सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को लगाई कड़ी फटकार
- अदालत ने पोंछे बिलकिस बानो के आंसू
- दोषियों को फिर से जेल में डालने का आदेश
- प्रियंका व ओवैसी ने बीजेपी पर किया वार
- शीर्ष कोर्ट ने गुजरात सरकार का फैसला पलटा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिलकिस बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात की बीजपी सरकार को करारा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार का माफी का आदेश खारिज करते हुए कहा कि छूट पर फैसला महाराष्ट्र सरकार को लेना था, गुजरात सक्षम राज्य नहीं थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच ने आज ये बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने दोषियों की समयपूर्व रिहाई के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की रिहाई को रद्द कर दिया है और दो हफ्ते में इन्हें सरेंडर करने को कहा है। वंही कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी व हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा इस सरकार ने बलात्कारियों का साथ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मई 2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गुजरात सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए थी। गुजरात सरकार ने 13 मई, 2022 के फैसले को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र सरकार की शक्तियां छीन लीं, जो हमारी राय में अमान्य है। गुजरात सरकार ने दोषियों से मिलकर काम किया। गुजरात राज्य द्वारा शक्ति का प्रयोग शक्ति को हड़पने और शक् िके दुरुपयोग का एक उदाहरण है। यह एक क्लासिक मामला है।
सजा प्रतिशोध के लिए नहीं बल्कि सुधार के लिए : न्यायमूर्ति नागरत्ना
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्लेटो ने का कहा था कि सजा प्रतिशोध के लिए नहीं बल्कि सुधार के लिए है। क्यूरेटिव थ्योरी के में सजा की तुलना दवा से की जाती है, अगर किसी अपराधी का इलाज संभव है, तो उसे मुक्त कर दिया जाना चाहिए। यह सुधारात्मक सिद्धांत का आधार है। लेकिन पीडि़त के अधिकार भी महत्वपूर्ण हैं। नारी सम्मान की पात्र है। क्या महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों में छूट दी जा सकती है? ये वो मुद््दे हैं जो उठते हैं।
ये है बिलकिस बानो मामला
बिलकिस बानो उस वक्त 21 वर्ष की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं, जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई थी। बिलकिस बानों के दोषियों को पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर गुजरात सरकार ने एक अप्रचलित कानून की मदद से रिहा कर दिया था. जिससे विपक्ष, कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज में निंदा और आक्रोश की लहर थी. बिलकिस बानो ने कहा था कि उन्हें रिहाई के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। वहीं इनकी रिहाई के फैसले को बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिलकिस बानो के हक में आया है।
अदालत के साथ धोखाधड़ी करके भौतिक तथ्यों को छिपाया गया
शीर्ष अदालत ने माना कि 13 मई, 2022 का फैसला (जिसने गुजरात सरकार को दोषियों को माफ करने पर विचार करने का निर्देश दिया था) अदालत के साथ धोखाधड़ी करके और भौतिक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि दोषियों ने साफ हाथों से अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया था। यह देखते हुए कि राज्य (जहां अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है) दोषियों की माफी याचिका पर फैसला करने में सक्षम है। शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात ऐसा करने में सक्षम नहीं है।
लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति भी दी थीं याचीकर्ताओं में शामिल
इस मामले में बिलकिस की याचिका के साथ ही माक्र्ससवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा समेत अन्य ने जनहित याचिकाएं दायर कर सजा में छूट को चुनौती दी है। तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने भी दोषियों की सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
मालदीव के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय ने किया तलब
- पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर गरमाया माहौल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी को लेकर मामला तेजी से गरमाता जा रहा है। इस मामले को लेकर आज दिल्ली के साउथ ब्लॉक में स्थित भारतीय विदेश मंत्रालय ने मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहिम साहिब को तलब किया है। इस मामले में रविवार को मालदीव सरकार ने तीन डिप्टी मंत्रियों को निलंबित कर दिया। ये तीनों ही मंत्रियों ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी। इस मामले में मालदीव सरकार ने युवा मंत्री मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महजूम माजिद को निलंबित किया गया है। नई दिल्ली में एक आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि माले में भारतीय उच्चायुक्त ने रविवार को मालदीव के विदेश मंत्रालय के सामने इस मुद्दे को उठाया था। मालदीव के मंत्रियों द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणियों की भारत में काफी आलोचना हुई है।
राजस्थान उपचुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से मिली करारी शिकस्त
- रुपिंदर सिंह कुन्नर ने ये सीट 12570 वोटों से जीती
- भजनलाल सरकार के मंत्री सुरेंद्र सिंह को बड़ा झटका
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीगंगानगर। करणपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। यहां कांग्रेस के रुपिंदर सिंह कुन्नर ने मंत्री सुरेंद्र सिंह को हरा दिया है। बता दें कि कांग्रेस ने ये सीट 12570 वोटों से जीती है। जीत के बाद कांग्रेस के नेताओं ने रुपिंदर सिंह कुन्नर को बधाई दी है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने एक्स पर दी कुन्नर को बधाई दी है। श्रीकरणपुर में कांग्रेस प्रत्याशी रुपिन्दर सिंह कुन्नर को जीत की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। यह जीत स्व. गुरमीत सिंह कुन्नर के जनसेवा कार्यों को समर्पित है। श्रीकरणपुर की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के अभिमान को हराया है।
शपथ लेकर इस्तीफा देने वाले होंगे पहले मंत्री
केवल शपथ लेकर इस्तीफा देने वाले पहले मंत्री बन सकते हैं सुरेंद्र सिंह टीटी, ऐसा होगा तो आजाद भारत का पहला और दुर्लभ मामला होगा ये। इससे पहले मतगणना के दौरान कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर जानकारी दी, उन्होंने लिखा की अबतक 14 राउंड पूरे हो चुके हैं। कांग्रेस 8500 वोट से आगे है। भाजपा ने आचार संहिता की धज्जियां उड़ाके अपने प्रत्याशी को मंत्री बनाया, चुनाव आयोग भी शांत रहा, लेकिन जनता ने अपना फैसला सुना दिया है।