वारी यात्रा पर दिए बयान पर अबू आजमी ने मांगी माफी, कहा– भावनाएं आहत करने का नहीं था इरादा
अबू आजमी ने सफाई देते हुए कहा, "मेरा इरादा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने का नहीं था। मेरा उद्देश्य सिर्फअल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव की ओर ध्यान आकर्षित करना था।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने वारी यात्रा को लेकर दिए गए अपने विवादास्पद बयान पर माफी मांग ली है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जिससे वारकरी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची।
अबू आजमी ने सफाई देते हुए कहा, “मेरा इरादा किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने का नहीं था। मेरा उद्देश्य सिर्फअल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव की ओर ध्यान आकर्षित करना था। अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं माफी मांगता हूं।” आजमी अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में रहते हैं। इससे पहले उन्होंने औरंगजेब को लेकर की गई टिप्पणी के बाद देशभर में विरोध का सामना किया था। उस वक्त उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था।
इस बार भी उनके बयान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली, जिसके बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से स्पष्टीकरण देना पड़ा। आजमी ने यह भी आरोप लगाया कि उनके बयान को संदर्भ से हटाकर प्रस्तुत किया गया, जिससे गलतफहमी पैदा हुई।
विवाद बढ़ता देख अबू आजमी ने इस मामले में जल्दबाजी करते हुए माफी मांग ली है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि हाल ही में सोलापुर में मेरे द्वारा की गई एक टिप्पणी को लेकर जो गलतफहमियां फैली हैं, मैं उन्हें स्पष्ट करना चाहता हूं. मेरे वक्तव्य को तोड़मरोड़ कर और दुर्भावनापूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया. यदि इससे वारकरी सम्प्रदाय की धार्मिक भावना आहत हुई हो, तो मैं अपने शब्द पूरी तरह से वापस लेता हूं और क्षमा चाहता हूं. मेरी मंशा कभी भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी.
उन्होंने आगे लिखा कि मैं एक समर्पित समाजवादी हूं और हमेशा से हर धर्म, संस्कृति, सूफी संतों तथा उनकी परंपराओं का आदर करता आया हूं. मैं वारी परंपरा का पालन कर रहे सभी वारकरी भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और उनके प्रति अपनी सम्मान भावना प्रकट करता हूं. यह परंपरा महाराष्ट्र की सर्वधर्मीय, समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का गौरवपूर्ण हिस्सा है, जिसका मैं व्यक्तिगत रूप से सम्मान करता हूं.
आजमी ने सफाई पेश करते हुए कहा कि मेरी तरफ से वारी पालखी का उल्लेख केवल मुस्लिम समाज के साथ हो रहे भेदभाव और उनके अधिकारों के संदर्भ में किया गया था. यह किसी प्रकार की तुलना नहीं थी एवं मेरी नीयत और मेरी मांग किसी भी रूप में अनुचित नहीं थी. उन्होंने कहा कि मेरी केवल इतनी मंशा थी कि सरकार का ध्यान इस बात की ओर आकृष्ट कर सकूं कि उसके दोहरे मापदंड अल्पसंख्यक समुदाय के मन में यह भावना न उत्पन्न करें, कि उनके लिए इस देश में अलग कानून हैं. जब की हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी खुद कहते है सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास. हम उपेक्षित समाज के हक़, सम्मान और बराबरी की लड़ाई मजबूती से जारी रखेंगे, लेकिन कभी भी देश की एकता पर आंच नहीं आने देंगे.
पंढरपुर वारी पर क्या बोले थे अबू आजमी?
सपा विधायक अबू आजमी ने सदियों पुराने तीर्थ स्थल ‘पंढरपुर वारी’ तक निकलने वाली वारकारी संप्रदाय के पालकी समारोह की तुलना सड़क पर नमाज पढ़ने से की थी. उन्होंने कहा कि कई हिंदू त्यौहार सड़कों पर मनाए जाते हैं. लेकिन कोई भी मुस्लिम व्यक्ति हिंदू त्योहारों के खिलाफ शिकायत नहीं करता. लेकिन जब कोई मुस्लिम दस मिनट के लिए सड़क पर नमाज पढ़ता है, तो शिकायत की जाती है. पुणे से निकलते समय मुझे कहा गया कि जल्दी चले जाओ, नहीं तो वारकारी संप्रदाय के पालकी समारोह के कारण सड़कें बंद हो जाएंगी. आजमी के इसी बयान के बाद समाज की नाराजगी सामने आई थी.



