पहलवानों का बड़ा ऐलान : हमारे लिए देश में कुछ नहीं बचा गंगा में बहाएंगे अपने मेडल

  • इंडिया गेट पर करेंगे आमरण अनशन
  • सोशल मीडिया पर लिखा भावुक पत्र, कहा- पीएम और राष्ट्रपति ने भी नहीं ली सुध

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अपने लिए न्याय की मांग कर रहे और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवान लगातार सडक़ पर बैठे हैं, लेकिन उनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। पिछले कई दिनों से पहलवान बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं अपने आंसू बहा रहे हैं, लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है। इस बीच सडक़ पर अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहे पहलवानों ने एक बड़ा ऐलान कर दिया है। देश के गौरव इन पहलवानों ने देश के लिए जीते अपने मेडलों को गंगा में बहाने क ा ऐलान किया है। साथ ही आमरण अनशन की भी बात कही। महिला पहलवान विनेश फोगाट ने इस बारे में सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट लिखकर जानकारी देते हुए बताया कि आज शाम छह बजे खिलाड़ी अपना मेडल हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर देंगे। पहलवानों के एलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने पहलवानों के समर्थन मे एक जून को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया। विनेश फोगाट ने भावुक पत्र लिखा कि इतने दिनों से चल रहे आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार भी पहलवानों की सुध नहीं ली। विनेश ने लिखा कि हमारे साथ 28 मई को जो हुआ वो आप सबने देखा। हम महिला पहलवान ऐसा महसूस कर रही हैं जैसे इस देश में हमारा कुछ बचा ही नहीं है। फोगाट ने लिखा, हमें वो पल याद आ रहे हैं, जब हमने ओलंपिक में मेडल जीते थे। अब लग रहा है कि ये मेडल क्यों जीते थे। ये मेडल हमें नहीं चाहिए।


आमरण अनशन का भी ऐलान

विनेश फोगाट ने बताया कि मेडल प्रवाहित करने के बाद पहलवान आमरण अनशन भी करेंगे। उन्होंने लिखा कि इन मेडल के गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। उन्होंने कहा कि इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी। हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पर भी उठाए सवाल

पत्र में पहलवानों ने इस मेडल को राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को न सौंपकर गंगा में ही बहाने की वजह भी बताई। इसमें लिखा, हमारे सामने सवाल आया कि मेडल लौटाएंगे। मन ने न कहा। क्योंकि हमारी राष्ट्रपति जो खुद महिला हैं, वह हमें सिर्फ 2 किलोमीटर दूर बैठी देखती रहीं, लेकिन कुछ भी नहीं बोलीं। प्रधानमंत्री हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध नहीं ली।

यौन उत्पीडऩ के खिलाफ न्याय की मांग करना अपराध?

रविवार 28 मई को दिल्ली पुलिस द्वारा पहलवानों साथ किए गए बर्ताव और उन पर एफआईआर दर्ज किए जाने की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए विनेश फोगाट ने पत्र में कहा कि पुलिस ने हमें कितनी बर्बरता से गिरफ्तार किया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह भी छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीडऩ के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है?

शराब घोटाले में सिसोदिया को झटका, खारिज हुई जमानत याचिका

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं मनीष
  • अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कथित शराब नीति घोटाले में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिल्ली हाईकोर्ट से आज बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज करते हुए जेल से बाहर आने की उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया। आज सीबीआई के भ्रष्टाचार मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया एक पावरफुल इंसान हैं और वे बाहर आएंगे तो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। ऐसे में उम्मीद है कि मनीष सिसोदिया हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस दिनेश शर्मा ने कहा कि सिसोदिया पर आरोप है कि दिल्ली की शराब नीति साउथ ग्रुप के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के इरादे से बनाई गई थी। ये बेहद गंभीर मामला है। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जमानत पर रिहा होने पर गवाहों को प्रभावित किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि आप नेता मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सिसोदिया की याचिका को खारिज करते हुए सबूतों की चिंता जाहिर की है। अदालय ने कहा कि मनीष सिसोदिया का इस मामले में व्यवहार ठीक नहीं है।

सीबीआई ने किया जमानत याचिका का विरोध

वहीं सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिसोदिया दिल्ली के डिप्टी सीएम रह चुके हैं और उनके पास 18 विभाग थे। ऑफिस और नौकरशाहों पर सिसोदिया का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है। इतना ही नहीं ऊंचे पदों पर बैठे उनकी पार्टी के सहयोगी जांच को प्रभावित करने के लिए गलत दावे कर रहे हैं। वे यह भी कह रहे है कि सिसोदिया राजनीतिक बदले का शिकार हुए हैं। पिछली सुनवाई में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को जमानत देने की याचिका का विरोध किया था, जिसके बाद अदालत ने 11 मई को इस मामले में फैसले को सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि मनीष सिसोदिया शराब घोटाला मामले में आरोपी हैं जो फरवरी महीने से जेल में बंद हैं।

Related Articles

Back to top button