अपनी भाषा में आराधना करने से होता है ईष्ट से सीधा संवाद: सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने किया श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की भावपूर्ण व्याख्या सहित डॉ. समीर त्रिपाठी के स्वर में संगीतमय प्रस्तुति का विमोचन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। मेधज एस्ट्रो के सीएमडी डॉ. समीर त्रिपाठी द्वारा अपनी आवाज में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की संगीतमय भावपूर्ण व्याख्या की गई। जिसका विमोचन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किया गया। संत तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस को पहले ही मेधज एस्ट्रो द्वारा यूट्यूब पर सस्वर गायन के माध्यम से करोड़ों श्रोताओं तक पहुंचाया जा चुका है। सीएम योगी ने श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की भावपूर्ण व्याख्या सहित डॉ. समीर त्रिपाठी के स्वर में संगीतमय प्रस्तुति के विमोचन पर कहा कि जब हम अपनी भाषा में अपने ईष्ट की आराधना के दौरान दो शब्द कहते हैं, तो मान्यता है कि ईष्ट से उसका सीधा संवाद होता है।
सीएम योगी ने कहा कि बताया जाता है कि जब संत तुलसीदास ने संस्कृत में आधुनिक रामायण लिखने का प्रयास किया, तो ग्रंथ हमेशा नष्ट हो जाता था। अंतत: काशी में स्वयं भगवान विश्वनाथ ने दर्शन देकर उन्हें संस्कृत नहीं, लोक भाषा में रचना करने को कहा। उस समय लोक भाषा के रूप में अवधी को महत्व दिया गया और तुलसीदास काशी से अयोध्या आए। उन्होंने राम चरित्र मानस को अवधी में लिखना प्रारंभ किया। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एक ओर, जब मुगल आक्रांता भारत के सनातन धर्म और संस्कृति को नष्ट करने के लिए उतावले दिख रहे थे, तो उस समय गांव-गांव में रामलीलाओं के आयोजन किए जा रहे थे। यह रामचरित्र मानस की प्रेरणा को दर्शाता था।

शब्द अपने आप में है एक मंत्र

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि शब्द शुद्ध और नियत हों तो वह ब्रह्म का प्रतीक होते हैं। शब्द अपने आप में एक मंत्र है। शब्द को भारतीय मनीषा में हमेशा महत्व दिया गया है। हमेशा इस बात को माना गया है कि हर अक्षर, शब्द में मंत्र बनने का सामथ्र्य है। उस शब्द को बोला कैसे जा रहा है और उस शब्द को व्यक्त करने का तरीका क्या है यह वक्ता पर निर्भर करता है इसलिए शब्द को ब्रह्म के रूप में मान करके जब हम उसका अनुसंधान और अनुष्ठान करते हैं तो वह अपने आप में मंत्र बनता है। इस कार्यक्रम में मेधज एस्ट्रो के सीएमडी समीर त्रिपाठी, उनके माता रेखा त्रिपाठी, अलका त्रिपाठी, गुंजन त्रिपाठी, एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक के अमिताभ यश आदि मौजूद रहे।

सिर्फ भारत में साल में दो बार होती है शक्तिकी आराधना

सीएम योगी ने कहा कि रामलीला में आज भी जाति-वर्ण को पीछे छोडक़र सब एकजुट होकर उसका मंचन करते हैं। यह जन चेतना की जागरूकता को दर्शाता है। पूरी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जहां साल में दो बार शक्ति की आराधना की जाती है। उसी शक्ति को हम अपने जीवन में अंगीकार कर सकें इसलिए हमारे यहां अनुष्ठान, गोत्र और उपासना का महत्व है। यह मान्यता है कि विश्व में जो भी शक्ति है, वह देवी के रूप में है। हम जगत जननी मां भगवती, दुर्गा, मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और महाकाली के रूप में उनकी आराधना कर सकते हैं। शक्ति की उपासना सनातन हिंदू धर्मावलंबी पौराणिक काल से ही करता आया है। हर एक काल, खंड में स्वरूप बदले होंगे, लेकिन हम सभी रूपों की आराधना करते आए हैं। उसका एक रूप आज यूट्यूब में रुचि रखने वाले उन सभी दर्शकों और श्रोताओं के लिए मेधज एस्ट्रो एक नए रूप में उपलब्ध करवाया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट को मिले दो नए न्यायाधीश

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिलाई शपथ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट को दो नए न्यायाधीश मिल गए हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एस. वेंकटनारायण भट्टी को सुप्रीम कोर्ट के जजों के तौर पर शपथ दिलाई।
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस समेत कुल जजों की संख्या बढक़र 32 हो गई है, जो कि सुप्रीम कोर्ट कुल 34 जजों की क्षमता से फिलहाल दो कम है। सुप्रीम कोर्ट के ऑडिटोरियम में आयोजित शपथग्रहण समारोह में चीफ जस्टिस ने दोनों जजों को शपथ दिलाई।

मदद के लिए दिल्ली पहुंची सेना व एनडीआरएफ

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारी बारिश व हिमाचल प्रदेश से छोड़े गए पानी की वजह से राजधानी दिल्ली में यमुना नदी का जस स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है। जिसके चलते पूरी दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
आलम ये है कि दिल्ली सरकार द्वारा तमाम हथकंडे अपनाने के बाद भी स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया जा पा रहा है और बढ़ा जैसे हालात लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पानी लोगों के घरों से लेकर अब लाल किले तक पहुंच चुका है। पानी लगातार शहर में बढ़ रहा है और अब सरकारी कार्यालयों और लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। आईटीओ के पास ड्रेन रेगुलेटर टूटने के कारण पानी पूरे शहर में घुस रहा है। यमुना में बाढ़ के कारण कई जगहों पर यातायात के लिए मार्ग बदले गए। इस वजह से भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई है। हालांकि, अब यमुना का जलस्तर कम हो रहा है, लेकिन संकट अभी भी बरकरार है। भारी बारिश के बाद दिल्ली में यमुना खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

सिर्फ चुनाव के वक्त याद आता है यूसीसी: ओवैसी

एआईएमआईएम चीफ ने कहा- हम पर थोपा जा रहा यूनिफॉर्म सिविल कोड

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि यूसीसी को लेकर लगातार बहस छिड़ी हुई है। इस बीच एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी लगातार इसे लेकर अपनी बात रख रहे हैं और इसकी पुरजोर खिलाफत कर रहे हैं। आज एक बार फिर असदुद्दीन ओवैसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने लॉ कमीशन को अपना रेस्पॉन्स और उसके साथ रिटायर्ड जस्टिस गोपाल गौड़ा का लीगल ओपिनियन भी भेजा है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के वकील निजाम पाशा ने इस रेस्पॉन्स को तैयार करने में मदद की।
ओवैसी ने लॉ कमीशन के नोटिफिकेशन पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन में लॉ कमीशन ने लोगों से उनके विचार पूछे हैं, कोई प्रपोजल नहीं दिया है। ओवैसी ने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि लॉ कमीशन पांच साल के बाद फिर से यूसीसी पर एक्सरसाइज कर रहा है। उन्होंने कहा कि हर चुनाव से पहले ये होता है, ताकि बीजेपी को आने वाले चुनावों में फायदा हो सके।

पॉलिटकल एक्सरसाइज है यूसीसी

एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने कहा कि हमारा मानना है कि ये पॉलिटिकल एक्सरसाइज है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है ताकि लोकसभा चुनाव से पहले जनता का ध्यान महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, चीन जैसे मुद्दों से हट जाए। उन्होने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के लिए जो कमेटी बनाई गई है, वो आर्टिकल 44 का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में कबूल है बोलते हैं, जबकि हिंदुओं में ऐसा नहीं है। जब रिचुअल पूरा हो जाता है तो शादी पूरी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में महिलाओं को शादी टूटने पर ज्यादा अधिकार हासिल हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने दावा करते हुए कहा कि इस्लाम में सबसे पहले महिलाओं को प्रॉपर्टी में हिस्सा दिया गया। इस्लाम में महिला को पति और पिता दोनों से प्रॉपर्टी मिलती है। इस्लाम में बीवी की कमाई में पति का कोई हिस्सा नहीं होता है। हिंदू महिलाओं की ये सब हासिल नहीं है।

पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा का हिस्सा न बने लॉ कमीशन

ओवैसी ने कहा कि यूसीसी पर चल रही बहस बहुसंख्यक समुदाय के विचारों को थोपने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि हम लॉ कमीशन से गुजारिश करते हैं कि वो पॉलिटिकल प्रोपेगेंडा का हिस्सा न बने। उन्होंने कहा कि जस्टिस गोपाल गौड़ा के मुताबिक, राज्य (उत्तराखंड) यूसीसी नहीं बना सकता है। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड का यूनिफॉर्म सिविल कोड अदालतों में कानूनी रूप से मान्य नहीं हो सकता है।

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