मिशन यूपी: अब ब्राह्मïणों को एकजुट करने की तैयारी में भाजपा, दिग्गज करेंगे संवाद

ब्राह्मïण परिवार स्थापना दिवस उत्सव में शिरकत करेंगे सीएम योगी

नाराजगी दूर करने के लिए समाज के बुद्धिजीवियों का लेंगे सहारा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। यूपी विधान सभा चुनाव से पहले भाजपा सभी कील कांटे दुरुस्त करने में जुटी है। ब्राह्मïणों की नाराजगी को दूर करने और एकजुट करने के लिए अब उसने ब्राह्मïण परिवार के स्थापना दिवस का सहारा लिया है। इसमें खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे। यही नहीं यहां भाजपा ब्राह्मïण समाज के बुद्धिजीवियों के जरिए संवाद भी स्थापित करेगी।
ब्राह्मïण परिवार का 16वां स्थापना दिवस इस बार खास होगा। ब्राह्मïण समाज को एकजुट करने और सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को समाज के बुद्धिजीवियों के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।

14 नवंबर को कानपुर रोड के अवस्थी लान में दोपहर एक बजे से होने वाले स्थापना दिवस उत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे। ब्राह्मïण परिवार के अध्यक्ष शिवशंकर अवस्थी ने बताया कि स्थापना दिवस पर समाज के लोग अपनी बात रखेंगे। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा, राज्य सभा सदस्य डा.अशोक पांडेय, विधि एवं न्यायमंत्री बृजेश पाठक, सांसद डा.रीता बहुगुणा जोशी, विधायक सुरेश चंद्र तिवारी, अविनाश त्रिवेदी, सुधाकर त्रिपाठी व उमेश द्विवेदी के अलावा परिवार के सचिव राम केवल मिश्रा सहित कई पदाधिकारी शामिल होंगे।

माना जा रहा है कि ब्राह्मïणों की नाराजगी को देखते हुए भाजपा इस उत्सव के बहाने ब्राह्मïणों को साधने की कोशिश करेगी। दरअसल, भाजपा यह अच्छी तरह जानती है कि यदि ब्राह्मïणों ने किनारा कर लिया तो उत्तर प्रदेश में उसका सत्ता वापसी का सपना धरा रह जाएगा। आंकड़ें भी इसकी पुष्टिï करते हैं। गौरतलब है कि लंबे समय से चर्चा है कि भाजपा से ब्राह्मïण नाराज हैं। इसके पीछे बड़ी वजह मंत्रीमंडल मेंअपेक्षा से कम ब्राह्मïण विधायकों को शामिल करना माना जा रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े

आबादी के हिसाब से ब्राह्मïण समुदाय का यूपी में वर्चस्व रहा है। यूपी में 11-12 फीसदी ब्राह्मïण वोट बैंक हैं जो जाटव और यादव वोट बैंक के बराबर है। कई ऐसे जिले भी हैं जहां इनकी संख्या 15 फीसदी से भी अधिक है। बलरामपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, वाराणसी, चंदौली, कानपुर और इलाहाबाद ऐसे ही जिले हैं। माना जाता है कि कुल 115 से अधिक सीटों पर ये हार-जीत आसानी से तय करते हैं। ऐसे में 403 सीटों में 115 सीटें काफी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

क्या है सियासती अहमियत

ब्राह्मïण लंबे समय से किंग मेकर रहे हैं। 90 दशक के पहले यूपी की राजनीति में कांग्रेस बनाम अन्य की रही है। इसकी बड़ी वजह है कि शुरुआती दौर में ब्राह्मïणों ने कांग्रेस को खूब वोट किया। इसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि अब तक 21 में 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मïण ही रहे हैं। वे भी सभी कांग्रेस से ही रहे हैं। इसके बाद अयोध्या मंदिर आंदोलन के दौरान वोट भाजपा की ओर शिफ्ट हुआ। ब्राह्मïण वोट बैंक को साधने का सबसे बड़ा प्रयोग साल 2007 में मायावती ने किया और सरकार बनाने में सफल रहीं। इसके बाद ब्राह्मïण भाजपा के पाले में आ गए। साल 2007 और 2012 में भाजपा को ब्राह्मïणों ने 40 और 38 फीसदी वोट दिया जबकि 2017 में 80 फीसदी वोट्स दिए तो भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार में आ गई।

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