Bollywood सिंगर ने जवान बेटे और बेटी को दिया खो, घर में एक साथ छाया मातम। सदमे में इंडस्ट्री!
बड़े पर्दे की दुनिया देखने में तो बेहद खूबसूरत लगती है, लेकिन इसके पीछे की असली अच्छाई कम ही लोग देख पाते हैं। आख़िर, चका चौंध से भरी इस दुनिया के पर्दे के पीछे की कहानी तो कुछ और ही होती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बड़े पर्दे की दुनिया देखने में तो बेहद खूबसूरत लगती है, लेकिन इसके पीछे की असली अच्छाई कम ही लोग देख पाते हैं। आख़िर, चका चौंध से भरी इस दुनिया के पर्दे के पीछे की कहानी तो कुछ और ही होती है।
और, ऐसी ही एक कहानी है, बॉलीवुड की उस मशहूर सिंगर की। जिसने अपनी सुरीली आवाज से करोड़ों दिलों पर राज किया। लेकिन, फिर अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा दर्द अचानक सहा। आख़िर, जहां पहले उनके पति ने ज़िंदगी को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तो, फिर एक ही पल में उनके पैरों के नीचे से ज़मीन तब खिसक गई जब उन्होंने एक साथ अपने जवान बेटे और बेटी को हमेशा के लिए खो दिया।
जिस पॉपुलर सिंगर की बात हम हमारी इस रिपोर्ट में कर रहे हैं..वो कोई और नहीं, बल्कि बॉलीवुड को ‘ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहां…’, ‘अभी ना जाओ छोड़कर…’, ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को…’ जैसे गाने देने वालीं लेजेंड्री सिंगर आशा भोसले हैं। आखिर, ‘आशा ताई’ ने अब तक हिंदी सिनेमा की म्यूजिक इंडस्ट्री को 12000 से ज्यादा गानों से सजाकर जो रखा है। तो, ‘स्वर कोकिला’ दिवंगत लता मंगेशकर की बहन आशा ना सिर्फ अपनी आवाज और गानों की वजह से चर्चित रहीं। बल्कि, उनकी निजी ज़िंदगी भी हमेशा ही ख़बरों का हिस्सा बनी रहीं।
वहीं, कुछ वक्त पहले, आशा जी अपनी बायोग्राफी ‘आशा भोसले: A Life In Music’ को लेकर लाइमलाइट का हिस्सा बनी। आखिर, इस किताब में उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई बड़े और चौंकाने वाले खुलासे जो किये। दरअसल, ‘आशा भोसले: A Life In Music’ को राम्या शर्मा ने लिखा। किताब में आशा भोसले ने गणपतराव भोसले से अपनी पहली शादी के दर्दनाक अनुभव जमाने के आगे खोलकर रखे।
आशा भोसले ने दो शादियां की थीं। अपनी पहली शादी उन्होंने घर से भागकर की थी..वो भी अपनी ही बहन लता के सेक्रेटरी गणपत राव भोसले के साथ। इस बात से उनका परिवार काफी नाराज हो गया था। क्योंकि, उस वक़्त आशा सिर्फ 16 साल की थीं..और, गणपत राव 30 के। बहन के इस कदम के बाद लता ने भी उनसे रिश्ता तोड़ लिया था। तो, जब आशा पहली बार मां बनी..तब जाकर परिवार के गिले-शिकवे दूर हुए थे। लेकिन तब, आशा के पति इस जिद पर अड़ गए थे कि वो मंगेशकर परिवार से कोई रिश्ता ना रखें। इस सबके चलते दोनों में झगड़े होने लगे..और, गणपत का हाथ भी आशा पर उठने लगा।
तो, अपनी बायोग्राफी में ससुराल में अपने साथ हुए व्यवहार के बारे में आशा ने बात करते हुए कहा- ‘हमारा परिवार बहुत ही रूढ़िवादी था। वो लोग एक सिंगिंग स्टार बहू को संभाल नहीं पाए। मेरे पति बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के थे। शायद उन्हें दूसरों को दर्द और तकलीफ देने में मजा आता था। लेकिन, मैंने कभी इन बातों की भनक किसी और को नहीं लगने दी। मैंने हमेशा उनका सम्मान किया, कभी उनसे सवाल नहीं किया। मैं हिंदू धर्म के मुताबिक हमेशा अपना फर्ज निभाती रही।’
आशा भोसले ने ये भी जिक्र किया क़ि-‘एक समय पर मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी। इतनी परेशान कि मरने का मन करने लगा था। मैं चार महीने की प्रेग्नेंट थी और बीमार भी थी। इस दौरान मुझे जिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, वहां के हालात इतने खराब थे कि लग रहा था जैसे नर्क में आ गई हूं। मैं मानसिक रूप से पूरी तरह टूट गई थी। मैं इतनी परेशान थी कि मैंने नींद की गोलियों की पूरी शीशी खाली कर दी थी। लेकिन, मेरे पेट में पल रहे बच्चे के लिए मेरा प्यार इतना गहरा था कि इतनी गोलियां खाने के बाद भी मैं मरी नहीं। मुझे वापस जिंदगी मिल गई।’
पहली शादी से आशा तीन बच्चे हुए-हेमंत, आनंद और बेटी वर्षा। तो, जब आशा तीसरी बार मां बनने वाली थीं..तब, गणपत ने उन्हें घर से बाहर निकलने के लिए कह दिया था। फिर, आशा पति से दूर हो गईं। शादी के 11 साल बाद दोनों अलग हो गए, जिसके बाद आशा भोसले ने 1980 में आरडी बर्मन से दूसरी शादी कर ली। काम के सिलसिले में आरडी बर्मन और आशा मिला करते थे..और, यहीं से दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं। लेकिन चूंकि, आशा उम्र में बर्मन से पूरे छह साल बड़ी थीं..ऐसे में, आरडी का परिवार इस रिश्ते से खुश नहीं था। परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी तो कर ली..लेकिन शादी के 14 साल बाद ‘पंचम दा’ उर्फ़ आरडी बर्मन का निधन हो गया।
गौरतलब है कि, आशा की बेटी वर्षा ने भी साल 2008 में खुद को मारना चाहा था। उन्होंने भी स्लीपिंग पिल्स खा ली थी लेकिन फिर उन्हें बचा लिया गया था, पर फिर साल 2012 में वर्षा ने खुद को गोली मार ली थी। जहां बेटी वर्षा की मौत का गम आशा भोसले ने झेला था। तो वहीं उनके बड़े बेटे हेमंत की भी स्कॉटलैंड में कैंसर की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। आशा ने अपनी आंखों के सामने जवान बेटी और बेटे को हमेशा के लिए खुद से दूर जाते देखा था। जिसका गम आज भी उनके जहन में हैं।
बात आशा भोंसले के करियर की करें तो, दिवंगत पंडित दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी आशा भोसले इंडियन म्यूजिक की दुनिया का ऐसा नाम हैं, जिन्हें किसी परिचय की दरकार नहीं है। आशा भोसले ने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘माझा बाल’ (1943) में गाया था। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 10 साल थी। फिर, महज 16 साल की उम्र में आशा ने फिल्म ‘रात की रानी’ में अपना पहला सोलो गाना दिया था। साल 1952 में आई फिल्म ‘संगदिल’ में गाए गाने ने उन्हें फर्स्ट ब्रेक थ्रू दिया ,जिसे साजिद मुस्तफा ने कंपोज किया था।
जिसके बाद, आशा भोसले ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन गाने गाए। हिंदी के अलावा वह कुल 20 भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने गा चुकी हैं। आशा ने कई फिल्मों में ऐसे गाने दिए हैं जो आज तक लोगों की जुबान पर चढ़े रहते हैं।
सिंगिंग के लिए आशा भोसले को अपने करियर में कई अवॉर्ड मिले हैं। इसमें 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड शामिल हैं। लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड के साथ उन्हें साल 2000 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, साल 2008 में पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं, “गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड” में उनका नाम “मोस्ट रिकॉर्ड आर्टिस्ट इन म्यूजिक हिस्ट्री” के लिए मेंशन है।
तो, एक वक्त बॉलीवुड इंडस्ट्री में ऐसा भी था, जब यह अफवाह उड़ती थी कि लता मंगेशकर और आशा भोसले के बीच प्रोफेशनल राइवलरी है। बॉलीवुड गलियारों में दोनों बहनों के मनमुटाव की बातें सुनने को मिली। लेकिन आशा और लता मंगेशकर ने कभी खुलकर इन बातों पर कुछ रियेक्ट नहीं किया।
बहरहाल, 50 के दशक से शुरू हुआ आशा भोसले का सिंगिंग करियर आज भी जारी है। तो, आशा भोसले के पास सिंगिंग का ही हुनर नहीं है, वह एक कमाल की कुक हैं। उनके नाम से दुबई, कुवैत में कई रेस्तरां हैं। जहां से वो अच्छी ख़ासी कमाई करती हैं। आशा भोसले का पहला रेस्टोरेंट ‘आशाज’ 2002 में दुबई के WAFI में खुला था। फिर, बाद में इसकी फ्रेंचाइजी कुवैत, अबू धाबू, दोहा और बहरीन में खुला। यहां भारत के फेमस फूड आइटम्स परोसे जाते हैं, जिनका मजा लोग उठाते हैं।



