हम और मजबूती के साथ आगे बढ़े: अडानी

बोले- हमारे ऊपर झूठ और बेबुनियाद आरोप लगाए गए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अडाणी ग्रुप को हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के सभी आरोपों से क्लीन चिट मिल चुकी है। इन आरोपों को लेकर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने लिखा कि इस अनुभव से कंपनी को बहुमूल्य सीख भी मिली। उन्होंने लिखा हमें अतीत में जीना नहीं चाहिए बल्कि निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। श्री अडानी ने लिखा हमारे खिलाफ झूठ और बेबुनियाद आरोप कोई नई बात नहीं थी इसलिए बड़े स्तर पर मिली प्रतिक्रियाओं के बाद, मैंने इसके बारे में बहुत सोचा नहीं। शॉर्ट-सेलिंग अटैक का प्रभाव आमतौर पर फायनेंशियल मार्केट तक ही सीमित होता है, हालांकि, यह बहुत ही अलग और दो तरफा अटैक था।
पहला जो निश्चितरूप से वित्तीय था और दूसरा जो राजनीतिक रूप से किया गया, दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। मीडिया में कुछ लोगों के बढ़ावे के चलते हमारे खिलाफ ये झूठ इतने विनाशकारी थे कि इसने हमारे पोर्टफोलियो के मार्केट कैप को काफी हद तक प्रभावित किया। आमतौर पर कैपिटल मार्केट तर्कसंगत के बजाय इमोशन पर ज्यादा प्रभावित होती है। इस बात से मुझे ज्यादा दुख हुआ कि छोटे निवेशकों की बचत खत्म हो गई। अगर हमारे विरोधियों की योजना पूरी तरह से सफल हो जाती, तो इसका दूरगामी प्रभाव, कई अहम बुनियादी ढांचों के एसिट्स, बंदरगाहों और एयरपोर्ट से लेकर पावर सप्लाई चेन तक को अपंग बना सकता था, जो किसी भी देश के लिए एक भयावह स्थिति होती। हम इस स्थिति को संभालने से पीछे नहीं हट सकते थे। हमारे दृढ़ विश्वास ने हमारे बिजनेस को मजबूत रखने और इस विपरीत परिस्थिति से निपटने में काफी हद तक हमारी मदद की। हमने तथ्यों को पारदर्शी ढंग से रखने और अपना पक्ष सामने रखने पर ध्यान केंद्रित किया, इससे हमारे ग्रुप के खिलाफ नेगेटिव कैंपेन का प्रभाव कम हुआ।

शेयर होल्डर बेस करीब 70 लाख तक पहुंचा

हमारे शेयरहोल्डर बेस में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी आम लोगों की सोच में बदलाव का एक बड़ा प्रमाण है, जो एफपीओ का पहला लक्ष्य है. इस चुनौतीपूर्ण साल में हमारे शेयरहोल्डर्स के आधार में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, हमारा शेयरहोल्डर बेस करीब 70 लाख तक पहुंच गया। इस अनुभव ने नॉन-फायनेंशियल स्टेकहोल्डर्स के साथ हमारे प्रभावी ढंग से जुडऩे की जरूरत पर जोर दिया। पिछले साल के ट्रायल और कठिनाइयों ने हमें बहुमूल्य सीख दी, हमें मजबूत बनाया और इंडियन इंस्टीट्यूशन्स में हमारे विश्वास को साबित किया। हालांकि हम पर हुए हमले और एक दृढ़ता के साथ जवाबी कदम निसंदेह एक केस स्टडी बनेंगे, मैंने इस केस से जो सीखा वो साझा करना मेरे लिए जरूरी था, क्योंकि आज हम थे, कल यहां कोई और हो सकता है। बेशक, इसमें भ्रम जैसा कुछ नहीं, अब ऐसे हमलों खत्म हो गए हैं. मेरा मानना है कि हम इस अनुभव से और मजबूत होकर निकले हैं. भारत की विकास गाथा में विनम्रता के साथ अपना योगदान जारी रखे हुए हैं वो भी एक और अधिक दृढ़ संकल्प के साथ।

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