जो मस्जिद, मंदिर तोड़कर बनाई जाए वह स्वीकार नहीं : मदनी
- बोले- सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना मंदिर तोडक़र बनी थी मजिस्द
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि जो मस्जिद, मंदिर तोडक़र बनाई जाए वह इस्लाम में मस्जिद स्वीकार नहीं है। जहां तक अयोध्या की बात है तो सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं माना है कि राम मंदिर तोडक़र बाबरी मस्जिद बनी थी। आस्था की बुनियाद पर यह जमीन दूसरे पक्ष को दी गई है। हम तो 70 वर्षों से केवल इस बात की लड़ाई न्यायालय में लड़ रहे थे कि यह बाबरी मस्जिद है इसे मंदिर तोडक़र नहीं बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि जो इल्जाम बाबर पर लगे थे कि उसने राम मंदिर तोडक़र बाबरी मस्जिद बना ली आज वही इल्जाम मौजूद लोगों पर लग गए हैं कि उन्होंने मस्जिद तोडक़र राम मंदिर बना लिया। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद बाबर तो इस इल्जाम से बरी हो गया। मदनी ने कहा कि हमने अदालत को बताया था कि अगर किसी भी प्रार्थना स्थल को किसी अन्य धर्म के मंदिर के अवशेषों के ऊपर बनाया गया है, तो वहां नमाज अदा करने की इजाजत नहीं है। ये साबित भी हुआ कि बाबरी को किसी मंदिर को तोडक़र नहीं बनाया गया था। यहीं पर हमारी जीत होती है। देश के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन के प्रमुख मौलाना मदनी ने आगे कहा कि इसके अलावा हम सहिष्णु लोग हैं और आजादी की लड़ाई में अपनी असाधारण भागीदारी के लिए जाने जाते हैं। हम आज भी उन सच्चे राष्ट्रवादियों में से हैं, जो एक बेहतर भारत के निर्माण में लगे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में हिंदू पक्ष के पक्ष में फैसला सुनाया था।