पीके के रडार पर आए राहुल गांधी कही ये बात
नई दिल्ली। कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल में टीएमसी के लिए अपनी सफल चुनावी रणनीतियों से भाजपा का सपना तोडऩे वाले जाने-माने पेशेवर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अब कुछ ऐसा कहा है जो बीजेपी के कानों को शहद घोलने वाला है. पीके ने गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, बीजेपी कई दशकों से कहीं नहीं जा रही है और राहुल गांधी के साथ समस्या यह है कि वह इस बात को नहीं समझते है.
कुछ दिन पहले तक प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं थीं. कांग्रेस में कन्हैया कुमार की एंट्री और जिग्नेश मेवाणी के पार्टी में शामिल होने के पीछे पीके का हाथ माना जा रहा था लेकिन उनके ताजा बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस में उनकी संभावित प्रविष्टि खतरे में है.
एक सवाल-जवाब के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा, बीजेपी भारतीय राजनीति का केंद्र बनने जा रही है। वह जीत या हार सकती है लेकिन अब यह साफ है कि कांग्रेस स्वतंत्रता के बाद अपने पहले 40 साल में जैसी मजबूत थी अब वैसी ही भाजपा है. बीजेपी कहीं नहीं जा रही है. एक बार जब आप राष्ट्रीय स्तर पर 30 प्रतिशत + वोट प्राप्त कर लेते हैं, तो आप इतनी तेजी से वापस नहीं जाते हैं.
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, इसलिए आपको कभी इस धारणा के तहत नहीं होना चाहिए कि लोग नाराज हो रहे हैं और वे मोदी को उखाड़ फेंकेंगे. लेकिन बीजेपी कहीं नहीं जा रही है. वह यहीं रहेगी अगले कई दशकों तक यूं ही…..
प्रशांत किशोर ने आगे जो कहा उससे यह लगभग साफ हो गया है कि वह फिलहाल कांग्रेस में नहीं जा रहे हैं. उन्होंने कहा, वास्तव में समस्या शायद राहुल गांधी के साथ है. वह सोचते है कि यह सिर्फ समय की बात है, लोग नरेंद्र मोदी उखाड़ देंगे. जब तक आप उनकी (पीएम मोदी की) ताकत नहीं समझते, तब तक आप उनका मुकाबला नहीं कर सकते, आप उन्हें कभी नहीं हरा सकते.
कुछ दिन पहले प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस के भीतर समस्याएं गहरी हैं और लखीमपुर खीरी की घटना से पार्टी में जान नहीं आएगी. प्रशांत किशोर जाने-माने चुनाव रणनीतिकार हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत का श्रेय भी उनकी रणनीतियों को ही जाता है हालांकि, बाद में उनके और भाजपा के रिश्तों में दरार आ गई थी. अगले ही साल 2015 में उन्होंने बिहार में जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन के लिए काम किया और इस महागठबंधन ने चुनाव में भारी जीत हासिल की हालांकि, बाद में जदयू महागठबंधन छोडक़र भाजपा के साथ वापस आ गई. हाल ही में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके की जबर्दस्त जीत के पीछे उनकी रणनीति को काफी अहम माना जा रहा है.