधायक भी रहे। जब मुलायम ने सर्वहारा के हितों के लिए आवाज उठाई तो लोगों द्वारा उन्हें धरतीपुत्र की उपाधि दी गई। नेता जी पहली बार 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1990 में केंद्र में वीपी सिंह सरकार के गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव चंद्रशेखर की जनता दल (सोशलिस्ट) से जुड़ गए और कांग्रेस के समर्थन से सीएम पद पर बने रहे। अप्रैल 1991 में जब कांग्रेस ने इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो मुलायम सिंह यादव की सरकार गिर गई। 1993 में मुलायम सिंह यादव दूसरी बार यूपी के सीएम बने। 1992 में मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। नवंबर 1993 में राज्य में चुनाव होने थे. इससे पहले मुलायम ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया। चुनाव नतीजों के बाद मुलायम बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने में कामयाब रहे और स्वयं सीएम बने। 1995 में मायावती की समर्थन वापसी के बाद ये सरकार भी गिर गई। मुलायम सितंबर 2003 फिर से यूपी के सीएम बने। मायावती और भाजपा ने गठबंधन कर लिया था। मायावती सीएम बनीं लेकिन 25 अगस्त 2003 को बीजेपी ने इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद बीएसपी के बागियों, निर्दलीय और छोटे दलों की मदद से मुलायम ने अपनी सरकार बनाई।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन अत्यंत दुखदाई है। उनके निधन से समाजवाद के प्रमुख स्तंभ एवं संघर्षशील युग का अंत हुआ है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की कामना एवं शोकाकुल परिजनों एवं समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।-सीएम योगी आदित्यनाथ
देश के पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा।
सोनिया गांधी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष
मुलायम सिंह यादव जी का निधन बेहद दु:खद है। वे जमीनी राजनीति से जुड़े एक सच्चे योद्धा थे। मैं अखिलेश यादव समेत सभी शोकाकुल परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।- राहुल गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष
वह बड़े नेता थे जिसे देश को जरूरत थी। वह जमीन और लोगों से जुड़े नेता थे। वह संसद में ऐसी बातें बोलते थे जो हुकूमत सुन सकती थी। उन्होंने गरीबों को उठाने और उनकी बदहाली दूर करने के लिए अपनी जिंदगी दी। – फारुख अब्दुल्ला, नेशनल कॉन्फ्रेस प्रमुख
मुलायम सिंह यादव जी अपने अद्वितीय राजनीतिक कौशल से दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहे। आपातकाल में उन्होंने लोकतंत्र की पुनस्र्थापना के लिए बुलंद आवाज उठाई। वह सदैव एक जमीन से जुड़े जननेता के रूप में याद किए जाएंगे। उनका निधन भारतीय राजनीति के एक युग का अंत है।-अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
मुलायम सिंह यादव जी का राजनीतिक कौशल अद्भुत था। दशकों तक उन्होंने भारतीय राजनीति का एक स्तंभ बनकर समाज व राष्ट्र की सेवा की। जमीन से जुड़े परिवर्तनकारी, सामाजिक सद्भाव के नेता, आपातकाल में लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर के रूप में वे सदैव याद किए जाएंगे। उनका जाना अपूर्णनीय क्षति है।- जेपी नड्डा, भाजपा के राष्टï्रीय अध्यक्ष
सपा के वयोवृद्ध नेता व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन की खबर अति-दु:खद है। उनके परिवार व सभी शुभचिन्तकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दु:ख को सहन करने की शक्ति दे।-मायावती, बसपा प्रमुख
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव जी के निधन का दुखद समाचार मिला। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें एवं उनके सभी प्रशंसकों और परिजनों को ये अपार दुख सहने की शक्ति दें।-अरविंद केजरीवाल, सीएम दिल्ली
मुलायम सिंह यादव जी जमीन से जुड़े एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कई दशकों तक उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई। अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अनेक पदों पर काम किया और देश, समाज एवं प्रदेश के विकास में अपना योगदान दिया। उनका निधन बेहद पीड़ादायक है।- राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
समाजवादी वटवृक्ष सपा संरक्षक मुलायम सिंह जी के निधन की खबर से मर्माहत हूं। देश की राजनीति में एवं वंचितों को अग्रिम पंक्ति में लाने में उनका अतुलनीय योगदान रहा। उनकी यादें जुड़ी रहेगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि।- लालू यादव, राजद अध्यक्ष
पत्नी के निधन के तीन महीने बाद दुनिया छोड़ गए नेताजी
जुलाई में हुआ था साधना गुप्ता का निधन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सपा संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की तबीयत यूं तो पिछले दो साल से ज्यादा खराब थी, लेकिन नौ जुलाई को दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के निधन के बाद वह ज्यादा टूट गए थे। पत्नी की मौत के तीन महीने बाद ही मुलायम सिंह ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इसी साल नौ जुलाई मेदांता अस्पताल में मुलायम सिंह यादव की पत्नी का भी निधन हुआ था। उनके निधन के एक महीने बाद ही मुलायम सिंह की तबियत ज्यादा खराब हो गई। 22 अगस्त को उन्हें मेदांता में भर्ती कराया गया था।
मुलायम सिंह ने 2003 में साधना को आधिकारिक तौर पर अपनी पत्नी का दर्जा दिया था। नौ जुलाई को साधना गुप्ता का गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल निधन हुआ था। एक जुलाई को ही साधना गुप्ता ब्लड प्रेशर, शुगर और फेफड़े के संक्रमण सहित अन्य बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 10 जुलाई को लखनऊ के पिपराघाट पर साधना गुप्ता का अंतिम संस्कार हुआ था। उनके बेटे प्रतीक यादव ने मुखाग्नि दी। अखिलेश यादव की बायोग्राफी बदलाव की लहर में मुलायम सिंह और साधना के रिश्ते का भी जिक्र है। इस किताब में बताया गया है कि मुलायम की मां मूर्ती देवी अक्सर बीमार रहती थीं। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब साधना गुप्ता मूर्ति देवी की देखभाल करती थीं। एक बार सैफई मेडिकल कॉलेज में एक नर्स गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी, उस वक्त साधना ने ही नर्स को रोका था। साधना भी नर्स रही थीं। उन्होंने नर्सिंग का कोर्स करने के बाद उन्होंने कुछ दिनों तक नर्सिंग होम में काम भी किया था। जब ये बात मुलायम को मालूम हुई तो वह साधना से काफी प्रभावित हुए। अस्पताल में ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं। साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक तौर पर पहली बार साधना गुप्ता को अपनी पत्नी का दर्जा दिया। उसी साल मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश यादव की मां मालती देवी का निधन हुआ था।