भागीदारी संकल्प मोर्चा के भागीदारों में आने लगी दरार

लखनऊ। 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सुहेलदेव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत 10 दलों के साथ मजबूत गठबंधन बनाया था। सरकार बनाने का दावा किया। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी के बहराइच जाने के बाद ओपी राजभर के इस गठबंधन की गांठ ढीली होती नजर आ रही है और ओवैसी ने बहराइच जाकर चादरपोशी की थी। जिसके बाद से ही राजभर विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने ओपी राजभर से पूछा कि क्या अब उन्हें अपने पूर्वजों के साथ लडऩे वालों की कब्रों पर जाना चाहिए और राजनीतिक फायदे के लिए उन्हें ऐसा करना क्या शोभा देगा?
हालांकि, शुरू में राजभर ने गठबंधन को बनाए रखने की बात कही थी, लेकिन 15 जुलाई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एआईएमआईएम के साथ ओपी राजभर के चुनावी बिगुल बजने के साथ ही कई जिलों के कार्यक्रम संयुक्त रूप से मंच साझा करने के साथ ही अचानक ओपी राजभर दूरी अब इस गठबंधन की गांठ के बल पर सवाल खड़े कर रही है।
दरअसल, 15 जुलाई से असदुद्दीन ओवैसी के साथ ओपी राजभर का चुनावी सफर गाजियाबाद से शुरू होना था। जहां से दोनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर और सम्भल के पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मंच साझा करते हुए शाम चार बजे मुरादाबाद पहुंचे। इसके बाद मुरादाबाद में भी दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साझा मंच के साथ एक कार्यक्रम तय हुआ, लेकिन जैसे ही असदुद्दीन ओवैसी ओपी राजभर के साथ मुरादाबाद में स्वतंत्रता सेनानी नवाब मज्जू खान की कब्र गए, अचानक सुहेलदेव पार्टी के अध्यक्ष ने ओवैसी के साथ शुरू हो रहे चुनावी सफर से दूरी बना ली। हालांकि उन्होंने इसका कारण अपनी निजी समस्या बताया है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, साहिबाबाद, हापुड़, मेरठ, गढ़मुक्तेश्वर, बुलंदशहर, सम्भल और मुरादाबाद में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे, इसके बाद भी कई स्थानों पर ओपी राजभर एंड पार्टी के साथ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। कार्यालय का उद्घाटन करेंगे।
पहले माना जा रहा था कि ओपी राजभर असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना मजबूत और बढ़ता समर्थन आधार दिखाएंगे, लेकिन कई दलों के लोगों ने उनसे गाजी के मकबरे पर चादर चढ़ाने के बारे में सवाल करना शुरू कर दिया। था। शुरू में राजभर ने असदुद्दीन ओवैसी के कवर लेटर को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में जब उन्हें एहसास हुआ कि ओवैसी के साथ मंच साझा कर रहे हैं तो उनके ही समाज के लोगों की नाराजगी के कारण उनकी पार्टी को राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। फिर धीरे-धीरे असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करते हुए कार्यक्रम से दूरी बनानी शुरू कर दी। यही कारण है कि ओपी राजभर आज मुरादाबाद में असदुद्दीन ओवैसी के साथ मंच साझा करने के पूर्व घोषित कार्यक्रम से दूर रहे।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लडऩे का दावा किया है। वही उसी जगह से चुनाव लडऩे का दावा कर रहे है, जहां समाजवादी पार्टी का गढ़ है। ओवैसी को यकीन है कि वह समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने में सफल होंगे। इसके साथ ही मुरादाबाद और सम्भल को भी समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायत राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह ने पहले ही कह दिया था कि यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चलने वाला है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी मुरादाबाद में अपने कार्यक्रम के दौरान कहा है कि विपक्ष को चाहे कितना भी गठबंधन कर ले इसका कोई लाभ नहीं है। 100 में से 60 उनके पास हैं, शेष 40 बंटे हुए हैं और उस डिवीजन में भी हमारी कुछ हिस्सेदारी है। बेशक मौर्य के बयान में हकीकत साफ नजर आ रही है। ऐसा नहीं लगता कि अब इस गठबंधन की गांठें और मजबूती से बन सकेंगी।

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