टप्पेबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का मास्टर प्लान तैयार
- गैर-जनपदों सहित राजधानी के टप्पेबाजों की सूची तैयार
- पार्कों के आसपास अतिरिक्त पुलिसकर्मी होंगे तैनात
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। राजधानी में बढ़ रही टप्पेबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर द्वारा एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि इस मास्टर प्लान से टप्पेबाजी की घटनाओं पर विराम लगेगा। इसके लिए लखनऊ पुलिस गैर जनपदों सहित राजधानी के टप्पेबाजों की सूची भी तैयार कर रही है। टप्पेबाजी की घटनाओं पर नजर रखने के लिए सभी पांच जोनों के थाना क्षेत्रों में पड़ने वाले पार्कों के आसपास पुलिस फोर्स को तैनात किया जाएगा। इससे टप्पेबाजी की घटना करने वाले अपराधियों में पुलिस का डर दिखेगा। पुलिस कमिश्नर कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 7 से 8 सालों से सट्टेबाजी की घटनाओं में सक्रिय अपराधियों की सूची बनाने के लिए सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया गया है। पुलिस ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों की सूची तैयार कर रही है। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने बताया कि राजधानी में लगातार टप्पेबाजी की घटनाएं सामने आ रही हैं। घटनाओं को रोकने के लिए मास्टर प्लान पर काम हो रहा है। इस प्लान में अतिरिक्त पुलिस फोर्स को पार्कों के आस-पास लगाया जाएगा। इस प्लान के तहत गैर राज्यों से आकर लखनऊ में टप्पेबाजी की घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों की एक सूची तैयार की गई है। आरोपी सड़कों पर कभी मीडियाकर्मी तो कभी पुलिसकर्मी बनकर लोगों को अपनी बातों में उलझाकर उनके साथ टप्पेबाजी की घटना को अंजाम देते हैं। पुलिस कमिश्नर ने जनता से अपील की है कि अगर इस तरह का कोई भी मामला सामने आता है तो सीधा इस मामले की शिकायत करें।
सिविल कोर्ट में नए बार चैंबर व भूमिगत पार्किंग का निर्माण हो
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। सिविल कोर्ट परिसर में जर्जर पड़ी पुरानी साउथ व नार्थ बिल्डिंग के अलावा बार चैम्बरों को ध्वस्त किए जाने की मांग सेंट्रल बार एसोसिएशन ने की है। एसोसिएशन के महामंत्री संजीव पाण्डेय ने कहा कि इसकी जगह नई बिल्डिंग बनाई जाए। साथ ही बार चैम्बर व भूमिगत पार्किंग का निर्माण किया जाए। उन्होंने कहा कि सिविल कोर्ट परिसर में लगभग एक लाख स्कवायर फीट में चारों तरफ दीवारें आच्छादित है, जिसमे नार्थ साऊथ बिल्डिंग व सेन्ट्रल बार एसोसिएशन लखनऊ निर्मित है। पूरे परिसर में अधिवक्ता अपने-अपने तरह से अर्धनिर्मित चैंबर में बैठते हैं। संजीव पाण्डेय ने कहा वर्तमान में लगभग 95 न्यायिक अधिकारी न्याय करने के लिए किसी तरह अव्यवस्थित कार्यालयों के अभाव में बैठ रहे हैं। पीठासीन अधिकारी के लिए विश्राम कक्ष भी नहीं है। अधिवक्ता टीन शेड में बैठने को मजबूर हैं। परिसर में यदि निर्मित बिल्डिंग को ध्वस्त कर प्लान स्वरूप निर्माण करवाया जाए तो भूमिगत पार्किंग व दस मंजिला बिल्डिंग का निर्माण हो सकता है, जिससे न्यायिक कार्य में सहूलियत होगी।
अब पार्टटाइम पीएचडी कर सकेंगे छात्र
- नए आर्डिनेंस को राजभवन ने दी मंजूरी
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किए गए पीएचडी के नए आर्डिनेंस को राजभवन से मंजूरी दे दी है। ऐसे में अब छात्र-छात्राएं नौकरी के साथ-साथ पार्टटाइम पीएचडी भी कर सकेंगे। इसके अलावा पीएचडी की आनलाइन मौखिक परीक्षा के लिए कुलपति की अनुमति लेने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। अब इस नए बदलाव के साथ पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आर्डिनेंस 2020 में पूर्णकालिक और अंशकालिक पीएचडी की जा सकेंगी। लविवि शिक्षकों के मुताबिक अभी तक नौकरी के साथ पीएचडी करने का नियम नहीं था। इससे तमाम ऐसे छात्र जिन्हें शोध में रुचि है, लेकिन नौकरी भी करते हैं, वे इससे वंचित रह जाते थे। अब उन्हें पार्ट टाइम पीएचडी का मौका मिलेगा। छात्रों को केवल प्रोफेसरों या एसोसिएट प्रोफेसरों की देखरेख में नामांकित किया जाएगा। एक अकादमिक वर्ष में सिर्फ एक अंशकालिक शोध छात्र के नामांकन की अनुमति एक संकाय के तहत दी जाएगी। इन शोध छात्रों को कोर्स वर्क परीक्षा को पास करना अनिवार्य होगा। लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने बताया कि नए आर्डिनेंस के अनुसार ही दाखिले लिए जाएंगे।
यूजीसी की निगरानी में रहेंगे विवि और कॉलेज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालय और उनसे एफिलिएटेड कॉलेज भी अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की सीधी निगरानी में रहेंगे। शासन ने यूजीसी की तरफ से बनवाए गए यूनिवर्सिटी एक्टिविटी मॉनीटरिंग पोर्टल (यूएएमपी) पर सभी मांगी गई सूचनाएं देने का निर्देश दिया है। यूजीसी ने हाल ही में देश के सभी केंद्रीय, राज्य व डीम्ड विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों तथा अनुदानित उच्च शिक्षण संस्थानों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर शैक्षिक सत्र 2020-21 से संबंधित सभी इस पोर्टल पर उपलब्ध कराने को कहा है। यह पहल इसलिए भी की गई है कि क्योंकि यूजीसी शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति में एससी-एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस व दिव्यांगजनों के लिए तय किए गए आरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित कराना चाहता है। यूजीसी ने पोर्टल पर श्रेणीवार आरक्षण के अनुसार विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में नियुक्त शिक्षकों व कर्मचारियों के बारे में सूचनाएं देने, वर्ष 2020-21 में आरक्षण नियमों के अनुसार पाठ्यक्रमों में लिए गए प्रवेश और हास्टलों में आवंटित कक्षों के बारे में सूचनाएं देनी हैं।