ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति शुक्रवार को पेश की। इसमें मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है।
आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। महंगाई पर काबू करने की पहल के तहत आरबीआई ने ऐसा किया गया है।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने पांच मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार पांचवीं बार रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
रेपो रेट में बदलाव नहीं होने से होम, कार लोन समेत सभी तरह के लोन की ईएमआई कम होने का इंतजार कर रहे लोगों को मायूसी हाथ लगी है। अब उनको लोन की ईएमआई कम होने के लिए फरवरी तक इंतजार करना होगा।
गवर्नर दास ने कहा कि आरबीआई ने अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए यूपीआई के जरिये भुगतान सीमा मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया।
भारतीय रिजर्व बैंक की शुक्रवार को पेश मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
आरबीआई ने रेपो दर को लगातार पांचवीं बार 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।
अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को भुगतान के लिए यूपीआई लेनदेन की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया गया।
दिसंबर, मार्च तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान।
2023-24 के लिए औसत खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया।
मुद्रास्फीति का अनुमान अनिश्चित खाद्य कीमतों से काफी प्रभावित।
सब्जियों की कीमतों में रुक-रुक कर होने वाले झटके एक बार फिर नवंबर और दिसंबर में कुल मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं।
रुपये में 2023 में अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव।
एक दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 604 अरब डॉलर था।
केंद्रीय बैंक सतर्क और परिस्थितियों के अनुरूप कदम उठाने को तैयार।
भारत कई अन्य देशों की तुलना में अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में।
प्रस्तावित आवर्ती भुगतान के लिए कुछ श्रेणियों में स्वत: पैसा कटने की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव।
आरबीआई डेटा सुरक्षा, निजता को वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करेगा।
अगली मौद्रिक नीति समिति बैठक 6-8 फरवरी, 2024 को होगी।