महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता पर लटकी ‘तलवार’
- कैश फॉर क्वेरी मामले में पेश हुई एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट
- टीएमसी सांसद बोली- मां दुर्गा आ गई हैं, अब महाभारत का रण होगा
- रिपोर्ट पर ३० मिनट की चर्चा का दिया गया समय
- रिपोर्ट में महुआ पर लगे गंभीर आरोप, सदस्यता रद्द करने की सिफारिश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद सत्र के आज पांचवें दिन लोकसभा में जिस हंगामे की उम्मीद थी, वो देखने को मिला। दरअसल, इस हंगामे की उम्मीद इसलिए थी क्योंकि संसद में आज कैश फॉर क्वेरी मामले में फंसी टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर लोकसभा में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश होनी थी। जैसे ही संसद में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश हुई टीएमसी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। साथ ही अन्य विपक्षी दल भी इसको लेकर हंगामा करने लगे, नतीजन लोकसभा की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद रिपोर्ट पर चर्चा के लिए 30 मिनट का समय दिया गया।
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है। साथ ही महुआ पर गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। रिपोर्ट पेश होने के बाद संसद में विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया और नारे लगाए। रिपोर्ट पेश होने के बाद समिति की सिफारिश के आधार पर महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता को खत्म करने के प्रस्ताव का विचार पहले से ही था। ऐसे में संभव है कि इस दौरान विपक्ष रिपोर्ट पर मत विभाजन मांग कर सकता है। इसीलिए भाजपा ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर आज सदन में रहने के लिए कहा है।
अधीर रंजन बोले-बदलेकी भावना से प्रेरित है कार्यवाही
वहीं महुआ मोइत्रा मामले पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि उनके पास महुआ को निकालने के लिए कुछ नहीं है। वे उसे बुला सकते थे, उसकी निंदा कर सकते थे। कोई साक्ष्य नहीं है। ये बदले की भावना से सामने आ रहा है। वहीं, कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने कहा है कि रिपोर्ट में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की कही गई बात का हम पुरजोर विरोध करेंगे। वहीं, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा है कि यह सरकार का एक दुस्साहस है। अगर सरकार यह दुस्साहस करेगी तो वे महुआ मोइत्रा की झोली में 50,000 वोट और डाल देंगे।
भाजपा ने शुरू किया ‘वस्त्रहरण’ : मोइत्रा
इससे पहले महुआ मोइत्रा जब संसद पहुंचीं। तो उन्होंने रिपोर्ट पेश होने से पहले ही कहा कि मां दुर्गा आ गई हैं, अब देखेंगे। उन्होंने कहा कि जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। टीएमसी सांसद ने कहा कि उन्होंने ‘वस्त्रहरण’ शुरू किया, अब आप ‘महाभारत का रण’ देखेंगे।
पहले 4 दिसंबर को पेश होनी थी रिपोर्ट
विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ के आरोप पर महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी। कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस सांसद परनीत कौर भी शामिल थीं, जिन्हें पहले पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। विपक्षी दलों से संबंधित पैनल के 4 सदस्यों ने असहमति नोट पेश किए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया था। यह रिपोर्ट पहले चार दिसंबर के निचले सदन के एजेंडे में सूचीबद्ध थी, लेकिन इसे पेश नहीं किया गया। कई विपक्षी सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया है कि मोइत्रा पर निर्णय लेने से पहले सिफारिशों पर चर्चा होनी चाहिए।
लालदुहोमा ने ली मिजोरम के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ
- राज्य की 40 में से 27 सीटें जीतकर जोरम पीपुल्स मूवमेंट ने हासिल की सत्ता
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
आइजोल। मिजोरम में आज नई सरकार का गठन हो गया और प्रदेश को एक नया मुख्यमंत्री मिल गया है। जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के नेता लालदुहोमा ने आज मिजोरम के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने राजधानी आइजोल में राजभवन परिसर में लालदुहोमा और अन्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इससे पहले बुधवार को ही लालदुहोमा ने राज्यपाल से मिलकर सरकार गठन का दावा पेश कर दिया था। जेडपीएम ने राज्य की 40 में से 27 सीटों पर जीत हासिल कर एमएनएफ और कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था।
2017 में अस्तित्व में आई जेडपीएम
पूर्व आईपीएस लालदुहोमा ने जोराम नेशनलिस्ट पार्टी नाम से एक दल बनाया, जिसके जरिए वे राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए। वहीं दूसरी ओर, राज्य के पांच अन्य छोटे दलों के साथ लालदुहोमा की पार्टी ने गठबंधन कर लिया। जिसके बाद वह गठबंधन राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया, जो 2017 में जेडपीएम पार्टी के नाम से अस्तित्व में आया।
इंदिरा गांधी के सुरक्षा प्रभारी रहे हैं सीएम लालदुहोमा
मिजोरम में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी जेडपीएम के अध्यक्ष लालदुहोमा मिजोरम के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। जानकारी के मुताबिक, 1972 से 1977 तक लालदुहोमा ने मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रधान सहायक के तौर पर काम किया था। अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा दी। 1977 में आईपीएस बनने के बाद उन्होंने गोवा में एक स्क्वाड लीडर के तौर पर काम किया। तैनाती के दौरान उन्होंने तस्करों पर बड़ी कार्रवाई की। 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना सुरक्षा प्रभारी नियुक्त किया था। पुलिस उपायुक्त के रूप में विशेष पदोन्नति दी गई थी। राजीव गांधी की अध्यक्षता में 1982 एशियाई खेलों की आयोजन समिति के सचिव भी थे।