बुलडोजर के शोर में दब गई पुलिस की नाकामयाबी
प्रयागराज। बहुजन समाज पार्टी विधायक राजू पाल मर्डर केस के अहम गवाह उमेश पाल की सरेआम हत्या कर भागने वाले हत्यारों तक यूपी पुलिस अब तक नहीं पहुंच पाई है। यही सबसे बड़ा सच है। प्रयागराज के जीटी रोड पर 9 दिन पहले 24 फरवरी को उमेश पाल की 13 अपराधियों ने घेर कर हत्या कर दी। सीसीटीवी फुटेज सामने आए। हत्याकांड की भयावहता दिखी। घटना ने सरकार के कानून- व्यवस्था के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया। इसके बाद योगी सरकार एक्शन में आई। अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई को तेज किया गया। मामले के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलना शुरू हो गया। लेकिन, बुलडोजर का शोर इतना अधिक बढ़ गया कि घटना के आरोपियों तक पुलिस के हाथ न पहुंच पाने का मामला पूरी तरह से दबता दिख रहा है। नृशंस हत्याकांड के 9 दिन बाद भी पुलिस के हाथ लगभग खाली दिख रहे हैं। असद के ड्राइवर के एनकाउंटर को छोडक़र उमेश पाल हत्याकांड में उपलब्धि गिनाने जैसा कुछ यूपी पुलिस के पास दिखता नहीं है। हत्याकांड के मुख्य आरोपी अतीक अहमद के तीन बेटों, पत्नी और बमबाज गुड्डू मुस्लिम तक पुलिस पहुंच पाने में कामयाब नहीं हो पाई है। हत्याकांड के आरोपी आखिर कहां छुपे हैं? इनको ढूंढ पाने में पुलिस कामयाब क्यों नहीं हो पाई? अब ये सारे सवाल ने प्रयागराज मर्डर केस में उठने लगे हैं।
पुलिस के खाली हाथ
उमेश पाल की हत्या के बाद पुलिस ने पूर्व सांसद और बाहुबली अतीक अहमद दो बेटों, पत्नी शाइस्ता परवीन, गुड्डू मुस्लिम समेत अन्य पर केस दर्ज किया था। बाद में अतीक अहमद के तीसरे बेटे असद अहमद को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया। इन आरोपियों तक अभी भी पुलिस नहीं पहुंच सकी है। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करती तो दिख रही है, लेकिन आरोपियों तक पहुंच पाने में सफलता उन्हें नहीं मिली है। सफलता के नाम पर पुलिस को गिनाने के लिए शाहबाज का एनकाउंटर दिखता है। उमेश पाल और दो सरकारी गनर की हत्या के मामले में अतीक अहमद के करीबी मसुकुद्दीन के घर पर शुक्रवार को बुलडोजर चला। इसके अलावा गन हाउस चलाने वाले सफदर अली के घर पर भी बुलडोजर एक्शन हुआ। सफदर अली परिवार पर शूटरों को गोली देने का आरोप लगा है। इससे पहले जफर अहमद के घर पर योगी सरकार का बुलडोजर चला था।
कहां गायब हो गए हत्यारे
प्रयागराज हत्याकांड के 9 दिन बाद भी पुलिस उमेश पाल और उनके दो गनरों पर गोली और बम चलाने वालों को तलाश नहीं पाई है। हमले में शामिल शूटर अरमान पुलिस शिकंजे से बाहर है। ताबड़तोड़ बम बरसाकर इलाके में दहशत पैदा करने वाला गुड्डू मुस्लिम अभी भी गिरफ्त से बाहर है। तीसरा हमलावर मोहम्मद गुलाम भी फरार है। सीसीटीवी फुटेज में गुलाम को दुकान में खरीदते देखा गया था। बाद में वह गन निकालकर हमला करते देखा गया। उमेश पाल की कार के पीछे खड़े होकर राइफल से हमला करने वाले अपराधी तक भी पुलिस नहीं पहुंच पाई है। पुलिस केवल एक आरोपी को गिरफ्तार कर पाई है, जिसने हेलमेट लगाकर कार के आगे से फायरिंग की थी।
दावों का दम
पुलिस का दावा है कि सूटर की गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर शाहबाज एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया है। हालांकि, हत्याकांड में पुलिस अब तक उन्हीं नामों पर बात करती दिख रही है, जिन पर उमेश पाल की पत्नी माया पाल ने एफआईआर दर्ज कराए हैं। सदाकत को साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में सरकार के इकबाल को सीधी चुनौती देने वाले शूटर्स और बमबाज कौन हैं? कहां है? हमले का कारण क्या था? यह सारे सवाल अभी भी अनुत्तरित है। बुलडोजर कार्रवाई भी अब सवालों के घेरे में आती दिख रही है।
सवाल यह कि क्या प्रयागराज हत्याकांड से जुड़े आरोपियों के घर पर बुलडोजर चल रहे हैं? 24 फरवरी को हुए हत्याकांड में जिन आरोपियों के नाम आ रहे हैं, क्या उनके घर बुलडोजर से गिराए गए? अगर इन सवालों के उत्तर हां नहीं हैं, तो फिर सवाल यूपी पुलिस पर उठता है। सवाल यह कि क्या बुलडोजर के शोर में अपराधियों की गिरेबान तक हाथ न पहुंच पाने की नाकामयाबी को बुलडोजर के शोर से दबाने की कोशिश की जा रही है?