प्रदेश में निमोनिया से नौनिहालों को बचाएगा न्यूमोकॉकल टीका, जल्द लॉन्च होगी वैक्सीन
पायलट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के 56 जिलों में एक साथ होगा शुभारंभ
टीका लगने से बच्चों को कई बीमारियों से मिल जाएगी निजात
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। अब निमोनिया से होने वाली शिशुओं की मौत का आंकड़ा सरकारी कागजों में और कम हो जाएगा। इस पर विराम लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने एक नया टीका इजाद किया है। नौनिहालों की निमोनिया से सुरक्षा के लिए न्यूमोकॉकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) को आठ अगस्त से राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा। यह टीका शिशुओं को निमोनिया के साथ सेप्सिस (खून के इंफेक्शन) और बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) से भी बचाएगा। इसे कानपुर समेत प्रदेश के 56 जिलों में एक साथ लॉन्च किया जाएगा। कानपुर के सीएमओ कार्यालय के प्रशिक्षण भवन में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनीसेफ के विशेषज्ञों ने चिकित्साधिकारियों व ब्लॉक कर्मचारियों के साथ कार्यशाला की। इसमें अधिकारियों ने तय किया कि अब ब्लाक स्तर पर आशा कार्यकर्ताओं को वैक्सीन की जानकारी दी जाएगी। सीएमओ डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया कि वैक्सीन अभी प्रदेश के 19 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगाई जा रही है। बच्चों को न्यूमोकॉकल का पहला टीका डेढ़ माह, दूसरा साढ़े तीन माह और तीसरा नौवें माह में लगाया जाएगा।
नाक-गले में होता है बैक्टीरिया
न्यूमोकॉकस एक बैक्टीरिया है। यह स्वस्थ लोगों के नाक और गले में पाया जाता है। यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर यह कई बीमारियों की वजह बनता है। ऐसे में यह टीका कारगर साबित होगा।
बीमारी का फैलाव व लक्षण
न्यूमोकॉकल बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के खांसने और छींकने से फैलती है। यह बैक्टीरिया पांच साल से छोटे बच्चों खासकर दो साल से छोटे बच्चों, कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों एवं वृद्धों को बीमार कर सकता है। इसके लक्षणों में खांसी आना, कफ या बलगम आना, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, ठंड से कंपकपी, गहरी सांस लेते समय या खांसते समय सीने में दर्द, उल्टी होना, दस्त लगना, पसीना आना, सिरदर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत अभी 19 जिलों में वैक्सीन लगाई जा रही है। बच्चों को न्यूमोकॉकल का पहला टीका डेढ़ माह, दूसरा साढ़े तीन माह और तीसरा नौवें माह में लगाया जाएगा।
डॉॅ. अनिल मिश्रा, सीएमओ कानपुर
विद्युत केंद्रों पर बढ़ा बेतहाशा लोड, गोमती नगर पर मंडरा रहा बिजली संकट
दशकों पहले बनाये गए बिजली घर अपनी क्षमता से अधिक पर कर रहे काम
आवासीय घरों में व्यावसायिक परिसर और बिजली की खपत ने बढ़ाई समस्या
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। विद्युत केंद्रों पर बेतहाशा बढ़ते लोड की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो अगले साल राजधानी का गोमतीनगर इलाका बिजली संकट से जूझता नजर आएगा। वहीं दशकों पहले बनाए गए बिजली घर अपनी क्षमता से अधिक पर काम कर रहे हैं। आवासीय घरों में व्यावसायिक परिसर और बिजली की बढ़ी खपत ने समस्या और बढ़ा दी है। दूसरी ओर एलडीए और आवास विकास इस समस्या के समाधान को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
गोमती नगर में नेताओं, अधिकारियों सहित अन्य वीआईपी के मकान भी हैं। कुछ दशक पहले बनाये गए बिजली घर अपनी क्षमता से अधिक पर काम कर रहे हैं। सभी घरों को लाइट मिले इसके लिए भी व्यवस्था की गई। बिजली घर बनवाए लेकिन कुछ दशकों पहले बने इन पॉवर हाउस से बिजली की आपूर्ति कर पाना मुश्किल होता जा रहा है। आवासीय घरों में व्यावसायिक परिसर और बिजली की खपत ने इस समस्या को जटिल बना दिया है। ऐसा होने से बिजली की खपत कई गुना बढ़ गई। आलम यह है कि विश्वास खंड, विभूति और विशेष खंड में यदि बड़े कनेक्शन देने पड़ जाए तो न दे सकते हैं। यही हाल विकास नगर बिजली घर का है। यह भी ओवर लोडिंग से कराह रहा है। 2021 तक यदि बिजली घर नहीं बने तो पांच लाख से अधिक उपभोक्ता परेशान होंगे। अभियंताओं का कहना है कि उपभोक्ताओं ने कूलरों की जगह एसी ले लिया है,पहले जहां एक एसी हुआ करता था, वहां दो से तीन हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत है, जो नहीं हो पा रहा है। गोमती नगर के तीनों बिजली घरों में पॉवर ट्रासंफार्मर लगाकर क्षमता बढ़ाई जा चुकी है। नए बिजली घर की जरूरत है ताकि लोड कम करने के लिए बिजली कनेक्शन को दूसरे बिजली घर में स्थानांतरित किया जा सके। यही हाल विकास नगर बिजली घर का भी है। अब बिजली महकमा एलडीए व आवास विकास से जमीन मांग रहा है जो मिल नहीं रही है।
एलडीए व आवास विकास से बिजली घर के लिए जमीन मांगी गई है। जल्द मंडलायुक्त से मिलकर पूरी स्थिति से अवगत कराने का प्रयास किया जाएगा। उम्मीद है कुछ हल निकलेगा।
सतीश सिंह निर्माण अभियंता ट्रांस-गोमती