पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राहत देने से बॉम्बे हाईकोर्ट का इनकार
नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रगान का अपमान करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक शिकायत में बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने सत्र अदालत के जनवरी 2023 के उस आदेश को चुनौती देने वाली बनर्जी की अर्जी खारिज कर दी है, जिसमें मामले को जांच के लिए और समन जारी करने के मुद्दे पर मजिस्ट्रेट की अदालत को वापस भेज दिया गया था।
यह मामला दिसंबर 2021 का है। अपनी मुंबई यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राष्ट्रगान चालू रहते ही मंच छोडक़र चली गई थीं। इस मामले में मुंबई भाजपा के पदाधिकारी विवेकानंद गुप्ता ने मुंबई के मझगांव मेट्रोपालिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत में शिकायत की और कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने राष्ट्रगान का अपमान किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने समन को विशेष अदालत में चुनौती दी थी।
बनर्जी ने अपने आवेदन में कहा था कि सत्र अदालत को समन को रद्द करने और मामले को वापस लेने के बजाय पूरी शिकायत को रद्द कर देना चाहिए था। हालांकि, न्यायमूर्ति बोरकर ने कहा कि सत्र अदालत के आदेश में अवैधता थी और इसलिए उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है।
जनवरी 2023 में, विशेष न्यायाधीश आर एन रोकडे ने प्रक्रियात्मक आधार पर मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया और मजिस्ट्रेट से शिकायत पर नए सिरे से विचार करने को कहा था। बनर्जी ने हाई कोर्ट में अपने आवेदन में इस आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि मजिस्ट्रेट को नए सिरे से विचार करने का निर्देश देने के बजाय समन को रद्द कर देना चाहिए था।
गुप्ता ने अपनी शिकायत में दावा किया कि बनर्जी की हरकतें राष्ट्रगान के अपमान के समान हैं और यह 1971 के राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम के अपमान की रोकथाम के तहत एक अपराध हैं। उन्होंने कफ परेड थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस के कोई कार्रवाई नहीं करने पर उसने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत का रूख किया।