राम ही बनाएंगे काम…
योगी सरकार की नवरात्र और रामनवमी पर एक-एक लाख की घोषणा पर संग्राम
- भाजपा ने किया स्वागत, विपक्ष ने कहा संविधान के मूल भावना को चोट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जैसे-जैसै 2024 करीब आ रहा है धर्म राजनीति पर हावी होने लगा है। ताजा मामला यूपी का है। योगी सरकार ने नवरात्र और रामनवमी के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों को एक-एक लाख रुपये मुहैया कराने का फैसला किया है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक इस फैसले का स्वागत कर रही है। हालांकि इस फैसले की आलोचना भी हो रही है। सियासी जानकार मानते है ये सब चुनावी फैसले हैं। नवरात्रि व रामनवमी बिना सरकारी मदद के ही कई कार्यक्रम आम लोगों द्वारा मनाए जाते रहे हैं। कुछ कार्यक्रमों को सरकारी अधिकारी या जनप्रतिनिधियों द्वारा मदद मिलती रही है। ये फैसला चूकि सरकार की ओर से लिया गया है ऐसे में सियासी बहस हो लाजिमी है।
सरकार की ओर से अन्य धर्मों के कार्यक्रमों में भी डीएम के माध्यम से मदद की जाती है। 22 मार्च से नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुर्गा सप्तशती और रामनवमी पर अखंड रामायण पाठ कराने का फैसला किया है। इसका आयोजन सरकारी स्तर पर होगा जिसके लिए जिलाधिकारियों को धनराशि आवंटित की जाएगी। जिलाधिकारियों से मंदिरों का ब्यौरा मांगा गया है ताकि वहां आयोजन कराए जा सकें। साथ ही डीएम को देवी मंदिर और शक्ति पीठों में कलाकार चयन और समितियां बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं। सरकार ने इसके लिए राज्य स्तर पर दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। सरकार की ओऱ से कहा गया है कि इन कार्यक्रमों में महिलाओं और बालिकाओं की भागीदारी विशेष रूप से होनी चाहिए। इस घोषणा पर राजनीतिक बहस होना लाजिमी है जहां सपा के नेता हसन ने इस पर आपत्ति की है वहीं डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने कहा है इस तरह के आयोजन होने चाहिए इससे सांस्कृतिक प्रभाव पड़ता है। लोगों में एक दूसरे से जुडऩे का आधार बनता है। डिप्टी सीएम ने इस पहल की तारीफ की है। मौर्य ने कहा, भगवान श्रीराम और रामचरितमानस से जुड़े किसी भी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। इस पर कोई सवाल या जवाब नहीं होना चाहिए, मैं बस यही चाहता हूं।
अन्य राज्यों में हुए आयोजन
ऐसे धार्मिक आयोजनों के लिए पश्चिम बंगाल, राजस्थान व अन्य सरकारें भी समय-समय पर मदद दे चुकीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य में धार्मिक मेलों के सफल एवं सुरक्षित आयोजन के लिए कहा था कि सरकार संकल्पित होकर कार्य कर रही है और इसके लिए धर्म-गुरुओं और सामाजिक संस्थानों के साथ समन्वय कर कार्य किया जा रहा है। गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर धार्मिक स्थलों पर मेलों तथा अन्य आयोजनों में सुरक्षा एवं प्रबंध के संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रहे थे। बंगाल में सीएए ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजा पंडालों को दस-दस हजार रुपये आवंटित किए थे।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश
भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची धार्मिक संस्थानों, दान और न्यासों को तथाकथित समवर्ती सूची में रखती है, जिसका अर्थ है कि भारत की केंद्र सरकार और भारत में विभिन्न राज्य सरकारें धार्मिक संस्थानों, दान और न्यासों के बारे में अपने कानून बना सकती हैं। यदि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून और राज्य सरकार के कानून के बीच कोई विरोध होता है, तो केंद्र सरकार का कानून प्रभावी होता है। भारत में धर्म और राज्य को अलग करने के बजाय ओवरलैप के इस सिद्धांत को 1956 में अनुच्छेद 290 से शुरू होने वाले संवैधानिक संशोधनों की एक श्रृंखला में मान्यता दी गई थी, जो 1975 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द के अतिरिक्त था। भारत की केंद्र और राज्य सरकारें धार्मिक इमारतों और बुनियादी ढांचे का वित्त और प्रबंधन करती हैं।
त्योहारों पर दे फ्री सिलेंडर: अखिलेश
उधर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सरकार के इस फैसले का स्वागत तो किया है। लेकिन साथ ही कुछ सवाल और मांगें की हैं। सपा अध्यक्ष ने पूछा कि इतनी कम रकम से क्या होगा? उन्होंने त्योहारों पर गरीब परिवारों फ्री सिलेंडर देने की भी मांग की है। अखिलेश यादव ने ट्विटर का सहारा लेते हुए सरकार से मांग किया, रामनवमी मनाने के लिए यूपी के जिलाधिकारियों को एक लाख रुपये दिए जाने के प्रस्ताव का स्वागत है। लेकिन इतनी कम रकम से होगा क्या, कम से कम 10 करोड़ देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके। बीजेपी सरकार त्योहारों पर फ्री सिलेंडर दे और इसकी शुरुआत रामनवमी से हो।
बात अच्छी पर मुद्दों का क्या होगा : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, धार्मिक आयोजन करना अच्छी बात है लेकिन उन मुद्दों का क्या जिन पर लोगों ने भाजपा को वोट दिया था। लाखों नौकरियों का वादा किया गया था। आज नौकरियां कहां हैं? उत्तर प्रदेश में भाजपा उन मुद्दों और वादों पर विफल रही है जो राज्य के लोगों से किए गए थे।
कलाकारों की प्रतिभा को मिलेगा मंच
पर्यटन विभाग के वरिष्ठï अधिकारी कहते हैं इस तरह के कार्यक्रम पहले भी आयोजित किए गए हैं और पहली बार राज्य में ये आयोजित नहीं हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों के आयोजन से स्थानीय स्तर पर कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक मंच मिलेगा। समुचित समन्वय के लिए राज्य स्तर पर दो नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) की अध्यक्षता वाली एक समिति उन कलाकारों का चयन करेगी जो कार्यक्रमों में प्रदर्शन करेंगे। आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और बड़ी जन भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।