राहुल ने पलट दी बाजी, अब पलटी मारेंगे नीतीश कुमार!
बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर नीतीश कुमार के सामने जो सियासी कमजोरी आ रही है... उसे वो अपने नए नारे 'जब बात बिहार की हो...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार में नीतीश कुमार के मामले पर बीजेपी ने एक बार फिर यू-टर्न ले लिया है…. वहीं बिहार में यह सवाल सबसे अधिक पूछा जा रहा था कि एनडीए में जिसमें कई पार्टियां शामिल हैं…. मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा…. और किसकी अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगी…. इस पर बीजेपी नेता दिलीप जायसवाल का जवाब आया और उन्होंने कहा कि यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा…. जिसके बाद से सियासी पारा हाई हो गया…. जिसके बाद बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आया है….. बिहार BJP ने बड़ा फैसला लेते हुए नीतीश कुमार की अगुवाई में ही विहार विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है…. भाजपा ने कहा है विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार के नाम पर ही ठप्पा लगा दिया….. इससे मालूम होता है कि बिहार में अभी भी नीतीश कुमार की पकड़ ज्यादा मजबूत है….. वहीं वर्तमान में नीतीश कुमार ‘मिशन बिहार’ पर निकल चुके हैं….. नीतीश कुमार सोमवार को ‘प्रगति यात्रा’ के पहले चरण की शुरुआत पश्चिम चंपारण से कर चुके हैं….. हालांकि, इस यात्रा के शुरू होने के वक्त राज्य के दोनों डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा…. और सम्राट चौधरी नजर नहीं आए….
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी यात्रा की शुरुआत बेतिया के वाल्मीकि नगर के घोटवा टोला से की….. मुख्यमंत्री इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में गए और लोगों की राय भी ली….. अपनी यात्रा के दौरान सीएम कुमार ने करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास…. और उद्घाटन भी किया….. इस यात्रा के जरिए नीतीश कुमार महिलाओं से संवाद कर रहे हैं….. उनकी समस्याओं को समझ रहे हैं…. और निवारण के लिए अधिकारियों को निर्देश भी दे रहे हैं…. यात्रा के पहले चरण में मुख्यमंत्री तेइस से अट्ठाइस दिसंबर तक छह जिलों में जाएंगे….. कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश चौबीस दिसंबर को पूर्वी चंपारण, छब्बीस को शिवहर-सीतामढ़ी, सत्ताइस को मुजफ्फरपुर और अट्ठाइस दिसंबर को वैशाली का दौरा करेंगे….
बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह के एक बयान ने बिहार में एनडीए हरकत में आ गया….. दरअसल अमित शाह ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा था कि बिहार में अगला चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा….. इसका फैसला बीजेपी और जेडीयू की बैठक में लिया जाएगा…. यह खबर बिहार पहुंची तो वहां राजनीतिक गलियारे में हलचल होने लगी…. बैठकों का दौर चलने लगा…. इन बैठकों के बाद कहा गया कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे…. और मुख्यमंत्री भी वही बनेंगे…. बिहार में एनडीए के नेतृत्व को लेकर सवाल इसलिए भी उठाए जा रहे हैं….. क्योंकि इससे पहले महाराष्ट्र में महायुति ने शिवसेना के एकनाथ शिंदे के चेहरे पर चुनाव लड़ा…. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद सीएम बने बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस…. बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अगले साल बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार…. और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगा….. भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि आगामी विधानसभा चुनाव में क्या राजग कुमार को अपने नेता के तौर पर पेश करने पर पुनर्विचार कर सकता है….. तो इस पर उन्होंने कहा कि कोई भ्रम नहीं है…..
दरअसल बिहार में बीजेपी यह जानती है कि एनडीए के लिए नीतीश कुमार अनिवार्य हैं….. इसलिए चुनाव से पहले वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी….. जिससे वो नाराज हो जाएं…. यही वजह थी कि अमित शाह के बयान के बाद बिहार बीजेपी के अध्यक्ष को आगे आकर यह कहना पड़ा कि दो हजार पच्चीस के चुनाव में एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे….. राजनीति के जानकारों का कहना है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की अहमियत है….. ऐसे में बीजेपी को अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए तबतक इंतजार करना होगा….. जब तक कि नीतीश कुमार खुद ही सक्रिय राजनीति से न हट जाएं….. यही वजह है कि बीजेपी के साथ-साथ एनडीए में शामिल जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा…. और चिराग पासवान की लोजपा को भी नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार्य है…..
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार का टेंशन बढ़ने वाला है….. विरोधी के साथ-साथ अब साथी भी सीएम नीतीश पर दबाव बनाने लगे हैं…. प्रेशर पॉलिटिक्स के बीच जेडीयू के लिए अच्छी खबर ये है कि एनडीए के सभी सहयोगियों ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है….. दूसरी ओर हम पार्टी ने बिहार के मुख्यमंत्री से तेजस्वी यादव वाली मांग कर दी है…. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले मांझी ने नीतीश कुमार को सियासी तौर पर फंसा दिया है…. दरअसल, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में अपनी कार्यकारिणी की बैठक की…. इस बैठक में पार्टी ने साफ कर दिया कि वो आने वाले चुनाव एनडीए के साथ ही लड़ेगी….. चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा….. बैठक में बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी पर भी बात हुई…. इस बैठक में पार्टी ने कई अहम प्रस्ताव भी पारित किए…. जैसे माता सबरी योजना बिहार में लागू करना…. और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देना….
आपको बता दें कि बिहार में चुनाव के लिए भले ही करीब दस महीने का समय बचा हो….. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक पोस्टर ने बिहार का सियासी तापमान इतना बढ़ा दिया है….. इसकी आंच बीजेपी के आलाकमान तक पहुंचती हुई नजर आ रही है…. ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ के बाद जेडीयू ने नारा दिया है….. ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो’….. इस नारे के बाद कहा जाने लगा है कि नीतीश कुमार ने इस पोस्टर के जरिए बीजेपी आलाकमान के सामने अपनी मंशा जाहिर कर दी है….. दरअसल नीतीश कुमार प्रगति यात्रा पर हैं और उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत उसी चंपारण से की है….. जहां से महात्मा गांधी ने अपना पहला सत्याग्रह किया था….. यहीं से प्रशांत किशोर ने भी जनसुराज की अपनी यात्रा शुरू की थी…..
ऐसे में प्रगति यात्रा पर निकले नीतीश कुमार के लिए जो पोस्टर जारी किया गया है….. क्या उसे नीतीश कुमार का बीजेपी के लिए संकेत समझा जाए कि नीतीश कुमार महाराष्ट्र वाले एकनाथ शिंदे नहीं हैं कि चुनाव से पहले जरूरत हुई तो विधायकों को लाकर मुख्यमंत्री बन गए…. और चुनाव बाद कम सीटें मिलीं तो मुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बन गए….. क्योंकि ये बात तो बिहार में भी होनी तय है…… पहले भी जब दो हजार बीस के चुनाव में बीजेपी को जेडीयू से ज्यादा सीटें मिलीं तो यही बात उठी कि जब बीजेपी के पास संख्याबल ज्यादा है…. तो मुख्यमंत्री बीजेपी का ही होना चाहिए….. हालांकि तब ये बात बिहार बीजेपी के नेताओं ने ही उठाई थी….. लेकिन आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद ये बाद बंद हो गई…. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही रहे….. लेकिन वो उस सहजता के साथ कभी कुर्सी पर नहीं रहे….. जैसे वो पहले हुआ करते थे…. वो हनक भी कभी नहीं रही…. जैसे पहले हुआ करती थी… क्योंकि बीजेपी की ओर से उनके दाएं और बाएं एक-एक उप-मुख्यमंत्री बिठा दिए गए….. जिनके साथ नीतीश कुमार को सामंजस्य बिठाना ही पड़ा….
वहीं अब जब एक बार फिर से चुनाव हैं….. तो नीतीश कुमार के सामने महाराष्ट्र का मॉडल है…. जहां कम सीटें मिलने पर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री से उप-मुख्यमंत्री बनाने में बीजेपी को जरा भी वक्त नहीं लगा…. और वो भी तब जब महाराष्ट्र में नेतृत्व पर सवाल हुआ था…. तो अमित शाह ने कहा था कि अभी तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही हैं….. लेकिन चुनाव बाद सब बदल गया…. मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री हो गए…. उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री हो गए…. लिहाजा डर तो स्वाभाविक है…. रही-सही कसर गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने पूरी कर दी है…. जिसमें उनसे बिहार में एनडीए की लीडरशिप पर सवाल हुआ था… तो उन्होंने कहा था कि फैसला बीजेपी के संसदीय बोर्ड में होगा….. जबकि इससे पहले खुद अमित शाह ने कहा था कि बिहार का अगला चुनाव भी नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा….
तो अब वक्त की नजाकत को भांपते हुए नीतीश कुमार ने भी दांव चल दिया है….. बता दिया है कि जब बात बिहार की हो…… नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो…. बाकी अगर नीतीश कुमार इसी नारे के साथ आगे बढ़े तो बीजेपी के लिए ये नारा गले की फांस भी बन सकता है….. क्योंकि इस नारे का मतलब होगा कि बीजेपी…. और जेडीयू कम से कम बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़े….. जबकि अभी बिहार में नीतीश कुमार के पास बीजेपी के करीब आधे ही विधायक हैं….. बीजेपी जब सीट शेयरिंग करती है…. तो विधायकों के संख्याबल के हिसाब से ही करती है….. ऐसे में दो सौ तैंतालीस सीटों का बंटवारे के दौरान नीतीश कुमार के सामने जो सियासी कमजोरी आ रही है…… उसे वो अपने नए नारे ‘जब बात बिहार की हो, नाम सिर्फ नीतीश कुमार का हो’ से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं….. देखते हैं कि ये नारा निकला है तो कितनी दूर तलक जाता है…..