साउथ में मिली मजबूती के बाद अब कांग्रेस का नया दांव, हिंदी बेल्ट में बढ़ती लोकप्रियता से घबराए मोदी-शाह!
4PM न्यूज़ नेटवर्क: लोकसभा चुनाव को लेकर इन दिनों जमकर तैयारियां चल रही हैं सभी नेता लगातार प्रचार में जुटे हुए हैं। चुनावी जनसभा हो रही हैं। इस बार का चुनाव भले ही इंडिया बनाम NDA हो लेकिन चुनाव में भाजपा की टेंशन बढ़ती जा रही है। जैसे-जैसे चुनावी चरण आगे बढ़ रहे हैं वैसे ही भाजपा के लिए परेशानी का सबब भी बढ़ता जा रहा है। साउथ में तो कांग्रेस मजबूती पहले से ही है अब हिंदी बेल्ट को भी साधने के तैयारी में जुट गई है। अब ऐसे में कांग्रेस की एका-एक यूपी में एक्टिव होने से NDA खेमे में खलबली मच गई है। वहीं साउथ बेल्ट की अगर हम बात करें तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पारंपरिक रूप से संघर्ष करती रही है फोकस में है।अगर पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भाजपा को लगातार तीसरी बार अभूतपूर्व कार्यकाल का दावा करने से रोकने के लिए अपना योगदान देना चाहती है तो यहां मजबूत प्रदर्शन महत्वपूर्ण होगा। दक्षिणी राज्य – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, पुडुचेरी की एक सीट अच्छी स्थिति में है – 130 सांसदों को निचले सदन में भेजते हैं।
2019 में भाजपा ने इनमें से केवल 29 सीटों पर दावा किया, जिनमें से 25 कर्नाटक से और बाकी तेलंगाना से थीं। पार्टी को केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी में हार का सामना करना पड़ा। ऐसा नहीं था कि कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया; उसने केवल 28 सीटें जीतीं, लेकिन प्रसार ही महत्वपूर्ण था। उसने तमिलनाडु में आठ, तेलंगाना में तीन, केरल में 15 और कर्नाटक तथा पुडुचेरी में एक-एक सीट जीती। दक्षिण भारत में इस दौड़ में, कांग्रेस के पास कुछ ऐसा है जो भाजपा के पास नहीं है – दो स्वतंत्र राज्य सरकारों कर्नाटक और तेलंगाना और एक सत्तारूढ़ गठबंधन तमिलनाडु के साथ एक पैर जमाना। केरल और पुडुचेरी में भी इसकी मजबूत उपस्थिति है, केवल आंध्र प्रदेश अधिक खुला क्षेत्र है। इसलिए, कांग्रेस दक्षिणी राज्यों से अपने रिटर्न को अधिकतम करने के लिए उत्सुक है, खासकर जब आम सहमति यह है कि भाजपा फिर से हृदयभूमि और हिंदी भाषी राज्यों पर हावी हो जाएगी।
वहीं अगर हम कर्नाटक की अगर हम बात करें तो बीजेपी के लिए 2019 से भी बेहतर प्रदर्शन के लिए दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करना जरूरी है. कर्नाटक में पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा है. हालांकि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन वापसी की और राज्य में दोबारा सत्ता में आई है. ऐसे में बीजेपी जब तक इस प्रदेश में कमल नहीं खिलाएगी, तब तक उसके लिए 400 से ज्यादा सीटें लाने की महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हो सकती है. हालांकि, विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल रही है. इधर बीजेपी हाई कमान के लिए प्रदेश में कई मुश्किलें और भी हैं. कर्नाटक बीजेपी के कई नेता बीएस येदियुरप्पा और उनके बेटे अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र से नाराज हैं. इसकी वजह से पार्टी में गुटबाजी भी चल रही है. ऐसे हालात में बीजेपी हाईकमान ने खुद मोर्चा संभाल लिया है. चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह जोरदार प्रचार कर रहे हैं. खैर भाजपा का क्या आलम है ये बात किसी से छुपी तो है नहीं भाजपा की इसी हालत को देखते हुए सभी विपक्षी दल उन्हें घेर रहे हैं ऐसे में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी भाजपा को जमकर घेरा उन्होंने कहा कि भाजपा का 400 पार का दावा करना एक मजाक है।\
300 पार करना उनके लिए असंभव है। उनके लिए 200 पार करना चुनौती है। भाजपा को केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिलेगी। दक्षिण के राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन 2019 से भी खराब रहेगा। थरूर तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस उम्मीदवार हैं। इस सीट पर 26 अप्रैल (दूसरे चरण) को वोटिंग हो चुकी है। भाजपा ने यहां से केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर और CPI ने पी रवींद्रन को उतारा है। थरूर ने ये भी कहा कि अब तक 190 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। मुझे अपने सूत्रों से काफी पॉजिटिव जानकारी मिली है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि कोई जबर्दस्त लहर है, लेकिन निश्चित रूप से सरकार के लिए कोई लहर नहीं है। इससे पहले, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुरैना में चुनावी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी 45 साल में सबसे ज्यादा है। माता-पिता मेहनत से बच्चों को पढ़ाते हैं। चाहते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य उज्जवल हो। महंगाई इतनी बढ़ गई है कि इतना करना भी मुश्किल है। मिट्टी का तेल, दाल, सब्जियों सबका भाव बढ़ गया है।
अब साउथ बेल्ट की मजबूती के बाद कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीटों वाले राज उत्तर प्रदेश पर फोकस किया है जिसे लेकर भाजपा की टेंशन बढ़ गई है। वहीं अंदर ही अंदर बेचैन भाजपा के लोग मंच पर कांग्रेस की बुराई कर रहे हैं । ऐसे में राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव ना लड़ने को लेकर भाजपा और पीएम मोदी ने निशाना साधना शुरू कर दिया है। अब इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वो अमेठी छोड़कर भाग गए. इसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वो भी तो वाराणसी किसी सीट को छोड़कर ही आए थे. उन्होंने कहा, “उनसे पूछिए कि वे तो खुद ही भागकर वाराणसी आए हैं.” ये वार पलटवार का दौर तब शुरू हुआ जब पीएम मोदी ने एक रैली के दौरान परंपरागत रूप से कांग्रेस पार्टी के कब्जे वाली सीट, रायबरेली से अपना नामांकन दाखिल करने के लिए राहुल गांधी पर कटाक्ष किया. उन्होंने ने कहा, “डरो मत भागो मत” (डरो मत, भागो मत). जिस पर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पलटवार करते हुए मोदी पर अपने ही निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में भागने का आरोप लगाया. भाजपा ने राहुल गांधी की दोहरी उम्मीदवारी का मजाक उड़ाने का मौका भुना लिया.
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम से जब गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “भाग राहुल भाग, राहुल भाग, राहुल भाग” (भागो राहुल भागो), जिसका अर्थ है कि दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने का गांधी का निर्णय केरल के वायनाड में उनकी संभावनाओं में आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है. आपको बता दें कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद से कांग्रेस नेता राहुल गांधी काफी ज्यादा एक्टिव नजर आ रहे हैं। वह हर मामले पर लगातार बोल रहे हैं। वहीं ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी भाजपा पर जमकर हमला बोल रहे हैं। गौरतलब है कि जिस तरह से कांग्रेस गांधी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापसी की है इससे एक बात तो तय है कि इस चुनाव में भाजपा की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं भले ही अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार हो लेकिन मौजूदा समय में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का खौफ भाजपा खेमे में साफ दिखाई दे रहा है। खैर ये कब तक चलेगा और इससे कितना फायदा होगा ये तो आने वाले चुनावी परिणामों से ही पता चल जायेगा।