जाति जनगणना पर और मुखर होगी सपा
- इंडिया गठबंधन का मिल रहा पूरा समर्थन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बिहार सरकार द्वारा जाति जनगणना के आंकड़े पेश करने के बाद अब अन्य प्रदेशों में भी इसे कराने की मांग तेज हो गई है। इस बीच समाजवादी पार्टी भी 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने पीडीए यानी कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के मुद्दे को और भी धार देने में जुटी है। बिहार के जातिजनगणना के आंकड़ों से सपा को और भी बल मिल गया है। बिहार में कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत ओबीसी व 21 प्रतिशत एससी-एसटी हैं।
अब सपा पूरे देश में जातिवार गणना कराने के मुद्दे पर भाजपा को घेरेगी। उसकी इस मांग को समर्थन विपक्षी गठबंधन इंडिया में उसके साथी कांग्रेस, रालोद के साथ ही एनडीए में शामिल अपना दल (एस), सुभासपा व निषाद पार्टी का भी मिल रहा है। एनडीए व इंडिया दोनों ही गठबंधनों से दूरी बनाकर चल रही बसपा प्रमुख मायावती भी जातिवार जनगणना कराने की मांग कर रही हैं। यूं तो सपा जातिवार गणना कराने की मांग पहले से करती आ रही है। सपा मुखिया व नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव विधानसभा में भी गणना कराने के मुद्दे को उठा चुके हैं। सपा अपने 2022 के चुनावी घोषणा पत्र में भी जातिवार गणना कराने का वादा कर चुकी है। बिहार के जातिवार गणना के आंकड़े सामने आने के बाद अखिलेश ने अपना एजेंडा साफ करते हुए कहा था कि पीडीए ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा। उनके रुख से साफ है कि पार्टी इस मसले पर आने वाले दिनों और मुखर होगी।
सॉफ्ट हिंदुत्व के एजेंडे को भी आगे बढ़ा रहे अखिलेश
साथ ही अखिलेश ने ‘साफ्ट हिंदुत्व’ के एजेंडे को भी आगे बढ़ाया। भले ही सपा वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा से हार गई हो, लेकिन उसने अपना 10 प्रतिशत वोट जरूर बढ़ा लिया था। उसे 32.05 प्रतिशत वोटों के साथ 111 सीटें मिली थीं। वर्ष 2017 के चुनाव में उसे महज 21.82 प्रतिशत मतों के साथ 47 सीटें ही मिली थीं। लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने ‘पीडीए’ का नारा दिया है। पिछले दिनों हुए घोसी उपचुनाव में ‘पीडीए’ अपनी पहली परीक्षा पास भी कर चुका है। सपा का मानना है कि बिहार में जिस तरह की जातिवार स्थिति है उसी तरह के हालात यूपी में भी है। इसलिए पीडीए में यहां भी करीब 85 प्रतिशत आबादी आ जाएगी। अखिलेश इसे भाजपा के 80 बनाम 20 की काट के रूप में भी लेकर आए हैं।