प्रशांत भूषण को चेतावनी, आधी जानकारी देने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
नई दिल्ली। अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है।
उसने कहा कि बाजार नियामक की जांच के बारे में भरोसा नहीं करने के लायक कोई भी तथ्य उसके समक्ष नहीं है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए दावों को पूरी तरह तथ्यों पर आधारित नहीं मानकर चल रहा है। पीठ ने कहा कि उसके समक्ष कोई तथ्य न होने पर अपने स्तर पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना उचित नहीं होगा।
सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने खूब सुनाया है। कमिटी की नियुक्ति से लेकर फिर डीआरआई की रिपोर्ट पर पूरा फैक्ट नहीं देने के लिए कोर्ट ने वरिष्ठ वकील को खूब सुनाया है। आपको बता दें कि इस पूरे मामले की जांच सेबी कर चुकी है। इसके बावजूद प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा था कि डीआरआई के अलर्ट करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। वरिष्ठ वकील के इस आरोप पर जज नाराज हो गए।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण ने जनवरी 2014 में डीआरआई के द्वारा सेबी को लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कोई कार्रवाई नहीं की गई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनके आरोपों का तथ्यों के साथ जवाब दिया, जिससे बेंच भी संतुष्ठ दिखी।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने प्रशांत भूषण से कहा, आपने डीआरआई से एक पत्र उठाया। क्या यह सही है कि डीआरआई की जांच समाप्त हो गई है और सीईएसटीएटी में एक न्यायिक निकाय ने इस मामले पर फैसला सुनाया है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है? इसलिए पैसे की हेराफेरी और शेयर बाजार में हेरफेर करने में इसके इस्तेमाल के बारे में आपका पूरा आरोप सच नहीं है। भूषण ने नम्रता से कहा कि यह सच है। इतना सुनता ही तुषार मेहता ने तल्ख लहजे में कहा कि वरिष्ठ वकील ने सुप्रीम कोर्ट से इस जानकारी को छुपाया है।