राहुल गांधी के दांव ने भाजपा में बेचैनी, उपचुनाव में हार के संकेत!

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दांव ने भाजपा की बेचैनी को और बढ़ा दिया है.... राहुल के दांव से मोदी का बच पाना मुश्किल है... और उपचुनाव में भी बीजेपी का सफाया बिल्कुल तय है... देखिए खास रिपोर्ट....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार मिलने के बाद भी बीजेपी और मोदी ने सबक नहीं लिया… और बैसाखी के सहारे तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए… वहीं मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए हुए एक महीने से ज्यादा का समय हो रहा है… वहीं मोदी के तीसरी बार शपथ लेते ही जम्मू-कश्मीर में यात्रियों की बस पर हमला हुए… जिसमें कई यात्रियों की जान चली गई… नीट, नेट समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए… जिसको लेकर छात्रों ने सड़क पर प्रदर्शन किया… बावजूद इसके पीएम मोदी ने किसी भी प्रकार का बच्चों के भविष्य के लिए कोई एक्शन नहीं लिया…और सदन में भी महंगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक समेत देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बोलने से बचते नजर आए… जिसका परिणाम मोदी और बीजेपी को देश में हुए तेरह सीटों पर उपचुनाव में मिल गया… और बीजेपी तेरह में से महज दो सीटों पर सिमट कर रह गई… जिसके बाद से बीजेपी के अंदर खलबली मची हुई है… और देश के अन्य राज्यों में होने वाले उपचुनाव में हार का डर सताने लगा है… जिसको लेकर दिग्गज नेता तैयारी में जुटे हुए है… आपको बता दें कि आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव का भविष्य तय करेंगे… वहीं फिर से बीजेपी अन्य राज्यों में होने वाले उपचुनाव में हार जाती है… तो आने वाले दिनों में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया होना निश्चित है…

आपको बता दें कि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के दांव ने भाजपा की बेचैनी को और बढ़ा दिया है…. राहुल के दांव से मोदी का बच पाना मुश्किल है… और उपचुनाव में भी बीजेपी का सफाया विल्कुल तय है… आपको बता दें कि आने वाले दिनों में उपचुनाव के रिजल्ट से कई सीएम और दिग्गजों के भाग्य का फैसला करेगा… वहीं उपचुनाव के बाद बीजेपी में कई सीएम और मंत्री के पदों में बदलाव किया जाएगा… जिससे बीजेपी के बड़े नेताओं में खलबली मची हुई है…. और उपचुनाव की तैयारी में जुटे हुए है… आपको बता दें कि शनिवार को सात राज्यों की तेरह विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे विपक्ष के लिए एक बार उम्मीद की किरण दिखा रहे हैं…. इन चुनावों में इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने जहां दस सीटें जीत लीं… वहीं बीजेपी सिर्फ़ दो सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी…. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के हिस्से में गई है…. लोकसभा चुनावों में उम्मीद से बढ़िया प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस अति उत्साह में है… राहुल और प्रियंका के बयान बताते हैं कि इन चुनावों से उन्हें ताकत मिली है… हालांकि भाजपा की ओर से कहा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को उपचुनाव में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है…. क्योंकि जिन तेरह सीटों पर उपचुनाव हुए हैं… उनमें से बीजेपी के पास सिर्फ़ चार सीटें ही थीं… जबकि तीन निर्दलीय विधायकों के पास थीं…. खैर, बीजेपी को इन उपचुनाव में बड़ी हार भले न मिली हो पर भविष्य के लिए संकेत तो है ही… पार्टी के सामने पहाड़ जैसी चुनौतियां हैं… अगर पार्टी नेता समय रहते निजात नहीं पाते हैं… तो आगे राह और कठिन हो सकती है…

बता दें कि केंद्र में नई सरकार बन गई पर जनता को कुछ बदलाव होता नहीं दिख रहा है… इसलिए सरकार को लेकर जनता तो छोड़िए कार्यकर्ता का भी उत्साह ठंडा पड़ रहा है…. कांग्रेस लगातार यह नरेटिव सेट करने में सफल साबित हो रही है कि बेरोजगारी के मोर्चे पर कुछ नहीं किया जा रहा है… इस बीच लगातार कई परीक्षाओं के कैंसल होने… और कई परीक्षाओं के पेपर आउट होने से आम जनता का भरोसा टूट रहा है… नीट परीक्षा को लेकर आम लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि… सरकार चाहती क्या है…. इस बीच लगातार एयरपोर्ट की कैनोपी रिसने, पुलों के बह जाने आदि की खबरों से लोगों के बीच यह संदेश पहुंच रहा है… कि भ्रष्टाचार के मोर्चे पर सरकार असफल रही है…. जब माहौल अपने पक्ष में नहीं होता तो विपक्ष को छोड़िए पार्टी के भीतर से भी असंतोष की आवाजें उठने लगती हैं…. वहीं उत्तर प्रदेश के एक बीजेपी विधायक और एक पूर्व मंत्री ने कुछ ऐसी ही बातें की हैं… जो पार्टी के खिलाफ जा रही हैं…. जनता को लगने लगा है कि कुछ भी नहीं बदला है…. यह टेंडेंसी अगर बढ़ती है तो आने वाले दिनों में जनता के बीच बदलाव की बयार बहेगी… जिसे रोकना भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किल साबित होगा….

वहीं पार्टी की एक मुश्किल यह भी है कि इस साल तीन प्रदेशों में चुनाव होने है… महाराष्ट्र-हरियाणा और झारखंड में पार्टी की जो अभी स्थिति है उसके आधार पर तो यही कहा जा सकता है कि इन तीनों राज्यों में बीजेपी का आना बहुत मुश्किल है… बता दें कि हरिय़ाणा में दो हजार उन्नीस के चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था…. जेजेपी के सहयोग से बीजेपी को सरकार बनाना पड़ा था…. इसके लिए जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को प्रदेश में डिप्टी सीएम बनाना पड़ा था…. लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने दुष्यंत से भी नाता तोड़ लिया है…. लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अपनी 5  सीटें गंवानी पड़ी हैं…. हरियाणा में नया सीएम लाने के बाद भी कुछ नहीं बदला है…. जातियों के समीकरण को ध्यान रखते हुए नायब सिंह सैनी की ताजपोशी तो हो गई पर प्रदेश के लोगों को नहीं लगता है कि कुछ बदलाव भी हुआ है… वहीं नए सीएम के आने के बाद विकास कार्यों के क्रियान्वयन…. और जनता की समस्याओं को लेकर नई सरकार में जो उत्साह होता है… वह सैनी सरकार में पहले दिन से ही नहीं दिखी…. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त से पार्टी भविष्य में किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ना है… इसके लेकर ही कन्फ्यूज है…. पार्टी अपनी हार के कारणों का सही कारण ही नहीं समझ पा रही है…. विधानपरिषद चुनावों में जोड़ तोड़ कर महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने जरूर अपने पांचों कैंडिडेट जिता लिए पर यह अप्रत्यक्ष चुनाव था… इसलिए पार्टी को ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं है…. पार्टी ने विधानपरिषद चुनावों में ओबीसी कैंडिडेट्स पर दांव खेला है…. पर प्रदेश की जनसंख्या में करीब तैंतीस प्रतिशत मराठों को लेकर पार्टी अभी भी कोई स्टैंड नहीं ले पा रही है… झारखंड के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए जरूर थोड़ी उत्साहजनक स्थिति में थी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब फिर से मैदान में आ चुके हैं…. वो आने वाले विधानसभा चुनावों में जनता की सहानुभूति हांसिल कर सकते हैं….

आपको बता दें कि इस साल तीन प्रदेशों में पार्टी को हार मिले या जीत अगले साल फिर रण में उतरना ही होगा….. इसलिए उसकी तैयारी भी अभी से शुरू हो जानी चाहिए…. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को अगले साल होने वाले चुनावों में उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है…. अगले वर्ष की शुरुआत दिल्ली से होगी…. जहां अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को जेल की सजा काट रहे हैं…. अगर केजरीवाल और सिसौदिया जेल में रह जाते हैं…. तो जाहिर है एक तगड़ी सिंपैथी को वे हकदार होंगे…. जिसका मुकाबला करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा…. उसके बाद सितंबर में बिहार विधानसभा चुनाव के साथ साल खत्म होगा… बिहार में पार्टी अभी भी नीतीश कुमार के सहारे ही चल रही है…. बिहार बीजेपी अभी भी अपने पैरों पर खड़ा होने लायक एक कद्दावर नेता नहीं तैयार कर सकी है…. वहीं उत्तर प्रदेश की जीत का मतलब होता है देश पर जीत… पर यूपी में पार्टी अभी भी अंतर्कलह से उबर नहीं पा रही है…. चुनावों में हार का जो भी कारण रहा हो पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने का अफवाह बीजेपी को महंगी पड़ गई…. अभी भी उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल होता नजर आ रहा है… चुनावों में हार के बाद अभी तक पार्टी संभल नहीं सकी है…. आए दिन योगी को हटाए जाने की बाते राजनीतिक गलियारों में उठती रहती है…. वहीं अगर योगी किसी कारणवश हटते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि यूपी में कल्याण सिंह पार्ट 2 दोहराया जाएगा…. बता दें कि कल्याण सिंह के नाराज होने का नुकसान बीजेपी को बहुत महंगा पड़ा था….

आपको बता दें कि नई सरकार को सबसे अधिक विचलित किसानों और जवानों के मुद्दे पर होना पड़ रहा है…. जबकि अपनी पिछले कार्यकाल में शायद सबसे अधिक कार्य सरकार ने इन्हीं दोनों वर्गों के लिए किया…. दो दशकों में मोदी ने अपनी छवि किसानों और सशस्त्र बलों के हिमायती के रूप में गढ़ी है…. लेकिन सभी हवाहवाई साबित हुए… जिसको लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठाती रही है… लेकिन सरकार उन सभी मुद्दों पर बोलने से बचती आ रही है… जिसके कारण सरकार बैकफुट पर है….बता दें कि किसानों के लिए सम्मान निधि देने वाली सरकार को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में झटका लगा है…. कृषि सुधारों को लेकर होने वाली बहस को उन कानूनों ने बरबाद कर दिया… जिन्हें अध्यादेशों के माध्यम से लाया गया… और फिर संसद द्वारा पारित किया गया… वहीं जिस तरह किसानों के लिए हितकर किसान कानूनों को सरकार किसानों को नहीं समझा पाई शायद उसी तरह अग्निवीर को लेकर भी हुआ है…. इस स्कीम से पेंशन का बढ़ता बोझ कम होता है…. और आधुनिकीकरण के लिए अधिक गुंजाइश बनती है… परंतु इसका बड़ा लाभ यह भी है कि सेना के जवान युवा रहते हैं…. फिलहाल उनकी औसत आयु 33 वर्ष जो बहुत अधिक है…. यह स्कीम युवा भारतीयों को अवसर देता है कि वे सशस्त्र बलों में सेवाएं दें… और अधिक कुशल तथा रोजगार क्षमता के साथ सेना से निकलें…. जिसका भी देश भर में जमकर विरोध हो रहा है… वहीं इस यौजना से भी मोदी का फेलियर जनता के सामने आया है…,जिसको लेकर जनता ने मोदी और बीजेपी को नकार दिया है… वहीं सरकार बनने के बाद अगर मोदी जनता के समस्याओं की बात करते तो शायद आज ऐसा माहौल शायद न देखना पड़ता… लेकिन दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस की जीत को देखते हुए मोदी के अंदर तानाशाही आ गई.,,, और सभी कामों को अपने मन से करने लगे… और दो हजार चौदह में जनता से किए गए एक भी वादे दो हजार चौबीस तक पूरे नहीं किए गए… जिसके कारण लोकसभा चुनाव में बीजेपी दो सौ चालीस सीटों पर सिमट कर रह गई…

वहीं राहुल गांधी ने कांग्रेस की युवा ब्रिगेड सांसदों में मुखर चेहरा गौरव गोगोई को लोकसभा में एक बार फिर से उपनेता…. और मणिक्कम टैगोर को सचेतक के तौर पर राहुल गांधी की संसदीय टीम में जगह दी गई है…. गोगोई और टौगोर दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं… तो लोकसभा में मुख्य सचेतक बनने वाले के सुरेश दलित समुदाय से हैं…. इसी तरह लोकसभा में मो. जावेद को सचेतक बनाकर मुस्लिमों को सियासी संदेश देने की कोशिश की है… इस तरह कांग्रेस ने ओबीसी, दलित और मुस्लिम समीकरण बनाने का दांव चला है… बता दें कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अपनी संसदीय टीम में जिस तरह से वंचित समाज के नेताओं को शामिल किया है…. उसके पीछे विभिन्न जातियों को प्रतिनिधित्व देकर एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की रणनीति है…. चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की बात को जोर-शोर से उठाया था…. दलित और पिछड़ों के प्रतिनिधित्व को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साध रहे थे…. इसीलिए राहुल गांधी ने अपनी टीम गठन में दलित,… पिछड़ों और मुस्लिम समुदाय का खास ख्याल रखा है… जिसको देखते हुए बीजेपी में खलबली मची हुई है… और आने वाले दिनों में तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता से बाहर दिखाई दे रही है…

 

 

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