जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का ‘सुप्रीम’ आदेश

  • चुनाव आयोग को निर्देश- सितंबर 2024 तक कराएं चुनाव
  • धारा-370 पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला, विशेष दर्जे की समाप्ति को सही ठहराया
  • भाजपा ने फैसले का किया स्वागत, विपक्ष ने दी सधी हुई प्रतिक्रिया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कें द्र को जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य की दर्जा बहाली करने के साथ तुरंत चुनाव करवाने का आदेश दिया है। हालांकि शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने से इंकार कर दिया है। इस फैसले का जहां भाजपा ने स्वागत किया है वहीं विपक्ष की तरफ सधी हुई प्रतिक्रिया मिली है। सोमवार को चुनाव आयोग (ईसी) को 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया और कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव लोकतंत्र की सर्वोपरि विशेषताओं में से एक है और इसे रोका नहीं जा सकता। पीठ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएं और जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। पीपुल्स डेमोक्रटिक पार्टी गठबंधन से बाहर हो गई और विधानसभा भंग हो गई। इसके बाद राज्यपाल शासन लागू हो गया। 5 अगस्त, 2019 को, केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में विभाजित कर दिया गया। अनुच्छेद 370 हटने के बाद इस क्षेत्र में स्थानीय चुनाव भी हुए हैं, जिसमें 2020 जिला विकास परिषद चुनाव और इस साल की शुरुआत में हुए लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी)-कारगिल चुनाव भी शामिल हैं।

अस्थायी प्रावधान था संविधान का अनुच्छेद 370 : चंद्रचूड़

इस दौरान अपने फैसले में पीठ की अध्यक्षता कर रहे देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश के सभी राज्यों के पास विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। संविधान का अनुच्छेद 370 अलग-अलग राज्यों को विशेष दर्जा देने का उदाहरण है। यह साफ तौर पर असममित संघवाद का उदाहरण है। जम्मू कश्मीर की भी अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरह कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। सीजेआई ने कहा कि हमारा मानना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। हस्तांतरण के उद्देश्य से इसे लागू किया गया था। राज्य विधानसभा के गठन के लिए इसे अंतरिम तौर पर लागू किया गया था। सीजेआई ने कहा कि राज्य में युद्ध के हालात के चलते विशेष परिस्थितियों में इसे लागू किया गया था। इसके लिए संविधान में प्रावधान किए गए हैं। राष्टï्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर सीजेआई ने कहा कि फैसले के वक्त राज्य की विधानसभा भंग थी, ऐसे में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का नोटिफिकेश जारी करना राष्ट्रपति की शक्तियों के तहत आता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान में कहीं इसका उल्लेख नहीं है कि जम्मू कश्मीर की कोई आंतरिक संप्रभुता है। युवराज कर्ण सिंह की साल 1949 में की गई उद्घोषणा और संविधान से इसकी पुष्टि होती है। संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत ही जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया था।

लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जितने जल्दी हो सके दिया जाए और वहां पर चुनाव कराए जाए. जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर 2024 तक चुनाव हों. जल्द से जल्द स्टेटहुड वापस किया जाए। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिन तक सुनवाई करने के बाद पांच सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

नजरबंदी को लेकर महबूबा व एलजी में तकरार

(पीडीपी ने दावा किया है कि उसकी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले सोमवार को नजरबंद कर दिया गया है, जिसके बाद सिन्हा का यह बयान सामने आया। उपराज्यपाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह पूरी तरह से निराधार है। पूरे जम्मू-कश्मीर में किसी को भी नजरबंद या गिरफ्तार नहीं किया गया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले किसी की नजरबंदी या गिरफ्तारी की कोई भी खबर ‘‘पूरी तरह से बेबुनियाद’’ है।

यह कानूनी फैसला नहीं बल्कि आशा की किरण : मोदी

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीएम मोदी ने खुशी जाहिर की है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अनुच्छेद 370 हटाने पर सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला ऐतिहासिक है। जिसमें भारतीय संसद द्वारा 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले की संवैधानिकता बरकरार रखी गई है।

निराश हूं, लेकिन लंबी लड़ाई के लिए तैयार: उमर अब्दुल्ला

उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के सीनियर लीडर उमर अब्दुल्ला ने निराशा जाहिर की है। उन्होंने कहा है, निराश हूं, लेकिन हतोत्साहित नहीं, संघर्ष जारी रहेगा। यहां तक पहुंचने में बीजेपी को दशकों लग गए। हम भी लंबी दौड़ के लिए भी तैयार हैं।

जल्द से जल्द हो चुनाव : उद्धव ठाकरे

हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। धारा 370 खत्म करने के समय हमने इसका समर्थन किया था। उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो दूसरा आदेश है कि अगले सितंबर तक वहां चुनाव होने चाहिए, वह जल्द से जल्द हो जाएगा। वहां की जनता है उनको खुली हवा में मतदान करने का अवसर मिलेगा।

एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं : महबूबा

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, हिम्मत नहीं हारे, उम्मीद न छोड़े, जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला यह एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं है… हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद छोडक़र इस शिकस्त को स्वीकार करें… यह हमारी हार नहीं यह देश के धैर्य की हार है।

पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल हो : अधीर

सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले राष्टï्रपति के आदेश की वैधता को बरकरार रखने पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने, केंद्र को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना चाहिए और पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल करना चाहिए।

फैसले से जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस : आजाद

डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, एक उम्मीद थी क्योंकि कई चीज़ों में हमने कहा था कि जो कोर्ट कहेगा वह आखिरी फैसला होगा, मैं बुनियादी तौर पर कहता हूं कि इसे खत्म करना ग़लत था। इसे करते वक्त जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों से पूछा नहीं गया… हम अदालत के खिलाफ नहीं जा सकते लेकिन इस फैसले से हम, जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस है।

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