मणिपुर के 9 विधायकों ने पीएमओ को लिखा लेटर, कहा- राज्य सरकार से उठ गया लोगों का भरोसा
नई दिल्ली। मणिपुर की हालत नाजुक बनी हुई है। गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के बाद शांति की एक उम्मीद दिखी थी मगर स्थिति फिर बिगड़ रही है। एक तरफ तो लोग हथियार उठा रहे हैं। दूसरी तरफ मणिपुर के मैतेई समुदाय के नौ विधायकों ने पीएमओ के नाम एक ज्ञापन भेजा है। इसमें लिखा गया है कि मणिपुर की मौजूदा सरकार से लोगों का विश्वास उठ गया है।
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत तीन मई को हुई थी मगर इससे एक महीने पहले बीजेपी के चार विधायकों ने अपने पदों को छोड़ दिया था। हालांकि तब सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि सबकी अपनी परेशानियां हैं इसीलिए उन्होंने पद छोड़ा है। बाकी सरकार में कोई दिक्कत नहीं है। अब जिन नौ विधायकों ने ज्ञापन सौंपा है उनसें से चार विधायक वही है जिन्होंने पहले अपने प्रशासनिक और एडवाइडरी जैसे पदों से इस्तीफा दिया था।
अब मणिपुर सीएम बीरेन सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ये सब उसी दिन हुआ जब 30 मेइती विधायकों का एक डेलीगेशन दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण, निशिकांत सिंह से मुलाकात की। मणिपुर हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जान-मान का बहुत बड़ा नुकसान मणिपुर भुगत रहा है। स्थिति को सामान्य करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं लेकिन अब तक कोई खास सुधार नजर नहीं आ रहा है। जिन नौ विधायकों ने पीएमओ को ज्ञापन सौंपा है उसमें लिखा है कि वर्तमान सरकार से पूरी तरह से विश्वास उठ गया है। इस हिंसा का असर ये हुआ है कि कभी जिन हाथों में किताब, कलम होती थी आज उनमें बंदूकें, दूरबीन, गोलियां और खतरनाक हथियार हैं।
कुकी और मैतेई दोनों ही अपने-अपने लोगों को सुरक्षा को लेकर हथियार लेकर बंकरों में घुसे हुए हैं। इनके बंकर में राइफल, इंटरकॉम और दूरबीन हैं। हिंसा के पहले इनमें से कई लोग नौकरी करते थे। एक शांतिप्रिय जीवन व्यतीत कर रहे थे। कई युवा सरकारी नौकरियों की तैयारियों में जुटे हुए थे। मणिपुर के लोगों को पूरा भरोसा दिलाया गया है कि स्टेट और केंद्र के सुरक्षाबल उनको सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं मगर अब इनको सरकार से विश्वास उठ गया है। इसलिए इन लोगों ने खुद की सुरक्षा के लिए हथियार उठा लिए। तीन मई से हिंसा शुरू हुई थी। इसके बाद से 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 45 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है। लगभग 2000 घर और दुकानें जला दी गईं हैं। शांति बनाने के लिए यहां पर भारतीय सेना, असम राइफल्स, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और मणिपुर पुलिस की कई कंपनी तैनात हैं। इसके बावजूद यहां पर हिंसा हो रही है।